जानिए मैटरनिटी लीव बिल से जुड़ी हर बात

केंद्र सरकार ने मार्च 2017 में कामकाजी महिलाओं के लिए मैटरनिटी लीव बिल-2016 को लोकसभा व राज्यसभा दोनों में पास करा लिया। इस बिल को केंद्रीय श्रम व रोजगार मंत्री बंडारू दत्तात्रेय ने पेश किया था। इस बिल में हुए बदलावों का फायदा संगठित क्षेत्रों में काम करने वाली करीब 19 लाख महिलाओं को मिलेगा। आज इस ब्लॉग में हम आपको मैटरनिटी लीव बिल से जुड़ी हर बात की जानकारी देंगे।
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नए बिल की सबसे खास बातें / Special Matters for New Maternity Leave Bill in Hindi
- नए बिल यानी कानून के अनुसार, मैटरनिटी लीव को 12 हफ्ते से बढ़ाकर 26 हफ्ते किया गया है।
- 26 हफ्ते का अवकाश पहले 2 बच्चों के लिए होगा।
- वहीं तीसरे व इसके बाद अन्य बच्चे के लिए 12 हफ्ते की मैटरनिटी लीव हर कंपनी को देनी होगी।
- बिल में कहा गया है कि प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को कई तरह की समस्याओं से गुजरना पड़ता है। ऐसे में महिलाएं मैटरनिटी लीव खत्म होने के बाद भी अगर घर पर कुछ दिनों के लिए आराम करना चाहती हैं और वह इस दौरान घर से काम करने को तैयार हैं, तो घर से काम करने की सुविधा कंपनी को देनी होगी।
- नए कानून के बाद अब भारत गर्भवती महिलाओं को मिलने वाली छुट्टी के मामले में दुनिया में तीसरे नंबर पर आ जाएगा। भारत से अधिक मैटरनिटी लीव सिर्फ कनाडा 50 हफ्ते और नॉर्वे 44 हफ्ते देता है।
- पहले और दूसरे बच्चे के लिए 26 हफ्ते की मैटरनिटी लीव, ये पहले 12 हफ्ते की थी।
- 3 महीने से कम उम्र के बच्चों को गोद लेने वाली या सेरोगेट माताओं को भी 12 हफ्ते की छुट्टी मिलेगी।
- 50 से अधिक कर्मचारियों वाली कंपनी को ऑफिस के आसपास क्रेच का इंतजाम करना जरूरी होगा, ताकि महिला स्टाफ अपने बच्चे को वहां रख सकें। इसके अलावा काम के घंटों के दौरान महिलाओं को 4 बार अपने बच्चे से मिलने की अनुमति होगी।
- हर कंपनी को यह सुविधा महिला स्टाफ को उनकी नियुक्ति के समय से ही देनी होगी।
- महिला स्टाफ की नियुक्ति के समय हर कंपनी को अनिवार्य रूप से इस कानून के तहत मिलने वाली सुविधाओं के बारे में लिखित या इलेक्ट्रॉनिक रूप से जानकारी देनी होगी।
- कानून के तहत किए गए किसी भी बात की अनदेखी करने पर संबंधित कंपनी के खिलाफ दंड का प्रावधान किया गया है।
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