प्रेगनेंसी में हाई ब्लड प्रेशर

प्रेगनेंसी में आपको अनेक तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, इन में से हाई ब्लड प्रेशर प्रमुख है। प्रेगनेंसी के दौरान हाई ब्लड प्रेशर का जोखिम और भी बढ़ जाता है। यह आपके लीवर और किडनी को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही भ्रूण को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और रक्त की आपूर्ति से रोकता है। कुछ मामलो में यह गंभीर दौरे यानी एक्लंप्षण का कारण भी बनता है। जब महिलाओं का प्रेगनेंसी में ब्लड प्रेशर बढ़ जाता है और प्रसव में कुछ समय बाद रक्तचाप सामान्य हो जाता है तो गर्भावस्थाजनित उच्च रक्तचाप या प्रेगनेंसी इंड्यूस हाइपरटेंशन कहलाता है।
हाई ब्लड प्रेशर के लक्षण / Symptoms of high blood pressure in Pregnancy In Hindi
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प्रेगनेंसी में अगर सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic blood pressure) 140 मि.मी. और डायस्टोलिक ब्लड प्रेशर (diastolic blood pressure) 90 मि.मी. से ज्यादा होता है तो समझ लीजिये की आपको हाई ब्लड प्रेशर है। जब तक डायस्टोलिक रक्तचाप 100 मि.मी. तक रहता है, तब हाई ब्लड प्रेशर हलका और जब यह 110 मि.मी. से ज्यादा हो जाता है तो गंभीर हाई ब्लड प्रेशर होता है।
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अगर हाई ब्लड प्रेशर के साथ आपके पैरों, हाथों में सूजन, पेशाब में प्रोटीन आती है, तो आपको प्री एक्लैम्पसिया हो सकता है। अगर इसपे नियंत्रण नहीं रखा जाए तो इस से अनेक समस्याएं हो सकती हैं जैसे कि झटके आने लगते हैं, जिसे एक्लैम्पसिया या टौक्सीमिया औफ प्रेगनेंसी कहते हैं।
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हाइपरटेंशन (hypertension) की समस्या होना अगर आपको पहले से हाई ब्लड प्रेशर की समस्या है और आप प्रेग्नेंट हो जाती हैं तो आपका रक्तचाप बढ़ सकता है, इस अवस्था में प्री एक्लैम्पसिया होने की संभावना ज्यादा रहती है।
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कुछ लक्षण जैसे कि सिरदर्द, आंखों के सामने अंधेरा छाना, कम दिखाई देना, पेट के ऊपरी हिस्से में दर्द, पेशाब कम आना, फेफड़ों में सूजन आने के कारण सांस फूलना। ये लक्षण आपके गुरदे और जिगर को नुकसान पहुंच सकता हैं, रक्त में प्लेटलेट कणिकाओं की कमी के कारण रक्तस्राव हो सकता है,आपको झटके आ सकते हैं, गर्भ में शिशु का विकास रुक सकता है।हाई ब्लड प्रेशर की समस्या होने पर लापरवाही करने से स्थिति गंभीर हो सकती है।
उच्च रक्तचाप का उपचार / Some Tips To Follow For High Blood Pressure In Pregnancy
प्रेगनेंसी में ब्लडप्रेशर बढ़ जाना गंभीर समस्या है। अगर समय पर उपचार नहीं किया गया, तो आपको अनेक गंभीर समस्याएं हो सकती हैं। परहेज और उपचार से काफी हद तक बचाव संभव है। गर्भावस्था में पर्याप्त परहेज और उपचार कर ब्लडप्रेशर को सामान्य बनाए रखने की कोशिश करें। इस दौरान आपके और शिशु के स्वास्थ्य पर बराबर निगरानी होनी चाहिए। कुछ बातों का ध्यान दें जैसे की --
- आराम करे -- प्रेगनेंसी में अगर आप हाई ब्लडप्रेशर ग्रस्त हैं तो आप को बाईं करवट लेट कर आराम करना चाहिए।
- ब्लडप्रेशर कम करने वाली दवा ले -- अगर सिस्टोलिक प्रेशर 160 मि.मी. या डायस्टोलिक रक्तचाप 100 मि.मी. से ज्यादा है तो आप को ब्लडप्रेशर कम करने वाली दवाओं का नियमित सेवन अवश्य करना चाहिए। लेकिन इस दौरान दवाएं बहुत सावधानीपूर्वक ले| कुछ दवाएं जैसे पेशाब ज्यादा होने वाली दवाओं के सेवन से घातक प्रभाव हो सकते हैं।
- अल्ट्रासाउंड आदि जांच (ultrasound )-- गर्भस्थ शिशु के स्वास्थ्य की निगरानी रखने के लिए उन का हर 3 सप्ताह पर अल्ट्रासाउंड तथा मां के रक्त की जांचें करानी चाहिए।
- वजन जांच करे(check weight) -- जब तक आपका ब्लडप्रेशर सामान्य न हो जाए,तब तक हर दिन वजन जांच करे, हर दूसरे दिन पेशाब में प्रोटीन की जांच तथा हर 4 घंटे पर रक्तचाप की माप होनी चाहिए।
- प्रोटीन और कैल्शियम लें(take protein and calcium) -- प्रेगनेंसी में आपको पर्याप्त मात्रा में प्रोटीन, कैल्सियम का सेवन करना चाहिए.रोजाना 2 ग्राम कैल्सियम की गोलियों का सेवन करना चाहिए।
- नियमित जांच (regular check-up)-- हर गर्भवती महिला की नियमित अंतराल पर रक्तचाप तथा पेशाब में प्रोटीन की जांच जरूरी है, जिस से रोग का जल्दी से जल्दी उपचार शुरू हो सके
- परिवार में इसकी समस्या(family background of high blood pressure ) -- अगर आपके परिवार में यह कई वंश से है या अन्य कारणों से आपको ग्रस्त होने का भय है तो आपको इस से बचाव के उपाय करने चाहिए और सावधान रखना चाहिए|
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