नेताजी सुभाषचंद्र बोस की जीवनी आपके बच्चे के लिए सीख

सुभाष चंद्र बोस का जन्म 23 जनवरी 1897 को ओडिशा के कटक में हुआ था। उनका नाम भारत के इतिहास में अमर है। भारत के इस महानतम स्वतंत्रता सेनानियों ने आखिरी दम तक अंग्रेजों के दांत खट्टे किए। उनकी ओर से दिया गया ‘जय हिंद’ का नारा भारत का राष्ट्रीय नारा बन गया है। नेताजी सुभाष चंद्र बोस ने भारत की आजादी के लिए काफी संघर्ष किया। उनकी बहादुरी का कायल जापान भी था। उनकी जीवनी से बच्चे बहुत कुछ सीख सकते हैं। सुभाष चंद्र बोस की जयंती पर हम बता रहे हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ ऐसे ही पहलुओं के बारे में जिन्हें बताकर आप अपने बच्चे को प्रेरित करते हुए देश भक्त के साथ ही अच्छा इंसान बना सकते हैं।
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ये हैं उनके जीवन से जुड़े कुछ महत्वपूर्ण पक्ष
- छोटी उम्र से ही रखते थे बड़ों जैसी सोच – सुभाष चंद्र बोस जब स्कूल जाते थे, तो मां उन्हें खाना देकर भेजती थी, पर वह उस खाने को खुद न खाकर एक असहाय बुढ़िया को दे देते थे जो उनके स्कूल के पास रहती थी। दरअसल वह बुढ़िया महिला इतनी असहाय थी कि भोजन तक का जुगाड़ नहीं कर सकती थी। उसकी लाचारगी को देखकर नेताजी रोजाना उसे अपना खाना दे देते थे। एक दिन वह बुढ़िया बीमार हो गई। जब नेताजी ने यह देखा तो उन्होंने उसकी 10 दिनों तक सेवा की। उनकी सेवा के बाद बुढ़िया ठीक हो गई।
- गरीब व असहाय की करते थे मदद – उनके कॉलेज के समय में उनसे जुड़ी एक और ऐसी ही कहानी है। सुभाष चंद्र बोस के घर के सामने एक भिखारिन रहती थी। उस भिखारिन की दयनीय हालत देखकर उनका दिल दुखता था। उन्हें ये देखकर बहुत कष्ट होता था कि उस औरत को दो समय की रोटी भी नसीब नहीं होती। घर न होने की वजह से बारिश, ठंड व धूप में वह अपनी रक्षा नहीं कर पाती है। उन्होंने प्रण किया कि यदि हमारे समाज में एक भी व्यक्ति ऐसा है जो अपनी आवश्यकताएं पूरी नहीं कर सकता, तो मुझे सुखी जीवन जीने का क्या अधिकार है। उन्होंने ठान लिया कि सिर्फ सोचने से कुछ नहीं होगा, कोई ठोस कदम उठाना ही होगा। इसके बाद उन्होंने कॉलेज जाने के लिए मिलने वाले जेबखर्च व किराए को बचाकर उस भिखारिन की मदद शुरू की। उनके घर से कॉलेज 3 किमी दूर था, लेकिन वह किराया बचाकर उसकी मदद के लिए खुद पैदल जाते थे। इन बातों को अपने बच्चों को बताकर आप भी उन्हें असहाय व कमजोरों की मदद के लिए प्रेरित कर सकते हैं।
- देश के आगे करियर का महत्व नहीं – नेताजी ने हमेशा देश को सर्वोपरी माना। यही वजह है कि 1921 में सिविल सर्विस परीक्षा पास करने के बाद शानदार करियर होते हुए भी उन्होंने देश के लिए इसे ठुकरा दिया और आजादी की लड़ाई में कूद गए। उनके इस गुण के बारे में बच्चे को बताते हुए सिखाएं कि देश प्रेम बहुत जरूरी है।
- बचपन से ही देशप्रेम व साहस – नेताजी में बचपन से ही देशप्रेम, स्वाभिमान और साहस की भावना भरी थी। वह अंग्रेजी हुकूमत का विरोध करने के लिए क्लास में अपने सहपाठियों का भी मनोबल बढ़ाते थे। छोटी उम्र में ही उन्होंने यह जान लिया था कि जब तक सभी भारतवासी एकजुट होकर अंग्रेजों का विरोध नहीं करेंगे, तब तक हमारे देश को गुलामी से मुक्ति नहीं मिलेगी। यही वजह है कि उन्होंने देश के लोगों से कहा कि, ‘ये हमारा कर्तव्य है कि हम अपनी स्वतंत्रता का मोल अपने खून से चुकाएं। हमें अपने बलिदान और परिश्रम से जो आजादी मिलेगी, उसकी रक्षा करने की ताकत भी हमारे अंदर होनी चाहिए’।
- स्वाधीनता जरूरी - सुभाष चंद्र बोस के लिए स्वाधीनता जीवन-मरण का सवाल था। उन्होंने पूर्ण स्वाधीनता को देश के युवाओं के सामने एक मिशन के रूप में पेश किया। उन्होंने युवाओं से आह्वान किया कि जो इस मिशन में आस्था रखता है वह सच्चा भारतवासी है। उनका यह संदेश आज के समय में भी बच्चों को प्रेरित कर सकता है।
- अच्छे विचार जरूरी - नेताजी सुभाष चेंद्र बोस ने कहा था कि विचार व्यक्ति को कार्य करने के लिए धरातल प्रदान करता है। उन्नतिशील, शक्तिशाली जाति और पीढ़ी की उत्पति के लिए हमें बेहतर विचार वाले पथ का अवलंबन करना होगा, क्योंकि जब विचार महान, साहसपूर्ण और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत होंगे तभी हमारा संदेश अंतिम व्यक्ति तक पहुंचेगा।
- सबके विकास पर ध्यान - सुभाष चंद्र बोस समग्र मानव समाज को उदार बनाने के लिए हर जाति का विकास चाहते थे। उनका मानना था कि जो जाति उन्नति करना नहीं चाहती, विश्व रंगमंच पर विशिष्टता पाना नहीं चाहती, उसे जीवित रहने का कोई अधिकार नहीं है।
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