5 असरदार तरीके बच्चों से अपनी बात मनवाने के

हर बच्चा एक सा नहीं होता. कुछ बच्चे आसानी से अपने माता-पिता की बात मान लेते हैं तो कुछ से बात मनवाने के लिए बहुत पापड़ बेलने पड़ जाते हैं। ऐसे में कई माता-पिता अपने बच्चे को डांट-फटकार या पिटाई करके अपनी बात मनवाने हैं लेकिन ऐसा करना बच्चे के दिमाग़ पर बुरा असर डाल सकता है। आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बता रहे हैं, जिन्हें आजमाने से बच्चे आपकी बात भी मान लेंगे और आपको उनके साथ सख्ती भी नहीं करनी पड़ेगी।
इन 5 तरकीबों से ज़िद्दी बच्चे भी आसानी से मान लेंगे आपकी बात/ Effective Ways to Communicate Your Child in Hindi
#1. ज़रा सी एक्टिंग से काम बन सकता है
अगर आप बच्चे को कुछ गलत करते हुए देख लें, तो उसी वक़्त उसे टोके नहीं। ऐसा दिखाएं जैसे आपने कुछ नहीं देखा। फिर दूसरी ओर देखते हुए डिटेल में बताएं कि बच्चा क्या कर रहा था। इससे उसे लगने लगेगा कि आपके पास ऐसी शक्ति है, जिससे आप उसे देख सकते हैं। 7 साल से छोटे बच्चों पर तो ये तरकीब ज़रूर काम करती है।[जरूर पढ़ें - क्या बच्चों को हमेशा पीटना / डांटना सही हैं?]
#2. 'न' की जगह ये कहें
बच्चों को 'न' सुनना कतई पसंद नहीं होता, उन्हें लगने लगता है कि उन्हें आज़ादी नहीं दी जा रही। ऐसा न हो, इसके लिए आप बिना 'न' कहे उन्हें मना करें। मसलन, अगर वो आपसे कहे कि वो गेम खेलना चाहता है, तो उससे कहें कि ठीक है, पर पहले उसे अपना होमवर्क करना होगा। न नहीं सुनने पर वो विद्रोह करने की ज़रूरत नहीं समझते और बात मान लेते हैं।
#3. हल्की सज़ा, ज़्यादा असर
रिसर्च में पाया गया है कि बच्चों का स्वाभाव कुछ ऐसा होता है कि उन्हें जिस ग़लत काम को करने के लिए कड़ी सज़ा दी जाती है, उसे करने के वो ज़्यादा इच्छुक होते हैं। सज़ा का डर उन्हें उस ग़लत काम की याद दिलाता रहता है। वहीं, अगर बच्चों को हल्की सज़ा देने को कहा जाये तो बहुत सम्भावना होती है कि वो उस काम को करना भूल जायेंगे। यानि, 'तुम्हें पीटा जायेगा' कहने के बजाय आपको कहना चाहिए 'तुम्हें एक टॉफ़ी कम दी जाएगी'। [जरूर पढ़ लें - क्या आप बच्चों को हर छोटी गलती पर सजा देते है औरइसके दुष्प्रभाव?]
#4. कहानी के ज़रिये बनायें काम
बच्चों को सीधे कोई काम करने को कहने के बजाय यदि आप उसे किसी कहानी के ज़रिये उस काम का महत्त्व समझाएंगे तो आपकी बात मानी जाने की सम्भावना ज़्यादा होगी।
#5. करने दें आज़ादी का एहसास
ये ट्रिक बच्चों पर ही नहीं, एडल्ट्स पर भी काम करती है। ये मानव स्वाभाव से सम्बंधित है। उन्हें 'न' कहने का मौका दें। उन्हें बताएं कि आप उनसे क्या करवाना चाहते हैं पर उन्हें ये भी बताएं कि वो जो चाहें वो करने को आज़ाद हैं। इससे उन्हें ये नहीं लगता कि उन्हें फ़ोर्स किया जा रहा है और वो बात मान लेते हैं।
तो इन तरीकों को आजमा कर आप अपने बच्चे से ना सिर्फ बात मनवा सकते हैं बल्कि उनको अनुशासित भी बना सकते हैं।
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