बच्चे की परवरिश को कैसे आसान बनाएं, जानिए एक अनुभवी मां से

बच्चों की परवरिश एक ऐसी कला है ,जिसे हम एक बार शुरू तो करते हैं पर, जीवन भर कुछ नया तो हमें सीखते ही रहना पड़ता है, यानि की अपडेट करते रहना भी एक ज़िम्मेदारी ही है बस यूँ समझ लीजिये। तो ऐसा ही हुआ ,हमारे साथ यानी कि मैं और मेरे पति आदित्य हम दोनों ने तय किया जिस दिन हमारे जुड़वां बच्चों ने जन्म लिया। बेटी अहाना और बेटा ध्रुव की, हम दोनों ने सोच लिया कि हम अपने बच्चों की परवरिश कुछ अलग तरह से करेंगे। कुछ पारम्परिक और कुछ आधुनिक तरीके भी इस्तेमाल करेंगे और कोशिश करेंगे की ये बच्चे सबसे पहले तो अच्छे इंसान बने और साथ ही देश के अच्छे नागरिक भी बने। और फिर हमने ये भी निर्णय लिया की चाहे बुद्धि या आदतों में बच्चे कैसे भी हों हम इन दोनों का ना तो आपस में कभी तुलना करेंगे और न ही दूसरे किसी बच्चे से। अगर हमारे बच्चे में कोई कमी होगी तो हम सकारात्मक ढंग से उसे स्वीकर करेंगे और अगर उसे सुधार सकते हैं तो उसे प्यार से ही सुधारने की कोशिश हम दोनों ही जरूर करेंगे।
लेकिन ये जरूरी नहीं कि सबकुछ हमारे प्लान के ही मुताबिक हो, वैसा ही कुछ हमारे साथ भी हर रोज़ ही होने लगा। एक तो दो बच्चे वो भी एक बराबर के तो जब एक को भूख लगती बस तभी दुसरे को भी भूख से रोना होता था । दोनों के पीछे लगे रहते हम दोनों और आपस में दो बातें कर पाना भी एक बड़ी नियामत सी लगती थी। खैर इसी तरह से समय भागने लगा और अहाना और ध्रुव दोनों ही नर्सरी में जाने लग गए। हमारी असली परीक्षा तो अब शुरू होनी थी क्योंकि ध्रुव स्पोर्ट्स और दूसरी गतिविधियों में होशियार था और अहाना पढ़ाई और पेंटिंग में। और हां इस दौरान हम ये भी भूल गए कि हमने क्या सोच रखा था इन बच्चों के लिए और असल में हम इनकी तुलना आपस में करने लगे तो कभी क्लास के दूसरे बच्चों से। लेकिन हां एक बात जरूर देखी कि चाहे हम बच्चों से कुछ कहें पर आपस में उनमे बहुत प्यार देखा और एक-दूसरे का साथ हमेशा देते दोनों। कभी खाने में नखरे तो कभी स्कूल न जाने के बहाने दोनों खूब साथ देते एक दुसरे का। और फिर इन बच्चों के प्यार को देखकर हमने तय किया की अब इनमें अच्छी आदतों का विकास और एक अच्छा इंसान बनाने के लिए हमें और मेहनत करने की आवश्यकता है। फिर क्या था जुट गए अपने प्यारे बच्चों की ख़ास परवरिश में की, उनके व्यक्तित्व निर्माण में ताकि हमसे कोई चूक ना हो भले वो करियर में बहुत ऊँचाई पर पहुंचे या ना भी पहुंच सकें ये तो बाद की बात है कम से कम हमारी तरफ से उनके लिए गाइडेंस और सपोर्ट में कमी नहीं होनी चाहिए। समय फिर से अपनी गति से चलने लगा और बच्चे बड़े होने लगे अब दोनों तेरह साल के हो गए हैं ।
बच्चों की परवरिश से जुड़ी कुछ अहम बातें आप लोगों के साथ मैं साझा करना चाहूंगी/ Some Important Things About parenting In Hindi
ये जो बातें मैं आप लोगों के संग साझा कर रही हूं उसको मैंने अपने अनुभव से हासिल किया है, उम्मीद करती हूं कि ये आपको बच्चे की अच्छी परवरिश करने में जरूर मददगार साबित होंगे।
- छोटे बच्चों के साथ थोड़ी सीमायें उनके लिए तय करना बहुत जरूरी है उनकी सुरक्षा की दृष्टि से
- जहाँ जरूरी हो वहां उनकी उड़ान को ना रोकें क्योंकि बच्चों में अपार संभावनाएं बसी होती हैं। इसको अनदेखा ना करें और स्वयं आपकी देखरेख में उन्हें उड़न भरने दें।
- कभी कभी अपनी समस्याओं का समाधान उन्हें ही करने दें, ये उनको आत्मनिर्भर बनाएगा
- उनमे अच्छा और पोषक घर के बने खाने की आदत शुरू से डालें उन्हें समझाएं की इस खाने वो मज़बूत बनेगे और हर काम को आसानी से कर सकेंगे
- इन सब बातों को समझने के लिए हमें भी अपनी आदतों और व्यवहार को बदलने की जरूरत पड़ती है क्योंकि हमें देखकर वो सबसे ज्यादा सीखते हैं
- कोशिश करें बच्चों से झूठ ना बोलें। जब भी बच्चों की तारीफ करें तो दिल से करें ना कि उनको बहलाने के लिए
- कभी कभी खुद के लिए एक ब्रेक ले लेना चाहिए ये आपको ख़राब माता-पिता नहीं बनने देंगे ,बच्चों को समझाएं तो वे समझेंगे की हमें भी अपने लिए टाइम चाहिए
- कम से कम दिन में एक बार पूरा परिवार साथ जरूर खाना खाएं। जब भी आप अपने बच्चों को कहना चाहे कि मैं तुमसे प्यार करता/करती हूँ तो बस कह दीजिये।
- बच्चों को सक्रिय बनाये रखें इससे वे स्वस्थ रहेंगे
- और जैसा की मैंने बताया कि अब हमारे बच्चे किशोर हो गए हैं हैं तो हमने उनके नज़रिये से फिर से एक अलग ढंग से दुनिया को देखना शुरू किया है
- अब इस उम्र में बच्चे उनकी सोच पहनावा और उनका आचरण इतनी तेजी से बदलता है की वो स्वयं भी भी इन इन बदलावों को पूरी तरह से न स्वीकार पाते हैं हैं न ही नकार पाते हैं।
- हार्मोनल बदलाव मानो इनको अचानक हाईजैक कर लेता है तब हमको ही आगे आकर कहीं दोस्त बनकर तो तो कहीं माता-पिता बनकर उन्हें सही राय और गाइडेंस और सपोर्ट देना होगा।
उन्हें जिम्मेदार बनाने के लिए छोटी-मोटी ज़िम्मेदारी भी दीजिये। उन्हें सफाई से रहना और दुसरे की परवाह करना और इज़्ज़त करना सीखना भी बहुत आवश्यक है।
- जी तो ये था हमारा अपने बच्चों की परवरिश का तरीका अब ये अनोखा है कि जाना-पहचाना सा ये निर्णय मैं आप पर छोड़ती हूँ ,कृपया अपने विचार जरूर दें।
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