क्या होती है 4 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल

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Deepak Pratihast

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3 years ago

क्या होती है 4 महीने के बच्चे की गतिविधियां, विकास और देखभाल
बच्चे का क्रमिक विकास

जन्म के बाद शिशु को बड़े होते देखना व इस दौरान उसके द्वारा की जाने वाली हर गतिविधियां पैरेंट्स व घर के सदस्यों को आनंदित करती हैं। लेकिन ये भी उतना ही बड़ा सच है कि इस आनंद की प्राप्ति करने के पीछे पैरेंट्स को बहुत सावधानियां बरतने की भी आवश्यकता होती है । जन्म के दूसरे महीने के बाद से बच्चे में हर महीने कुछ न कुछ शारीरिक व मानिसक विकास होता है। यह विकास कई बदलावों को लेकर आता है, जिसे देखकर कई बार मां-बाप चिंतित भी हो जाते हैं। पर जरूरी नहीं कि ये बदलाव गलत हों। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे कि चौथे महीने में बच्चे में क्या विकास होता है, उसकी क्या गतिविधियां होती हैं और उसकी देखभाल किस तरह करनी चाहिए।

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4 महीने के शिशु का विकास और गतिविधियां / 4 Month Old Baby Development  in Hindi

तीसरे महीने से शुरू हुआ बच्चे का विकास चौथे महीने में भी जारी रहता है। इस महीने में बच्चे के अंदर शारीरिक व मानसिक विकास के अलावा भावनात्मक विकास भी होता है। आइए जानते हैं ऐसे ही इन विकास व गतिविधियों के बारे में।

  1. देखने, सुनने व इंद्रीय क्षमताओं का विकास – चौथे महीने में आकर बच्चे में ये तीनों चीजें अच्छे से विकसित हो जाती हैं। शिशु अपने आसपास की चीजों को ध्यान से देखना शुरू करता है। उसके अंदर अपने आसपास मौजूद सभी चीजों व लोगों को जान लेने की उत्सुकता बढ़ जाती है। दृष्टि विकसित होने की वजह से वह रंगों को समझने लगता है। अलग-अलग रंगों के अंतर को वह समझना शुरू कर देता है। वह पहले की तुलना में अब अधिक दूर तक देख सकता है।  चौथे महीने में बच्चे में सुनने की क्षमता भी अच्छे से विकसित हो जाती है। वह अब हर तरह की आवाज को समझ सकता है। जानी-पहचानी आवाज को सुनकर हंसने लगता है। रोने पर अगर आप म्यूजिक चलाएं तो वह चुप भी हो जाएगा। तीसरे महीने में बच्चे के अंदर इंद्रीय क्षमताएं भी विकसित हो जाती हैं। वह स्वाद और गंध को पहचानने लगता है। मीठी चीजें बच्चा आराम से खाता है, जबकि कड़वी चीज पर रोने लगता है।
     
  2. वजन और लंबाई –  बच्चा जब चार महीने का होता है, तो उसके वजन और लंबाई में पिछले के तीन महीनों की तुलना में काफी अंतर आ जाता है। चौथे महीने में बेबी गर्ल का सामान्य वजन 5.2 किलो से लेकर 6.9 किलो तक हो सकता है, जबकि उसकी लंबाई 58 से 66.2 सेंटीमीटर के बीच हो सकती है। वहीं चार महीने के बेबी बॉय का सामान्य वजन 5.7 किलो से लेकर 7.6 किलो तक हो सकता है, जबकि उसकी लंबाई 60 से 67.8 सेंटीमीटर तक हो सकती है।
     
  3. चीजों को समझना – यूं तो तीसरे महीने से ही बच्चे में चीजों को समझने व चेहरे पहचानने की क्षमता आ जाती है, लेकिन चौथे महीने में आकर यह क्षमता पूरी तरह विकसित हो जाती है। वह अपने माता-पिता, परिवार वालों को पहचानने लगते हैं। वह इनकी आवाज और स्पर्श को भी समझने लगते हैं।
     
  4. प्यार जताना –  चौथे महीने में आकर बच्चे के अंदर प्यार जताने की क्षमता भी विकसित हो जाती है। किसी के प्यार से बात करने, दुलारने व पुचकारने पर वह हंसकर प्रतिक्रिया देते हैं।
     
  5. खुशी और दुख को समझना – चार महीने का बच्चा खुशी और दुख को भी काफी हद तक समझने लगता है। अपनी खुशी को वह हंसकर या खिलखिलाकर व्यक्त करता है, तो अपनी तकलीफ या दुख को चिड़चिड़ा होकर या रोकर व्यक्त करता है।
     
  6. याद्दाश्त का विकास – चार महीने के बच्चे में याद्दाश्त भी मजबूत होने लगती है। उसके सामने रखी कोई चीज अगर अचानक हटा ली जाए तो वह उसे ढूंढने लगता है। वह उन्हें आकर्षित करने वाली चीजों को भी ध्यान रखते हैं। ऐसी चीज अगर उनके सामने अचानक रखी जाए तो वह प्रतिक्रिया देते हैं।
     
  7. शारीरिक विकास – चौथे महीने में बच्चे के अंदर कई शारीरिक विकास होते हैं। उसका सिर मजबूत होने लगता है और वह बिना सहारे के अपने सिर को सीधा रखने लगता है। इस महीने में बच्चा सहारा लेकर बैठना भी सीख जाता है, लेकिन उसे ज्यादा देर तक न बैठाएं। इससे कमर में दिक्कत हो सकती है। चार महीने का बच्चा पलटना भी सीख जाता है। पेट के बल लिटाने पर वह पलटी मारने लगते हैं। चार महीने का बच्चा अपने पैरों का ज्यादा इस्तेमाल करने लगता है। लिटाने पर वह अपने पैर को धकेलते हुए आगे बढ़ने की कोशिश करते हैं। वह अपने हाथ पैर को बार-बार मुंह में लेता है।
     
  8. नकल व बात करने का प्रयास करना – चौथे महीने में बच्चा अपनी भाषा में बात करने का प्रयास करने लगता है। वह अलग-अलग आवाजें निकालता है। इसके अलावा वह दूसरों की आवाजों व चेहरों की नकल करने की भी कोशिश करने लगते हैं। जैसे बड़ों के हंसने पर वह हंसते हैं।

4 महीने के शिशु की किस तरह से करें देखभाल? / Well Child Care at 4 Months  In Hindi

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जन्म के बाद चौथे महीने में भी अभिभावकों को बच्चे पर विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। देखभाल के अभाव में बच्चा मुसीबत में आ सकता है। आइए जानते हैं कि आखिर कैसे करें 4 महीने के बच्चे की देखभाल और क्या सावधानी बरतें।

  1. नींद का ध्यान – ज्यों-ज्यों बच्चा बड़ा होता है, उसके सोने के समय में भी बदलाव आता है। चार महीने का बच्चा 24 घंटे में 13-16 घंटे सो सकता है। अधिकतर बच्चे रात में 5-6 घंटे सोते हैं। अतः आपको बच्चे की नींद पर ध्यान देने की जरूरत है। हालांकि इस बात का ध्यान रखें कि हर बच्चे के सोने के घंटे एक जैसे नहीं हो सकते। इसलिए इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। बच्चे को रात में भरपूर नींद लेने दें।
     
  2. टीके का रखें ध्यान – बच्चों का इम्यून सिस्टम बहुत कमजोर होता है। यही वजह है कि उन्हें लगातार टीके लगते रहते हैं। आप बच्चे को स्वस्थ रखना चाहते हैं तो इस बात का ध्यान रखना होगा कि चौथे महीने में उसे कौन-कौन से टीके लगने हैं। आमतौर पर चौथे महीने में बच्चों को जो टीके लगते हैं उनमें डीटीडब्ल्यूपी-3, आईपीवी-3, हिब-3, रोटावायरस-3, पीसीवी-3 व ओपीवी-1 प्रमुख हैं।
     
  3. आहार को लेकर सतर्क रहें – डॉक्टरों के अनुसार 6 महीने तक के बच्चे के लिए मां के दूध से बेहतर कोई आहार नहीं है। ऐसे में 4 महीने के बच्चे को भी स्तनपान ही कराना चाहिए। पर चौथे महीने में स्तनपान कराने के दौरान कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है। दरअसल पेट बड़ा होने की वजह से बच्चा तीसरे महीने की तुलना में चौथे महीने में कम दूध पी सकता है। इसके लिए परेशान नहीं होना चाहिए। हो सकता है कि चौथे महीने में बच्चा दिन में 4-6 बार ही दूध पीए। पर आपको तय मात्रा में दूध जरूर पिलाना चाहिए। कई बार वह दूध पीने में आनाकानी करेगा, लेकिन उसे शांत जगह में ले जाकर स्तनपान जरूर कराएं। डॉक्टरों के अनुसार, 4 महीने के बच्चे के लिए एक दिन में औसतन 728 एमएल से 1165 एमएल तक दूध पर्य़ाप्त है। उसे 8-10 बार दूध पिलाएं। अगर किसी वजह से बच्चे को मां का दूध नहीं मिल पा रहा है, तो उसे एक दिन में 177 से 207 एमएल तक फॉर्मूला दूध दे सकते हैं। यह मात्रा एक दिन में 5-6 बार में दे सकते हैं। बच्चे के चार महीने पूरे होने पर कई पैरेंट्स उसे ठोस आहार व पानी देने की सोचने लगते हैं, जो गलत है। डॉक्टर भी 6 महीने तक बच्चे को ठोस आहार देने की सलाह नहीं देते। हालांकि कुछ परिस्थितियों में 4 महीने के बच्चे को ठोस आहार देने की सलाह दी जाती है, लेकिन खुद ये फैसला न करें। ठोस आहार व पानी देने से पहले एक बार डॉक्टर से बच्चे को जरूर दिखाएं।
     
  4. बच्चे व घर की सफाई रखना जरूरी – चौथे महीने में बच्चे को स्वस्थ रखने के लिए साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान देने की जरूरत होती है। आपको बच्चे के साथ-साथ उसके कपड़ों व घर को भी साफ रखना होगा। बच्चे के डायपर का ध्यान रखें। गीला होते ही उसे फौरन बदल दें, ताकि उसे रैशेज न हों। बच्चे खेलने के दौरान अक्सर खिलौनों को मुंह में लेते हैं। गंदगी होने की स्थिति में इससे संक्रमण का डर रहता है। ऐसे में जरूरी है कि आप खिलौनों को भी साफ रखें। इसके अलावा घर में भी गंदगी जमा न होने दें। इससे भी बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है। इसके अलावा बच्चे को भी साफ रखें। अगर उसे रोज नहला नहीं सकते हैं, तो तौलिया भिगोकर उसके शरीर को अच्छे से पोछें, ताकि कहीं कोई गंदगी न रहे। बच्चा अक्सर मुंह में अंगूठा व हाथ लेता है। ऐसे में जरूरी है कि उसके नाखून को भी काटें। मुलायम कपड़ों से उसकी जीफ को साफ करें। बच्चा जो कपड़ा पहनता है या जिस बिस्तर पर सोता है, उसे भी ठीक से साफ करना जरूरी है। कपड़े साफ न होने पर इन्फेक्शन का खतरा रहता है।
     
  5. बच्चे के साथ खेल व ये गतिविधियां करें -  चौथे महीने में बच्चा काफी फुर्तीला हो जाता है। अगर उनके साथ कुछ गेम खेला जाए या फिर कुछ गतिविधियां की जाएं तो वह काफी उत्साहित होता है। आप बच्चे से ज्यादा से ज्यादा बात करें। इससे वह आपके शब्दों की नकल करने की कोशिश करेगा। इस क्रम में उसके मुंह से अलग-अलग कई आवाजें निकालेंगी। इन सबसे बच्चे की संवाद क्रिया बेहतर होगी। बच्चे के सामने कोई गाना या पोयम गाएं। इससे वह नई चीजें सीखेगा। बच्चे के साथ गेंदे से खेलें। गेंद पकड़ने की कोशिश में उसकी फुर्ती बढ़ेगी। हालांकि बच्चे के साथ हल्की गेंद से ही खेलें। बच्चे को पेट के बल लिटाएं। इससे वह अपनी भुजाओं और टांगों का इस्तेमाल करने के लिए प्रेरित होगा। बच्चे के साथ ज्यादा से ज्यादा वक्त बिताएं।
     
  6. स्वास्थ्य का ध्यान रखना भी जरूरी – इस अवस्था में इम्यून सिस्टम कमजोर होने की वजह से बच्चों में कई तरह की स्वास्थ्य समस्याएं होती हैं। चार महीने के बच्चों में बुखार, सर्दी-जुकाम व खांसी आम बात है। इनमें से कोई भी समस्या होने पर बच्चे को फौरन डॉक्टर के पास लेकर जाना चाहिए। समय पर इलाज न मिलने से ये सभी बीमारियां गंभीर रूप ले सकती हैं।

 

इन बातों का भी रखें ध्यान

ऊपर बताई गई बातों के अलावा पैरेंट्स को बच्चों पर करीब से नजर रखनी चाहिए। बच्चों के व्यवहार में अचानक आए बदलाव को हल्के में नहीं लेना चाहिए। वे अपनी तकलीफ आपको बोल कर नहीं बता सकते, ऐसे में आपको खुद ही उनकी हर हरकतों पर ध्यान रखकर उनकी परेशानी समझन की कोशिश करनी होगी। यहां हम बता रहे हैं कुछ ऐसी ही बातें, जिन पर ध्यान रखना बहुत जरूरी है।

- 4 महीने का बच्चा अगर सिर को सहारा देने के बाद भी संतुलित न रख सके, चीजों को पकड़ न सके, खिलौने व चीज को मुंह तक न ले जा सके या फिर पैरों से खुद को धकेल न सके व पैरों को ज्यादा देर तक न चलाए तो यह चिंता का विषय है। आपको फौरन चाइल्ड डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

- बच्चा अगर लोगों को देखकर हंसने या रोने जैसी कोई प्रतिक्रिया न दे या फिर किसी आवाज को सुनकर भी कोई रेस्पॉन्स न दे तो इस स्थिति में भी आपको बच्चे को लेकर डॉक्टर के पास जाना चाहिए।

- अगर बच्चा दूध न पी रहा हो और दिन भर चिड़चिड़ापन दिखाए, रोता रहे या फिर रात को ठीक से न सोए तो इसका मतलब है कि उसे कोई शारीरिक समस्या है। उसे फौरन डॉक्टर के पास ले जाएं।

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