क्यों दिखाएँ अपने बच्चे को रामायण या महाभारत जैसी पौराणिक कथाएं?

हम सभी चाहते हैं कि हमारे बच्चे बड़े होने पर अच्छे इंसान बनें और अपनी निजी, पारिवारिक और सामाजिक जिम्मेदारियों को पूरी ईमानदारी से निभायें।
जाहिर है, बच्चों को इस काबिल बनाने में उनकी पढ़ाई-लिखाई का अहम् किरदार होता है पर जीवन में आने वाली तरह-तरह की कठिनाईयों का सामना करने के लिए शिक्षा के अलावा उन्हे ऐसे ज्ञान की जरूरत भी होती है जो उनके अंदर सकारात्मकता, प्रेम, त्याग और दूसरों की भलाई जैसे गुणों का विकास कर सके जिससे वे आगे जाकर अच्छा जीवन जीने के लिए तैयार हो सकें और ऐसे में रामायण और महाभारत जैसी धार्मिक कथाएं बच्चों के जीवन पर बड़ा असर करती हैं।
आप सहमत होंगे कि हममें से ज्यादातर लोग बचपन से रामायण और महाभारत की कहानियां देखते-सुनते बड़े हुए हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि रामायण और महाभारत हमारी धार्मिक पुस्तकें होने के साथ-साथ भगवान श्रीराम और श्रीकृष्ण जैसे किरदारों की जीवनकथाएं हैं जो न केवल हमारी आस्था के प्रतीक हैं बल्कि हमारे जीवन को प्रेरणा भी देते हैं और यही वजह है कि बच्चों को रामायण और महाभारत जैसी पौराणिक कथाओं की जानकारी उन्हें न केवल हमारी संस्कृति से जोड़ती है बल्कि जीवन को आदर्श ढ़ंग से जीने की सीख भी देती है।
बच्चों को रामायण और महाभारत का चित्रण दिखाना कैसे काम आ सकता है?
यह जानी-मानी बात है कि पढ़-सुनकर सीखने के बजाए बच्चे चीजों को देखकर ज्यादा जल्दी सीखते हैं और रामायण और महाभारत में ऐसे बहुत से प्रसंग हैं जो हमारी आज की जीवनशैली पर बिल्कुल ठीक बैठते हैं। जब बच्चे इन कथाओं पर आधारित कार्यक्रमों को देखते हैं तो यह बच्चों के लिए जीवन के सैद्धांतिक और व्यवहारिक रूप को समझने में ज्यादा मददगार होता है।
जैसे प्रभु श्रीराम को श्रेष्ठ पुरूष माना जाता है और मर्यादा पुरुषोत्तम कहा जाता है क्योंकि अपने जीवन में उन्होने सदा धर्म का पालन किया। इसी तरह भगवान श्रीकृष्ण की लीलाएं इस बात को दर्शाती हैं कि जीवन के अच्छे या बुरे हालातों में अपने कर्तव्यों से भागना उचित नहीं है और अपने कर्तव्यों को पूरी ईमानदारी के साथ निभाना चाहिए।
आईए जाने रामायण और महाभारत कार्यक्रम दिखाना बच्चों के लिए कैसे लाभदायक हो सकता हैं-
बच्चों में सकारात्मकता बढ़ाने के लिए
इन धर्म पुस्तकों पर आधारित कार्यक्रमों से बच्चे जान पाते हैं कि कठिन समय से निपटने के लिए हमें ज्यादा काबिल होने के बजाय सही नजरिया रखने की जरूरत होती है और इस खूबी की मदद से हम कोई भी मुश्किल अपनी बुद्धिमानी से चुटकी में हल कर सकते हैं।
सही-गलत का फर्क समझाने के लिए
रामायण और महाभारत बच्चों को सीख मिलती है कि अगर हम किसी वस्तु को पाने के काबिल न हों तो उसे हासिल करने के लिए हमें झूठ या फरेब का सहारा नहीं लेना चाहिए, फिर चाहे वह हमारे लिए कितनी भी जरूरी क्यों न हो।
आपसी रिश्तों की अहमियत समझाने के लिए
बच्चों को आपसी रिश्तों की संजीदगी का अहसास कराती हैं क्योंकि रिश्ते हमारे परिवार और समाज को आकार देने का काम करते हैं। रामायण और महाभारत से हमें जीवन के किसी भी हालात में एक दूसरे के लिए पूरा और अटूट विश्वास रखने और रिश्तों को बरकरार रखने के लिए हमें अपनी प्रिय चीजों को खोने से पीछे न हटने की प्रेरणा देती हैं।
अपनी बात पर कायम रहना सिखाने के लिए
रामायण और महाभारत से हमें सीख मिलती है कि चाहे जो हो, हमें हमेशा अपनी बात पर कायम रहना चाहिए और छोटी-छोटी चीजों के लिए अपने दिए वचन को तोड़ कर अपने शब्दों की अहमियत नहीं घटानी चाहिए।
कमजोर के प्रति दिल में दयाभाव लाने के लिए
रामायण और महाभारत दोनों धर्म पुस्तकों में बताया गया है कि क्षमा करने वाला महान होता है। जब हमारे पास ताकत हो तो हमें दयालू और विनम्र होना चाहिए। यह हमारी शख्सियत को मजबूती देती है और दूसरे हमारा आदर करते हैं।
अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित रहने के लिए
रामायण और महाभारत से हमें यह सीख भी मिलती है कि बिना नतीजे की चिंता किए और बिना अपने हालातों की परवाह किए, हमें हमेशा अपने कर्तव्य के प्रति समर्पित होना चाहिए। फायदा हो या नुकसान, हमें अपने कर्तव्य से पीछे नहीं हटना चाहिए।
ये सभी बातें हमारे बच्चों के चरित्र को संवारने में बड़ी काम आती हैं और जब भी वे किसी समस्या से घिरते हैं तो इनकी मदद से उनका हल पाना आसान हो जाता है।
याद रखिए, रामायण और महाभारत बच्चों को इसलिए दिखाया जाना जरूरी नहीं है कि ये धार्मिक कथाऐं हैं बल्कि इसलिए जरूरी है क्योंकि यह उनके अंदर ईमारीदारी से जीवन जीने का मजबूत अहसास पैदा करने के साथ बच्चों के जीवन को बेहतर बनाती हैं और उनमें भारतीय परंपराओं और संस्कृति के लिए जुड़ाव पैदा करती हैं।
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