बच्चे को कैसे समझाएं गुड टच और बैड टच का फर्क ?

गुड टच (Good touch) क्या है ? बैड टच (Bad touch) क्या है? अपराधी कौन है? आखिर ये क्यों हो रहा है? हमें अपने घर का माहौल कैसा बना कर रखना चाहिए? कैसे पहचाने कि बच्चे के साथ यह समस्या हो रही है? इस तरह की समस्या होने पर माता-पिता को किस तरह का व्यवहार करना चाहिए और पैरेंट्स की क्या जिम्मेदारियां होती हैं। इस तरह के कई सवाल आपके मन में भी आते होंगे। एक मां होने के नाते मैं आपके इन सवालों को बखूबी समझ सकती हूं। आज मैं इस ब्लॉग के माध्यम से आपके साथ अपने कुछ अनुभवों को शेयर करना चाहती हूं।
मासूम बच्चियों के साथ दुष्कर्म की घटनाओं के बारे में जब पता चलता है तो बहुत ही बुरा लगता है। ऐसा लगता है कि जैसे मानवता बिल्कुल छिन्न-भिन्न हो गई हो। ज्यादातर स्थितियों में कोई ना कोई आसपास रहने वाला, नजदीकी व्यक्ति ही इसमें सम्मिलित होता है। अक्सर देखा गया है कि बाल अपराधी , बच्चों को प्यार से बुलाते हैं और उनके समझने से पहले ही उनका शोषण हो चुका होता है । वह व्यक्ति उनसे बहुत प्यार से पेश आ रहा होता है जिस वजह से बच्चा कुछ कर भी नहीं पाता । कई बार तो उन्हें चॉकलेट या कुछ खाने की चीजों का लालच भी दिया जाता है।
गुड टच (अच्छा स्पर्श) क्या है?
अगर कोई आपको टच करता है और आपको अच्छा लगता है, आपको प्रेम, अनुराग और स्नेह की अनुभूति होती है तो वह गुड टच है। जैसे आपकी माताजी, पिताजी, भाई-बहन, दादी के छूने पर आपको फील होता है।
बैड टच (बुरा स्पर्श) क्या है?
जब कोई व्यक्ति जो आपको कुछ इस प्रकार से छुए कि आपको बहुत शर्मिंदगी महसूस हो, कुछ अच्छा नहीं लगे, उस तरह के छूने को हम बैड टच कहते हैं। वह आपके प्राइवेट पार्ट को छूने का प्रयास भी कर सकता है। अगर कोई व्यक्ति इस तरह से छुए और आपको लगे कि ऊपर से यह भी कह सकता है कि किसी को बताना नहीं तो यह एक की बैड टच की निशानी है। कुछ मामलों में देखा गया है कि कोई पड़ोसी या फिर कोई आसपास रहने वाला व्यक्ति या रिश्तेदार, जिनका घर में आना जाना हो, वे भी इसमें सम्मिलित होते है। कई बार तो हद हो जाती है जब बुजुर्गों का भी नाम इसमें निकल कर आता है। यह वह घटना है, जिसे उस उम्र में, जब उनके साथ यह सब हो रहा होता है, बच्चे बच्चियां कुछ समझ ही नहीं पाते क्योंकि वे तो अभी नादान मासूम होते हैं। इसलिए पेरेंट्स की जिम्मेदारी बनती है कि जब बच्चा स्कूल जाने लायक हो या वह मोहल्ले में खेलने, उठने-बैठने लायक हो जाए तो उसे दिनभर की रूटीन के बारे में जरूर जानकारी लें और उसे आसान भाषा में समझाने की कोशिश करें कि उनके साथ क्या हो रहा है।
घर का माहौल कैसा होना चाहिए?
आप अपने बच्चे के साथ बैठकर कुछ गपशप में ही यह सब बातें उन्हें समझाएं। उन्हें ऐसा ना लगे कि उनके ऊपर कुछ मानसिक दबाव डाला जा रहा है, लेकिन उन्हें कुछ इस तरह से यह बातें उनके मन में समझाई जाए कि उन्हें मालूम चले कि गुड टच-बैड टच क्या है। इसके लिए हमें उनको ऐसी परिस्थितियों से बचने के उपाय समझाना जरूरी है। उन्हें विस्तार से समझाना जरूरी है। हर बच्चे का दिमागी विकास समान नहीं होता है, एक निर्धारित विषय के लिए निर्धारित आयु नहीं होती , किसी को यह बात जल्दी समझ में आती है तो किसी को नहीं। लेकिन मां-बाप होने के नाते हमें उन्हें इस से रूबरू कराते रहना चाहिए कि क्या उनके लिए सही है और क्या गलत। 2 से 3 साल की उम्र में बच्चे को उनके साथ दुर्व्यवहार के बारे में बताना जरूरी है। बच्चों से हमें यह व्यवहार, दोस्ताना रूप से समझाना पड़ेगा कि कौन सा व्यक्ति आपके सामने अच्छा मित्र और बुरा मित्र के रूप में आ रहा है।
क्यों अच्छा स्पर्श / बुरा स्पर्श का ज्ञान प्रदान करने के लिए आवश्यक है?
आंकड़ों के मुताबिक नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की ओर से साल 2016 में जारी की गई अपराध पर आधारित आखिरी रिपोर्ट के आधार पर देश में बच्चों पर आपराधिक गतिविधियों में इजाफा हुआ है। साल 2014 में बच्चों पर अपराध के जहां 89,423 घटनाएं, साल 2015 में 94,172 और 2016 में 1,06,958 घटनाएं दर्ज हुई। साल 2016 में 36 हजार से ज्यादा मामले पॉक्सो एक्ट के तहत दर्ज किए गए। बाल यौन शोषण के मामले में साल 2016 के आंकड़ों के मुताबिक तकरीबन 34.4 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई। जिस हिसाब से बाल यौन शोषण के मामले लगातार बढ़ते जा रहे हैं तो ये महत्वपूर्ण है कि हम अपने बच्चों को अच्छे स्पर्श के बारे में खुलकर समझाएं। हमारे बच्चों को जिंदगी में आगे बाहर निकलकर, स्कूलों में, कॉलेजों में, खेलकूद के लिए कहीं ना कहीं जाना है लेकिन हम सभी जगह उनके साथ उपलब्ध नहीं रह सकते। तो हमें ऐसा कुछ करना चाहिए जिससे कि हम उनके आने वाले भविष्य के लिए उन्हें तैयार कर सके। अच्छे और बुरे बीच में एक रेखा को जानना बहुत जरूरी है। उन्हें समझाना पड़ेगा कि उनके प्राइवेट पार्ट किसी को दिखाई देना या छूना सही नहीं है। उन्हें यह बताना है तो हमें जो हिस्सा स्विमसूट से रखते हैं, वह किसी को छूने नहीं देना है।
कैसे पहचाने कि बच्चे के साथ यौन शोषण से संबंधित समस्या हो रही है?
बदलते समय के साथ यह भी जरूरी है कि बच्चे की सुरक्षा को लेकर हम अलर्ट रहें । हमें कोशिश करनी चाहिए कि बच्चे को पहले से सावधान कर सकें कि उसे किस तरह से छुआ जा रहा है । इसके लिए परिवार के सदस्यों का भी जरूरी है कि वह बच्चों को यह सिखाएं कि किसी भी तरह से बाहरी व्यक्ति के छूने से, उसे इस बात का पता चल जाए कि यह गुड टच है या बैड टच ।
- यदि बच्चा अचानक कुछ बेचैन होकर, डरा सा रहने लगा है, बिस्तर पर पेशाब कर रहा है
- अचानक से रो पड़ता है, बात बात पर बेचैन होता है
- अकेला रहता है, तो समझ जाइए मामला कुछ गड़बड़ है। फिजिकल जांच कर देखे, कोई गलत हरकत या खून तो नहीं बह रहा है।
- हमें बच्चे को कुछ इस तरह से सिखाना है कि कैसे वह अपने आप से पता लगा सके कि यह गुड टच है या बैड टच ।
बच्चे को यौन शोषण का शिकार बनने से रोकने के लिए क्या करें पैरेंट्स?
- बच्चे के बदलते व्यवहार के बारे में भी आपको जानकारी रखनी पड़ेगी ।
- कई बार बच्चे स्वयं भी, इस राह पर निकल पड़ते हैं , मां-बाप को इसकी जानकारी भी नहीं होती क्योंकि वे उनके साथ बैठकर बात ही नहीं करते।
- उन्हें दिन भर में बच्चे ने क्या किया वह मालूम ही नहीं होता । क्योंकि वह सारा समय अपने दूसरे क्रियाकलापों में व्यस्त रहते हैं।
- बच्चों के साथ बात करनी भी बहुत आवश्यक है।अगर किसी बच्चे के साथ कुछ हो जाता है तो उसे क्या कदम उठाने चाहिए। इस बारे में भी उन्हें बताना जरूरी है।
- कुछ घटनाओं में, मासूम कुछ समझ नहीं पाते और किसी को बता भी नहीं पाते कि उसके साथ हो क्या रहा है। इसके लिए आपको बच्चे को पहले तो अकेला नहीं छोड़ना है।
- आपको चाहिए कि बच्चे किसी के सहारे /साथ रहे। आपको चाहिए कि अपने समय का इस प्रकार नियोजन करें कि जब बच्चे घर पर हो आप उनके साथ ही समय गुजारे।
- अगर नहीं हो पाता तो एक अच्छे समझदार भाई बहन दादी दादा जैसे व्यक्ति के साथ उन्हें छोड़कर जाएं ।
- बच्चे को खुलकर इस बारे में बात कर कर बताएं कि आपको लिए यह अच्छा है यह आपके लिए बुरा है। अगर आप स्वयं ही शर्मते रहेंगे तो बच्चे तक बात कैसे पहुंचेगी।
- आपको अपनी खुद के शर्मीलेपन को छोड़कर बच्चे को बताना है कि यह उसके शरीर को छूएं जाने वाले हिस्से हैं या नहीं हैं। वह कौन से रिश्ते हैं जिनके बारे में उन्हें खास ख्याल रखना है । कौन से लोग हैं जिनके बारे में क्या ख्याल रखना है।
- इस प्रक्रिया को महीने में दोहराते रहेंगे तो बच्चे की याददाश्त तरोताजा बना रहेगा। यह नहीं एक बार बता दिया और उसके बाद आप का छुटकारा हो गया। आपको इस विषय पर दी जाने वाली सलाह को बार-बार, कुछ समय अंतराल पर दोहराते रहना है।
- बच्चे की रूटीन का भी आपको जरूर ध्यान रखना है। कहाँ जाता है, किसे मिलता है, उससे कौन मिलने आते हैं, आपके घर पर ना होने पर पूरा विवरण आपको उससे बातचीत में ले लेना ताकि कोई भी हादसा उसके साथ ना हो जाए ।
- बच्चे को विश्वास दिलाएं कि आप जब उसके पास है तो सब कुछ ठीक है। आप बच्चे को समझाएं कि उसका कोई दोष नहीं है। अगर वह परेशान रहेगा तो वह इससे बाहर नहीं निकल पाएगा । आपको काउंसलर्स और डॉक्टर की हेल्प लेनी पड़ सकती है।
लेकिन इसमें आप शर्मिंदगी महसूस ना करें क्योंकि यह बच्चे की जीवन का सवाल है। इसमें उसका कोई दोष नहीं, दोष उस व्यक्ति का है जिसने उसकी मासूमियत का नाजायज फायदा उठाया है। आपको इसके खिलाफ आवाज भी उठाना जरूरी है। अध्ययनों से बात सामने आई है कि ये मामले बढ़ रहे हैं क्योंकि कोई आवाज ही नहीं उठाता, जिनके साथ होता है, वह अपने बच्चों की काउंसलिंग करा कर चुप होकर बैठ जाते हैं। जबकि होना यह चाहिए कि जिस व्यक्ति ने उनके साथ ऐसा कुछ किया, उसको पुलिस के दायरे तक पहुंचाया जाए। उसके खिलाफ रिपोर्ट कराई जाए ताकि एक उदाहरण बने। सबको मालूम चले कि अगर कोई व्यक्ति इस तरह का व्यवहार करता है तो उसके साथ किस प्रकार से पुलिस व्यवहार करगी। आपको यह बताने में कोई शर्मिंदगी महसूस नहीं होनी चाहिए कि यह व्यक्ति जिसने यह दुष्कर्म किया है आपके खुद के परिवार का ही सदस्य था या आपका एक अच्छा मित्र बन रहा था, जिसने यह गलत हरकत आपके मासूम बच्चे के साथ की हैं। ज्यादातर बच्चे जल्दी सीखना शुरू कर देते हैं। उन्हें यह समझना में देर नहीं लगती, कौन उनके लिए अच्छा है और कौन उनका के लिए बुरा है , अनजान है । उन्हें यह भी बताना चाहिए कि किसी से कुछ खाने की चीज नहीं लेनी चाहिए। उन्हें प्राइवेट पार्ट्स के बारे में समझाना और बतलाना बहुत मुश्किल काम भी हो सकता है लेकिन धैर्य बनाए रखें। चूमने और गोद लेने पर नजर रखें। कई व्यक्ति बार-बार उसे गोद में लेने की कोशिश करते हैं, चूमने की कोशिश करते हैं, तो मां-बाप को इस बारे में शिकायत करना और साफ इंकार कर देना, बच्चे को समझाना चाहिए। बच्चे को बताएं कि किसी भी स्थिति में वे शरीर के अंगों को नहीं छूने देंगे। अगर बच्चे के साथ ऐसा होता है, तो भी उन्हें डरना नहीं चाहिए और मदद के लिए चिल्लाना चाहिए। उन्हें बताएं कि एक आवाज पर उनकी मदद के लिए कितने लोग पहुंचेंगे। बच्चे को यह भी बताएं कि उन्हें स्थिति देखनी चाहिए और यह समझना चाहिए कि किसी सुरक्षित स्थान पर कैसे पहुंचें और चिल्लाएं या अलार्म बजाएं।
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