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नन्हा शिशु सुनना कब से शुरू करता है?

0 to 1 years

दीप्ति  अंगरीश

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3 years ago

नन्हा शिशु सुनना कब से शुरू करता है?
बच्चे का क्रमिक विकास

आप एक प्यारे से शिशु के माता-पिता बन गए हैं। उसकी हर छोटी-बड़ी बात आपको नई लगती है और आप उसे सेलिब्रेट करते हैं। आपका बच्चा अब 1 महीने का हो चुका है लेकिन आपको ऐसा लगता है कि वह आपकी बातें सुन नहीं पा रहा है। आप इस इंतजार में हैं कि कब आपका नन्हा शिशु आपको सुनना शुरू करे और प्रतिक्रिया देने लगे। सच तो यह है कि प्रेगनेंसी के 35 सप्ताह होने पर बच्चे के कान पूरी तरह से तैयार हो जाते हैं। जन्म के बाद आपके बच्चे की सुनने की क्षमता धीरे-धीरे विकसित होने लगती है। अमूमन जन्म के कुछ समय बाद ही नन्हा शिशु आपकी आवाज पर प्रतिक्रिया देने लगता है l लेकिन 2 महीने की उम्र तक आते-आते वह जानी-पहचानी आवाज सुनकर अच्छी तरह से प्रतिक्रिया देने लगता है। आज इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि नन्हा शिशु सुनना कब से शुरू करता है। 

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आपके नन्हे के सुनने की क्षमता का विकास 

नन्हा शिशु सुनकर ही भाषा को सीखता है और उसके मस्तिष्क का विकास भी इससे ही होता है। इसलिए यह जरूरी है कि उसके सुनने से जुड़ी यदि कोई समस्या हो, तो जल्दी ही उसे पहचानकर इलाज के लिए आगे बढ़ा जाए। हालांकि, बहुत कम शिशुओं में सुनने की समस्या होती है। आइए जानते हैं कि नन्ही शिशु के सुनने की क्षमता किस तरह से आगे बढ़ती है। 

  • जन्म के समय- नन्हे शिशु अपने जन्म के समय से ही आवाज सुनकर शांत हो जाते हैं, मूवमेंट करने लगते हैं या फेशियल एक्सप्रेशन बदलने लगते हैं। वे अपने आस-पास मौजूद अधिकतर लोगों की आवाज को पहचानने लगते हैं और उनकी आवाज सुनकर रोना भी बंद कर देते हैं। इसलिए कहा जाता है कि नन्हे शिशु के सुनने की क्षमता के सही विकास के लिए जरूरी है कि रोजाना उसके साथ खूब सारी बातें की जाए। ये बातें ना सिर्फ उसके पास रहकर की जा सकती है बल्कि रोजाना के कामकाज करते हुए भी उससे बातें की जा सकती हैं। उसके डायपर को बदलते समय, उसे नहलाते समय भी उससे बात की जा सकती है। 
     
  • 2 महीने की उम्र के आस-पास - 2 महीने की उम्र तक आते-आते आपका नन्हा शिशु जानी-पहचानी आवाज सुनकर चुप हो जाता है। इसी समय से वह आह या ओह जैसी आवाज भी निकालने की कोशिश लगता है। आप इस समय अपने शिशु का डायपर बदलते हुए उसे यह बता सकते हैं कि अब उसने शुशु कर दिया है तो डायपर को बदलने की जरूरत है। यही नहीं, जब आप उसे फीड कराने जाए तो भी उसे कहा जा सकता है कि अब तुम्हें भूख लगी है और अब तुम्हारे खाने का समय हो रहा है। कहने का मतलब यह है कि आप उसके साथ जो भी करने जा रहे हैं, उसके बारे में उससे बात करनी चाहिए। इसी समय यह ध्यान भी दें कि वह आपकी आवाज और आपकी बातें सुनकर किस तरह से प्रतिक्रिया दे रहा है। कई बार ऐसा होता है कि नन्हा शिशु आपकी बातों में रुचि नहीं लेता है। यह सामान्य सी बात है लेकिन इस बारे में अपने डॉक्टर को जरूर बताइए।  
     
  • 4 से 6 महीने के बीच - 4 से 6 महीने की उम्र के बीच के शिशु आवाज के स्रोत का पता लगाने की कोशिश करने लगते हैं। उन्हें झुनझुने और अन्य खिलौनों से निकलने वाली आवाज बहुत आकर्षित करती है। इस तरह की आवाज निकलने पर शिशु मुस्कुराने लगते हैं और प्रतिक्रिया के तौर पर अपने हाथ-पैर भी मारने लगते हैं। यही वह समय है, जब आपका शिशु आपकी आवाज की कॉपी करना भी शुरू कर सकता है। इसलिए उसके सामने पापा, मामा, टाटा, बाबा जैसी आवाज निकालनी चाहिए। इस समय से आप अपने बच्चे के लिए गाने गा सकते हैं और कहानियां पढ़कर सुना सकते हैं। ये सुनकर उनके मस्तिष्क के विकसित होने में मदद मिलती है। 
     
  • 7 से 12 महीने के बीच - 7 से 12 महीने के बीच की उम्र के बच्चे सही तरह की आवाज निकालने लगते हैं। इस समय आप जैसे ही उन्हें उनकी आवाज से पुकारेंगे, वे प्रतिक्रिया देना शुरू कर देते हैं। इस समय से वे चीजों को भी पहचानना शुरू कर देते हैं और नाम लेने पर उनकी ओर देखने भी लगते हैं। उदाहरण के लिए यदि आप आप अपने शिशु से कहेंगे कि बच्चे, मेरे हाथ में कार दे दो, तो वे अपने पास रखी खिलौने कार को उठाकर आपको देने की कोशिश करेंगे। 
     
  • 1 साल की उम्र में - यूं तो हर महीना बच्चे की उम्र के लिए माइलस्टोन है लेकिन पहला जन्मदिन सबसे अलग है। इस उम्र तक आते-आते बच्चे मामा, दादा, पापा जैसे शब्द बोलने लगते हैं। इसके साथ ही आप जैसे उन्हें बाय करने के लिए बोलेंगे, तो वे बाय करने के लिए अपने हाथ को हिलाएंगे। इस समय तक आते-आते बच्चे आवाज सुनकर इंजॉय करने लगते हैं।    

हर बच्चा अलग-अलग समय पर माइलस्टोन को प्राप्त करता है। इसलिए आपको यह जानने और समझने की जरूरत है कि हर बच्चा एक सा नहीं होता है और हर शिशु के सुनने और प्रतिक्रिया देने की उम्र भी अलग-अलग होती है। हां, यह जरूर है कि यदि आपका नन्हा शिशु आपके कहने पर बिल्कुल भी प्रतिक्रिया नहीं दे रहा है, तो उसके पीडियाट्रिशियन से इस बारे में जरूर बात करें।

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