आपके बच्चे के लिये कुछ प्रमुख व्रत और उपाय

व्रत एक प्रकार की शक्ति है जिसके बल से जहां रोगों को दूर कर सेहतमंद रहा जा सकता है, वहीं इसके माध्यम से सिद्धि और समृद्धि भी हासिल की जा सकती है। हम सब बहुत से व्रत रह्ते है, जैसे की नवमी,एकदशी, जन्माश्ट्मी,गणेश चतुर्थी, भाई दूज और भी बहुत से, हर व्रत का अपना महत्व है।
बहुत से व्रत किसी कामना की पूर्ति के लिए किए जाते हैं, जैसे पुत्र प्राप्ति के लिए, धन- समृद्धि के लिए या अन्य सुखों की प्राप्ति के लिए। हर मां अपने बच्चे के लम्बी उम्र कि कामना करती है,वो चाहती है की उसका बच्चा जीवन मे तरक्की करे ,नाम कमाये,और दुखो से दूर रहे और इन सब के लिये वो अलग - अलग तरह के व्रत और उपाय करती है।ऐसा माना जाता है की मां जो भी व्रत रखती है उसका फल उसके बच्चे को भी मिलता है।
कुछ ऐसे ही व्रत जो माताये अपने बच्चो के लिये करती है
प्रदोष व्रत
- प्रदोष व्रत में भगवान शिव की उपासना की जाती है. यह व्रत हिंदू धर्म के सबसे शुभ व महत्वपूर्ण व्रतों में से एक है|
- हिंदू चंद्र कैलेंडर के अनुसार प्रदोष व्रत चंद्र मास के 13 वें दिन (त्रयोदशी) पर रखा जाता है।
- माना जाता है कि प्रदोष के दिन भगवान शिव की पूजा करने से व्यक्ति के पाप धूल जाते हैं और उसे मोक्ष प्राप्त होता है।
- संतान प्राप्ति की कामना हो तो शनिवार के दिन पड़ने वाला प्रदोष व्रत करना चाहिए।
- औरते अपने संतान कि अच्छी सेहत और लम्बी आयु के लिये ये व्रत करती है।
छठ पर्व या छठ
- छठ पर्वयाछठकार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को मनाया जाने वाला एकहिन्दूपर्व है ।
- कार्तिकमास कीअमावस्याकोदीवालीमनाने के बाद मनाये जाने वाले इस व्रत की सबसे कठिन और महत्त्वपूर्ण रात्रिकार्तिक शुक्ल षष्ठीकी होती है।
- कार्तिक शुक्ल पक्ष के षष्ठी को यह व्रत मनाये जाने के कारण इसका नामकरण छठ व्रत पड़ा है।
ऐसी मान्यता है कि छठ पर्व पर व्रत करने वाली महिलाओं को संतान की प्राप्ति होती है। पुत्र की चाहत रखने वाली और संतान की कुशलता के लिए सामान्य तौर पर महिलाएँ यह व्रत रखती हैं। पुरुष भी पूरी निष्ठा से अपने मनोवांछित कार्य को सफल होने के लिए व्रत रखते हैं।
जिउतिया
- संतानों के स्वस्थ, सुखी और दीर्घायु होने के लिए माताएं जीवित्पुत्रिका व्रत करती हैं. कुछ इलाकों में इसे 'जिउतिया' भी कहा जाता है.
- यह आश्विन मास के कृष्णपक्ष की प्रदोषकाल-व्यापिनी अष्टमी के दिन किया जाता है.
- आश्विन कृष्ण अष्टमी के प्रदोषकाल में पुत्रवती महिलाएं जीमूतवाहनकी पूजा करती हैं.
कैलाश पर्वत पर भगवान शंकर माता पार्वती को कथा सुनाते हुए कहते हैं कि आश्विन कृष्ण अष्टमी के दिन उपवास रखकर जो स्त्री सायं प्रदोषकाल में जीमूतवाहनकी पूजा करती हैं और कथा सुनने के बाद आचार्य को दक्षिणा देती है, वह पुत्र-पौत्रों का पूर्ण सुख प्राप्त करती है. व्रत का पारण दूसरे दिन अष्टमी तिथि की समाप्ति के बाद किया जाता है. यह व्रत अत्यंत फलदायी है.
पूर्णिमा
- हिन्दू मान्यतानुसार पूर्णिमा तिथि चंद्रमा को सबसे प्रिय होती है। पूर्णिमा के दिन चन्द्रमा अपने पूर्ण आकार में होता है। पूर्णिमा के दिन पूजा-पाठ करना और दान देना बेहद शुभ माना जाता है।
- वैशाख, कार्तिक और माघ की पूर्णिमा को तीर्थ स्नान और दान-पुण्य दोनों के लिए सबसे अच्छा माना जाता है।
- प्रत्येक मास की पूर्णिमा को इसी प्रकार चन्द्रमा की पूजा करनी चाहिए। इससे उन्के बच्चो को चन्द्रमा की तरह शांत और शितल स्वभाव का बनाता है और सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
कुछ सरल उपाय बच्चो के लिये
- नियमित सूर्य को जल देने से आत्म शुद्धि और आत्मबल प्राप्त होता है। सूर्य को जल देने से आरोग्य लाभ मिलता है।
- सूर्य को नियमित जल देने से सूर्य का प्रभाव शरीर में बढ़ता है और यह आपको उर्जावान बनाता है। कार्यक्षेत्र में इसका आपको लाभ मिलता है।
- शनिवार के दिन पिपल के पेड़ के नीचे हनुमान चालीसा पढ़ने से हनुमानजी और शनिदेव की कृपा प्राप्त होती है।
- शनिवार की शाम पिपल की जड़ के पास सरसों के तेल का दीपक जलाने से घर में सुख समृद्धि और खुशहाली आती है तथा रुके हुये काम बन जाते है।
Be the first to support
Be the first to share
Comment (0)
Related Blogs & Vlogs
No related events found.
Loading more...