बच्चों में कुपोषण की समस्या, कैसा होना चाहिए आपके बच्चे का आहार?

भारत में कुपोषण शब्द से अधिकतर लोग परिचित हैं, लेकिन इसके सभी पहलुओं की जानकारी बहुत कम लोगों को ही होती है। कुछ लोग इसे भूख से जोड़कर भी देखते हैं, लेकिन ऐसा नहीं है। खाना खाने वाला भी कुपोषण का शिकार हो सकता है। दरअसल मानव शरीर के लिए पोषक तत्वों की बहुत आवश्यकता होती है। खासकर गर्भवती और बच्चों के लिए पोषक तत्व बहुत अनिवार्य़ है। आहार में पोषक तत्वों की मौजूदगी ही बच्चे के शरीर के विकास में मदद करती है। इस ब्लॉग में हम बात करेंगे कि कुपोषण क्या है और यह बच्चों में क्यों होता है। इससे बचने के लिए बच्चों का आहार कैसा होना चाहिए।
कुपोषण की परिभाषा क्या है?/ Understanding Child Malnutrition In Hindi
लंबे समय से भोजन में पोषक तत्वों के अभाव या संतुलित आहार की कमी से बच्चा कुपोषण का शिकार होता है और कुपोषण में बच्चे को जरूरी पोषक तत्व, खनिज और कैलोरी नहीं मिलती है। इससे उनके महत्वपूर्ण अंगों का विकास प्रभावित होता है। इसके अलावा बच्चा कई बीमारियों की चपेट में भी आ जाता है। कुपोषण की समस्या सबसे अधिक 5 साल से कम उम्र के बच्चों में होती है। इस उम्र के बच्चों की मौत का एक बड़ा कारण कुपोषण ही होता है। आंकड़ों पर नजर डालें तो इस उम्र वर्ग के 1000 में से 52 बच्चों की मौत कुपोषण की वजह से हो जाती है। कुपोषण की वजह से बच्चे का विकास रुक जाता है, वह मानसिक रूप से दिव्यांग भी हो सकता है। इसके अलावा वह जीआई ट्रैक्ट इन्फेक्शन व एनीमिया की चपेट में भी आ सकता है।
क्या कहते हैं अपने देश में कुपोषण के आंकड़ें?
साल 2017 की रिपोर्ट में इंडियन कॉउंसिल ऑफ़ मेडिकल रिसर्च (IMRC) ने जानकारी देते हुए बताया कि 5 साल तक के बच्चों में मौत की एक बहुत बड़ी वजह कुपोषण है।
- यूनीसेफ की रिपोर्ट के मुताबिक दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र का हर तीसरा बच्चा या यूं कहें कि तकरीबन 70 करोड़ बच्चे कुपोषण का शिकार है । अगर हम अपने देश की बात करें तो यहां हालात और बदतर हैं। साल 2017 की रिपोर्ट के मुताबिक तकरीबन 50 फीसदी बच्चे कुपोषित हैं।
- हालांकि साल 1990-2017 के बीच में स्थिति में काफी हद तक सुधार हुआ है और कुपोषण के मामलों में तकरीबन 2 तिहाई की गिरावट हुई है लेकिन इसे अभी संतोषजनक नहीं माना जा सकता है।
- राजस्थान, उत्तर प्रदेश, बिहार, असम, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, ओडिशा, नागालैंड और त्रिपुरा के बच्चों में सबसे अधिक कुपोषण के मामले देखे गए हैं।
- भारत में जन्म के समय कम वजन का प्रतिशत 21.4% रहा, जबकि कुपोषण की वजह से बच्चों में विकास की दर 39.3 प्रतिशत रही है. इस दौरान 15.7 प्रतिशत बच्चे भारी कुपोषण का शिकार हुए ( साल 2017 के आंकड़ें)
कुपोषण के कारण क्या हैं? / What are the causes of Malnutrition In Hindi?
आमतौर पर बच्चों में कुपोषण पौष्टिक आहार के अभाव या इसके अधिक सेवन करने से होता है। इसलिए पोषक तत्वों का संतुलित आहार भी बहुत जरूरी है। इसके अलावा कुछ और भी कारण हैं, जिनसे बच्चे कुपोषण का शिकार होते हैं। आइए जानते हैं कुछ प्रमुख कारणों को।
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अनियमित आहार लेने से – अगर आपका बच्चा ठीक समय पर खाना नहीं खाता या फिर खाने का सेवन नियमित अंतराल पर नहीं करता तो वह कुपोषण का शिकार हो सकता है।
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आहार में पोषक तत्वों की कमी से – बच्चे को सिर्फ खाना खिलाना ही पर्य़ाप्त नहीं है। आपको इस बात का भी ध्यान रखना चाहिए कि उसके आहार में पोषक तत्व पर्य़ाप्त मात्रा में शामिल हो। पोषक तत्वों की कमी से भी बच्चा कुपोषण का शिकार हो सकता है।
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पाचन संबंधी व अन्य रोगों की वजह से – बच्चे में अगर पाचन संबंधी समस्या (क्रोन) है तो पौष्टिक आहार लेने के बाद भी आपका बच्चा कुपोषण का शिकार हो सकता है। इसके अलावा अगर बच्चा किसी दूसरे शारीरिक रोग से पीड़ित है तो इस स्थिति में भी वह कुपोषण का शिकार हो सकता है।
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स्तनपान की कमी से – मां का दूध बच्चे के लिए सबसे बेहतर आहार होता है। अगर बच्चा तीन साल से छोटा है, तो आप उसे ठीक से स्तनपान जरूर कराएं। मां का दूध कई पोषक तत्वों से भरपूर होता है। कई बच्चे मां का दूध न मिलने की वजह से भी कुपोषण के शिकार हो जाते हैं।
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समय से पहले जन्म के कारण – ऐसे बच्चे भी अक्सर कुपोषण के शिकार हो जाते हैं, जिनका जन्म समय से पहले होता है। कई शोधों में ये बात सामने आ चुकी है कि प्रीमैच्योर डिलिवरी वाले बच्चों में कुपोषण का खतरा ज्यादा रहता है। दरअसल ऐसे बच्चों का पूरा विकास नहीं हुआ होता, वे कमजोर होते हैं। ऐसे में थोड़ी सी भी लापरवाही पर वे कुपोषण का शिकार हो जाते हैं।
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शारीरिक गतिविधियां न करने की वजह से – शरीर फिट रहने के लिए शारीरिक गतिविधियां, व्यायाम सभी के लिए बहुत जरूरी है। बच्चों के लिए भी एक्सरसाइज आवश्यक है। शारीरिक गतिविधियों के अभाव में कई बार बच्चों की पाचन क्रिया खराब हो जाती है। इससे बच्चे कुपोषण का भी शिकार हो जाते हैं।
कैसे समझें कि बच्चा कुपोषण का शिकार है, कुपोषण के लक्षण क्या हैं? / What are the symptoms of malnutrition In Hindi
कई बार पैरेंट्स बच्चों में कुपोषण के लक्षण पहचान नहीं पाते। हम आपको बता रहे हैं इससे जुड़े कुछ ऐसे लक्षण जिन्हें पहचानकर आप समय रहते इसके उपचार में जुट सकते हैं।
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ठीक से विकास न होना
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कमजोर होते जाना, बहुत जल्दी थकान महसूस करना
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पेट ज्यादा फूल जाना
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चिड़चिड़ापन
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स्किन का सूख जाना या पपड़ीदार हो जाना
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मांसपेशियों का कमजोर होना
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मानसिक विकास बहुत धीमी रफ्तार से होना
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पेट व पैरों का सूजना
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अक्सर कब्ज की शिकायत रहना
कुपोषण से बचने के लिए कैसा हो आहार ? / How to Prevent and Treat Malnutrition In Hindi
बच्चे को कुपोषण से बचाने के लिए सबसे पहले आपको उसके आहार पर खास ध्यान देना होगा। आइए जानते हैं आपको किस तरह के आहार बच्चे को देने चाहिए।
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पौष्टिक व संतुलित आहार पर दें ध्यान – आपको सबसे पहले बच्चे को संतुलित व पोषक तत्वों से भरपूर आहार देना चाहिए। बच्चे को एक ही बार में सारा खाना न खिलाएं खाने के बीच नियमित अंतराल रखें।
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ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं - अधिक पानी पीना हर किसी के लिए फायदेमंद है। बच्चे को कुपोषण से दूर रखना चाहते हैं तो उसे ज्यादा से ज्यादा पानी पिलाएं। प्रतिदिन उसे कम से कम 1.5 लीटर पानी जरूर पिलाएं।
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मां का दूध – जैसा कि हमने ऊपर भी बताया कि मां का दूध बच्चे के लिए सबसे पौष्टिक आहार होता है। यह बच्चे को हर तरह की बीमारी से दूर रखता है। ऐसे में जरूरी है कि आप अपने बच्चे को रोजाना पर्य़ाप्त मात्रा में स्तनपान कराएं। अगर स्तनपान कराने में कोई दिक्कत है तो उसे फॉर्मूला मिल्क दिया जा सकता है।
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फल और सब्जियां खिलाएं – बच्चा अगर सख्त चीजें खाने लगा है तो उसे नियमित रूप से फल और सब्जियों का सेवन कराएं। हरी सब्जियां उसके लिए काफी फायदेमंद होंगी। फल और सब्जियों का नियमित सेवन बच्चे को कुपोषण से दूर रखेगा। दिन में कम से कम 2 बार कोई फल या सब्जी जरूर खिलाएं।
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दूध व उससे जुड़े प्रॉडक्ट दें – बच्चे को कुपोषण से दूर रखने के लिए आप दूध, दही, पनीर व घी का सेवन भी करा सकते हैं। इससे बच्चे को पर्याप्त पोषण मिलेगा और वह कुपोषण का शिकार नहीं होगा।
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चावल भी फायदेमंद – आप बच्चे को नियमित रूप से चावल खाने को दें। इससे उसे काफी पोषण मिलेगा। इसके अलावा आप उसके आहार में आलू और स्टार्च भी शामिल करा सकते हैं।
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नॉनवेज – बच्चे को मांस, मछली, अंडा व बीन्स खाने को दें। ये सभी चीजें पोषक तत्वों से भरपूर होती हैं। इन्हें खाने से बच्चा कुपोषण का शिकार नहीं होगा।
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साबुत अनाज – बच्चे के आहार में साबुत आहार को शामिल करना भी फायदेमंद होगा। आप उसके आहार में कुटू, ब्राउन ब्रेड या मल्टी ग्रेन ब्रेड शामिल करें। इन चीजों में से कुछ भी दिन में 4 बार खिलाएं। ऐसा करने पर बच्चा कुपोषण से दूर रहेगा।
तो आप इन उपायों का जरूर पालन करें लेकिन इसके अलावा आप डॉक्टर के संपर्क में भी बने रहें। डॉक्टर की सलाह के मुताबिक बच्चे के आहार प्लान में बदलाव कर सकती हैं।
जानकारियों के लिए साभार:
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