क्या आप अपने बच्चे को समय नहीं दे पा रहे हैं – कुछ असरदार तरीके

माता पिता बनना हमारे जीवन का सबसे पुरस्कृत व परिपूर्ण कर देने वाला अनुभव है, परन्तु यह अनुभव बिलकुल भी आसान नहीं है। आपके बच्चे/बच्चों की उम्र चाहे कितनी भी हो, आपका दायित्व कभी खत्म नहीं होता। अच्छे माता पिता बनने के लिए आपको इस कला में माहिर होना पड़ेगा कि अपनी व्यस्त दिनचर्या के बावजूद कैसे अपने बच्चों को सही व गलत के बीच के अंतर की शिक्षा देते हुए आप उन्हें विशिष्ट एवं प्यारे महसूस करवा सकते हैं।
आजकल की भागदौड़ भरी जिंदगी में माता-पिता अपने बच्चों को पर्याप्त समय नहीं दे पाते और इसका असर बच्चों के व्यवहार के साथ ही उनके व्यक्तित्व व पढ़ाई पर भी पड़ता है। आप अपने काम में व्यस्त होते हैं, परन्तु अपने बच्चों के जीवन के ख़ास लम्हों के लिए हमेशा वक़्त निकालें, चाहे वो नर्सरी में एक कविता सुनाना हो या फिर स्नातक की पढाई । आपके बॉस को याद रहे ना रहे कि आप एक मीटिंग में उपस्थित नहीं थे पर आपके बच्चों को यह निश्चित रूप से याद रहेगा कि आप उनके प्ले में शामिल नहीं थे। हालाँकि आपको अपने बच्चों के लिए हर चीज़ त्यागने की आवश्यकता नहीं अपितु यह प्रयास सदैव करना चाहिए कि जरूरी मौकों पर आप अवश्य ही शामिल हो पाएं। यदि आप यह जानना चाहते हैं अपने बच्चों को समय देने के लिए क्या किया जाए, तो नीचे दिए गए कुछ टिप्स आपके काम आ सकते हैं :
- आप चाहें तो दिन का एक समय अपने बच्चों की बातों के लिए निश्चित कर सकते हैं । यह सोने से पहले, नाश्ते के दौरान अथवा स्कूल से लौटते वक्त हो सकता है । पर इस समय में अपना 100% दें । प्यार भरा स्पर्श और परवाह से भरा आलिंगन ही काफी है आपके बच्चों को यह बताने के लिए की वास्तव में वे आपके लिए कितने मूल्यवान हैं । यदि आपके बच्चे कहते हैं कि उन्हे आपसे कुछ कहना है, तो इस बात को गंभीरता से लें, और सब काम छोड़ कर उनकी बात सुनें। अथवा एक ऐसा समय सुनिश्चित करें जब आप उनकी बात को वास्तव में ध्यान से सुन सकते हैं । माता-पिता को बच्चों के साथ क्वॉलिटी टाइम बिताना चाहिए तभी वह अपने बच्चे की अच्छाईयों और बुराइयों को समझ सकेंगे।
- आजकल माता- पिता और बच्चों के बीच संवादहीनता बढ़ रही है, उसका एक प्रमुख कारण है मोबाइल/ इन्टरनेट पर अपने रिश्तों से अधिक समय देना। इससे बच्चों में ही नहीं, परिवार में भी एकाकीपन बढ़ता है और लोग उस अवास्तविक संसार को अपनी ज़िंदगी में वो जगह देते हैं जो उनके परिवार को मिलनी चाहिए। इसलिए समाज और दुनिया से जुड़े रहने के साथ ही अपने बच्चों से, परिवार से भी जुड़े रहें। खास बात यह है कि आप अपने बच्चे को महसूस कराएं कि आप उन्हें प्राथमिकता देते हैं, अपनी नौकरी, व्यवसाय, सामाजिक जिम्मेदारियों या मोबाइल से ज्यादा महत्वपूर्ण उन्हें मानते हैं और वे किसी भी समय आपसे अपनी बात कह सकते हैं।
- बच्चों की समस्याओं को नजरअंदाज करने की बजाए उसका तुरंत समाधान करें। आपको ऐसा माहौल बनाये रखना चाहिए कि बच्चे अपनी समस्याओं के साथ निसंकोच आपके पास आ सकें, फिर चाहे परेशानी कितनी भी छोटी या बड़ी हो। अपने बच्चों को सुनें और उनका सम्मान करें । ।इसके अलावा सबसे जरूरी है कि माता-पिता अपने कार्य- व्यवहार और आपसी तालमेल बेहतर रखें चूंकि जो माता-पिता करते हैं बच्चे भी वही सीखते हैं।
- बच्चों का मनोबल बढ़ाने के लिए बच्चों को प्रोत्साहन देना बहुत जरूरी है। अगर बच्चा अच्छा काम कर रहा है तो उसे इनाम स्वरूप कुछ देना चाहिए ताकि बच्चे और भी मन लगा कर काम करें। तथापि बच्चों को यह बताना अनिवार्य है कि वे कहाँ गलत हैं, बच्चों को सीमाओं में बंधने की भी जरुरत है। जरूरत पड़ने पर आप ना कह सकते हैं, पर ना कहने का एक उचित कारण व अन्य विकल्प भी साथ में दें । “क्योंकि मैंने ऐसा कह दिया “ यह कारण अनुचित व अमान्य है। बच्चों को कोई भी बात उसकी आयु और मानसिक स्तर के हिसाब से समझाना चाहिए।
- माता-पिता ये ध्यान रखें कि बच्चे घर या बाहर कैसे माहौल में रहते हैं, वे किस चीज में रुचि ले रहे हैं और क्या सीख रहे हैं। उनसे हर रोज स्कूल की गतिविधियों के बारे में पूछें ताकि बच्चे और माता-पिता के बीच संवाद कायम रहे। बच्चों से उनकी पढ़ाई के साथ ही दोस्तों के बारे में भी पूछें, वे स्कूल में लंच ब्रेक में क्या करते हैं, कैसे खेल खेलते हैं, उनकी दिनभर की दिनचर्या कैसी थी, इन बातों की जानकारी रखें।
- बच्चों की तुलना दूसरों से करने से बचें, क्योंकि ऐसा कर पाने में विफलता, बच्चों में मन में अपने लिए हीन भावना जगा सकती है कि चाहे वे कुछ भी करें पर आपकी नज़रों में कभी अच्छे नहीं बन पायेंगे । हर बालक अलग एवं अनूठा होता है और आप अपने बच्चों के बीच प्रेम सम्बन्ध का पोषण करना चाहेंगे ना कि प्रतियोगिता का । पक्षपात से हमेशा बचें, यदि बच्चे आपस में झगड़ रहे हैं, तो किसी एक का पक्ष ना लें, बल्कि निष्पक्ष और तटस्थ निर्णय लें ।
- माता-पिता को चाहिए कि वे बच्चों के मन की बात को समझें। सिर्फ बड़े ही नहीं, बच्चे भी आजकल बहुत दबाव में रहते हैं। पढ़ाई का दबाव, खेलकूद में आगे रहने का दबाव, पाठ्येतर गतिविधियों (एक्सट्राकरीकुलर एक्टिविटीज़) का दबाव। ऐसे में माता-पिता को चाहिए कि वे अपने बच्चों का सहयोग करें, उनकी मनःस्थिति को समझें और अगर बच्चे की पढ़ाई के अलावा किसी अन्य चीज में रुचि है, तो उसे बढ़ावा दें। बच्चों की रुचि अनुसार मैदान, संग्रहालय या पुस्तकालय जाने के लिए दिन निश्चित करें ।
- अंत में तो सबसे महत्वपूर्ण बात यह ही है कि हम आने बच्चों को ऐसी पोषक व सकारात्मक वातावरण प्रदान करें, जिससे उन्हें यह लगे कि वे एक स्वतंत्र, कामयाब, आत्मविश्वासी एवं वत्सल इंसान में विकसित हो सकते हैं। चाहे आप उनसे कितना ही नाराज़ क्यों ना हों, उन्हें हर दिन यह बताएं कि आप उनसे कितना प्यार करते हैं और कुछ भी हो जाये आपका प्रेम उनके प्रति कभी कम नहीं होगा ।
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