बच्चे में तुतलाने की समस्या, कारण और उपाय

गोपाल 7 साल का है और वह पार्क में रोजाना खेलने जाता है। इस दौरान गोपाल बच्चों के साथ बहुत एनजॉय भी करता है। बावजूद इसके कई बार दुखी होकर वापस आता है। वह अपनी मां से अपने दुखी होने के कारणों को ठीक से शेयर नहीं करता है। लेकिन जब एक दिन उसकी मां ने उससे दुलार से पूछा तो वह फट कर रो पड़ा। गोपाल ने अपनी मां को बताया कि कैसे कई बार उसके बोलने पर साथ खेलने वाले बच्चे उसकी बात समझ नहीं पाते और फिर बाद में उसे कहते हैं कि उसे सही तरह से बोलने नहीं आता। गोपाल की मां यह सुनकर दुखी होने के साथ अचंभित भी हो गई। ऐसा इसलिए क्योंकि वह अब तक जिसे अपने बच्चे का भोलापन समझ रही थी, दूसरे बच्चे उसके साथ बड़े की तरह व्यवहार करने लगे थे। दरअसल यह समस्या सिर्फ गोपाल की नहीं, बल्कि इस उम्र के कई बच्चों की है। इसे आम भाषा में तुतलाना (Lisping) कहते हैं। जब बच्चे 7 साल से ऊपर के होने लगते हैं, फिर भी उनका तुतलाना नहीं कम होता तो इसे ठीक करने की जरूरत पड़ जाती है। बच्चों का तुतलाना एक स्पीच समस्या है, यानी सही तरह से कुछ खास अक्षरों का उच्चारण न कर पाना। उनकी बातें दूसरों को ठीक से समझ नहीं आती। जैसे, अगर बच्चे को यह कहना है कि मेरा भाई क्लास सेवन में पढता है। तो वह कहेगा- मेरा भाई क्लात तेबन में पढता है। बच्चा बोलना कुछ और चाहता है लेकिन उसके मुंह से अक्षर और शब्द कुछ और ही निकलते हैं।
तुतलाने के पीछे का कारण / Causes and symptoms of Lisping problems in Hindi
लगभग 3 साल तो बच्चे का यह तुतलाना बहुत प्यारा लगता है लेकिन बच्चा जैसे 4-5 साल की उम्र को पार करता है, यह सोचने का विषय हो जाना चाहिए। बच्चे के तुतलाने के पीछे कुछ खास कारण तो नहीं हैं लेकिन कुछ कारण ये हैं-
- जीभ, पैलेट, दांत के सही जगह पर न होने से बच्चा तुतलाता है। कुछ बच्चों की जीभ चिपकी हुई होती है।
- कई बार अगर बच्चे को सही तरह से सुनाई नहीं पड़ता है तो भी उसे तुतलाने की दिक्कत हो जाती है। लेकिन यह बहुत कम देखा जाता है और फिर इसका इलाज भी अलग तरह का है।
- कभी- कभार कुछ बच्चे ध्यान आकर्षित करने के लिए भी तुतलाना नहीं छोड़ते। कहीं न कहीं उनके अंदर यह बात घर कर जाती है कि उनके इस तरह से बोलने से लोग उन्हें ज्यादा प्यार करेंगे।
- बहुत कम मामलों में, स्ट्रेस या किसी तरह के ट्रॉमा से गुजरने के बाद भी बच्चे का तुतलाना नहीं छूटता।
- कभी- कभी कुछ बच्चे शब्दों का उच्चारण सही तरह से सीख ही नहीं पाते हैं। इस वजह से भी उनका तुतलाना बंद नहीं हो पाता।
तुतलाना दूर करने के उपाय / How to Get Rid of a Lisp: Tips and Techniques In Hindi
बच्चे की तुतलाहट को आप घर पर ही ठीक करने की कोशिश कर सकते हैं। बस इसके लिए आपको थोड़ा सजग रहने की जरूरत है।
- जब भी आपका बच्चा अपनी तोतली जुबान में कुछ बोलता है तो आपको वह बहुत प्यारा लगता है। लेकिन यह प्यारापन और आपकी लाड़ उसके लिए बाधा बन रही है। यह आपको समझने की जरूरत है। आपको अपने बच्चे पर हंसना या उसे लाड़ करना बंद करना होगा। क्योंकि जब आप ऐसा करते हैं तो उसे लगता है कि उसके इस तरह से बोलने पर आप उसे ज्यादा प्यार करते हैं और वह ऐसे ही बोलता रहेगा।
- अगर आप शुरू से ही ध्यान देंगे और बच्चे के तुतलेपन को प्यारा न बोलकर उसे सुधरेंगे तो इस तरह की समस्या का सामना नहीं करना पड़ेगा। उन्हें बहुत ज्यादा बोलने की बजाय सीमित लेकिन सही बोलने के लिए उत्साहित करें।
- अपने बच्चे को बताएं कि जब भी कोई उनसे कुछ बोले तो वह सही तरह से उनकी बात इत्मीनान से सुनें। इस तरह से वह ध्यान से सुनेंगे तो उन्हें अक्षरों और शब्दों का ज्ञान सही तरह से होगा। फिर वे सही तरह से शब्दों को बोल भी पाएंगे।
- सबसे जरूरी बात, आपका बच्चा जब तुतलाता है तो उसे उसकी बात खत्म करने दें। जिन शब्दों को वह तुतलाकर बोलता है, उसे नोट कर लें। उसे यह बिल्कुल न महसूस होने दें कि उसमें कोई कमी है।
- बेहतर तो होगा कि आप अपने बच्चे के साथ अलग से समय निकालें और उसके साथ उन अक्षरों से बनने वाले शब्द ज्यादा बोलें, जिन्हें लेकर वह तुतलाता है।
कब जाएं स्पीच थेरेपिस्ट के पास / When to call the Speach Therepist In Hindi
अगर आपका बच्चा 6-7 साल का हो जाने के बावजूद और आपकी कोशिश के बाद भी तुतलाना नहीं छोड़ रहा है तो आपका स्पीच थेरेपिस्ट के पास जाना जरूरी है। कुछ बच्चे तुतलाने के साथ हकलाते भी हैं, ऐसे में जरूरी है आप स्पीच थेरेपिस्ट से अपॉइंटमेंट बुक कर ही लें।
यदि आपके बच्चे को भी तुतलाने की समस्या है तो इसमें घबराने की कोई बात नहीं है। आपके थोड़े प्रयास और प्यार से यह ठीक हो सकता है।
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