क्या माँ-बाप होने के नाते आप अपनी जिम्मेदारियों की हदें लांघ रहे हैं?

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क्या माँ-बाप होने के नाते आप अपनी जिम्मेदारियों की हदें लांघ रहे हैं?

माता-पिता होना एक कला है जिसके लिये आपको बहुत से त्याग करने होते हैं क्योंकि आपका बच्चा आपकी जिम्मेदारी होता है। माँ-बाप होने के नाते बच्चे को पाल-पोष कर बड़ा करने, तन-मन-धन से उसका साथ देने, उसे सामाजिक और समझदार बनाने के लिये सहारा देना भी आपकी की ही जिम्मेदारी है।

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सभी माँ-बाप की अपनी-अपनी खूबियां होती हैं। कुछ माता-पिता बच्चे के पैदा होने के साथ ही उसकी जरूरतों के हिसाब से अपने को ढाल लेते हैं और कुछ को ऐसा करने में थोड़ा समय लग सकता है। माँ होने के नाते आप वह सभी कुछ करती हैं जो आपके बच्चे को खुश, सेहतमंद और सुरक्षित रखता है लेकिन उसी समय एक सवाल आपके दिमाग में जन्म लेता है कि कहीं आप बच्चे के लिये अपनी जिम्मेदारियों की हदें तो नहीं पार कर रहे? हमें कहाँ पर अपनी जिम्मेदारियों को निभाने और इस मामले में आगे बढ़जाने के बीच फर्क करने की जरूरत होती है, लेकिन उसी समय आपके दिमाग में यह सवाल भी आता है कि यह हदें पार करना क्या है?

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यहाँ हद पार कर जाने से मतलब है माँ-बाप होने का वह तरीका जहाँ माँ-बाप अपने बच्चे पर किसी भी सांसारिक काम जैसे जूते के फीते बांधना, अपना बदन पोछना या उनके खुद के बालों में कंघी करने का बोझ तक नही डालना चाहते।

हमारी पीढ़ी से तुलना करें तो आज हम ऐसे युग में रहते हैं जहां बच्चा घर के अन्दर ही खेलता है, मशीन से साफ किया हुआ पानी पीता है और हाथ साफ करने के लिये सेनेटाइज़र का इस्तेमाल करता है। उसकी रक्षा करना और उसे खुश रखना बहुत अच्छी बात है लेकिन यदि आप अपने बच्चे को जीवन में सफल होते देखना चाहते हैं तो एक माता-पिता होने के नाते आप क्या कर सकते हैं, इसकी एक सीमा होनी चाहिये। यहाँ जरूरत है कि आप बच्चे के प्रति अपने प्यार की ताकत को पहचानें और उसकी जरूरत के हिसाब से अपनी जिम्मेदारियों की मुनासिब हद तय करें और एक ऐसा मजबूत माहौल तैयार करें जिससे वह खुद अपनी जिम्मेदारियों का बोझ उठाना सीख सके।

जो बच्चे जरूरत से ज्यादा अपने माँ-बाप के भरोसे होते हैं वे खुद में भरोसे की कमी के साथ बड़े होते हैं और उन्हे जीवनभर किसी न किसी के सहारे की जरूरत होती है। अगर आपके बच्चे को अपने काम आपसे करवाने की आदत है जो इसका मतलब है कि वह कुछ भी नहीं सीख रहा। बच्चों के साथ होने वाली हर बात उन्हें कुछ न कुछ सीखने का मौका देती है। अपने बच्चे से ज्यादा जुड़ाव होने की वजह से आप उस खतरे को बढ़ाते हैं जो कड़ी मेहनत से मिली सीख की खुशी का एहसास कराने, गलतियों से सबक लेकर किसी समस्या को हल करने की खूबी के पनपने और दुनिया को उत्सुकता और उम्मीद से देखने से बच्चे को रोकता है।

कृपया इस लेख के बारे में अपने विचारों और राय के बारे में बतायें। मुझे अच्छा लगेगा यदि आप अपनी जानकारी मेरे साथ साझा करेंगे।

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