ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्ट पम्पिंग, क्या है ज्यादा बेहतर?

जब 31 वर्षीय शिल्पा को अपने बच्चे को जन्म देने के बाद 6 महीने की मैटरनिटी लीव के बाद वापस ऑफिस ज्वाइन करना पड़ा, तो उसने ब्रेस्ट पम्पिंग का सहारा लिया ताकि उसके शिशु को बाहर के दूध का सहारा न लेना पड़े। शिल्पा के इस कदम को कुछ लोगों ने जहां बहुत सही ठहराया वहीं, शिल्प की सासू मां को यह बात नागवार गुजरी। यहीं नहीं, और भी कई लोगों ने शिल्पा को बुरी मां और ना जाने कितने अलंकारों से सजा दिया। किसी ने ये भी कह दिया कि ब्रेस्ट पम्पिंग बहुत खराब होता है, वह दूध बच्चे के लिए सही नहीं होता, ना जाने ऐसे कितने सवालों का जवाब देते- देते शिल्पा आखिरकार थक गई। ब्रेस्ट फ़ीड या ब्रेस्ट पम्प, नई मांओं के लिए यह सवाल बहुत बड़ा है, जिसका सही जवाब उनके पास नहीं होता। इसलिए इस आर्टिकल में हम आपके इस सवाल का विस्तार से जवाब देंगे कि आखिरकार कौन सा विकल्प ज्यादा बेहतर है- ब्रेस्टफीडिंग या ब्रेस्ट पम्पिंग। सबसे पहले हम दोनों के फायदे के बारे में जानेंगे।
ब्रेस्टफीडिंग के फायदे/ Benefits Of Breast feeding In Hindi
जैसा कि आप जानती हैं की मां का दूध बच्चे के लिए सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। ब्रेस्टफीडिंग शिशु और बच्चे को कई ऐसी बीमारियां से बचाता है। सीधे मां के ब्रेस्ट से दूध पीने के कई फायदे हैं –
- बच्चे के लिए स्पेशल दूध- ब्रेस्ट मिल्क बच्चे की बॉडी से मिले फ़ीडबैक के आधार पर कस्टमाइज्ड हो जाता है। दूध पीते समय बच्चे का सलाइवा दूध के संपर्क में आता है। यह संपर्क मां के मस्तिष्क को संदेश भेजता है कि बच्चे को को क्या चाहिए।
- नैचुरल सप्लाई- बच्चे को जितना दूध चाहिए, एक मां का शरीर उसी हिसाब से दूध का निर्माण करता है। बच्चे को इतना दूध ही मिलता है, जितनी उसे जरूरत होती है।
- आसानी- ब्रेस्ट फ़ीडिंग बहुत आसान है, इसके लिए किसी भी तरह की तैयारी की जरूरत नहीं पड़ती। एक बच्चा कभी भी और कहीं भी अपने पेट की भूख मिटा सकता है। इसके लिए ना तो बॉटल साफ करना पड़ता है और ना ही पैक करना करना पड़ता है।
- बच्चे को करे रिलैक्स- ब्रेस्ट फ़ीडिंग बच्चे की परेशानी को दूर करता है। अगर वह परेशान है या उसे चोट लगी है तो भी ब्रेस्ट फ़ीडिंग करके वह राहत पा सकता है। यहां तक कि वैक्सिनेशन के दौरान भी उसे दर्द नहीं होता।
- मां और बच्चे की बॉन्डिंग- ब्रेस्ट फ़ीडिंग मां और बच्चे को करीब आने का मौका देता है। यह एक ऐसा कॉन्टैक्ट है, जो दोनों के बीच एक ऐसी बॉन्डिंग बनाता है, जो किसी और चीज से नहीं हो सकती है।
- ब्रेस्ट कैंसर और इन्फेक्शन की आशंका कम- यह तो अब सभी जान चुके हैं कि जो महिलाएं ब्रेस्ट फ़ीड कराती हैं, उनमें ब्रेस्ट कैंसर होने की आशंका बहुत कम हो जाती है। इन बच्चों में भी इन्फेक्शन न के बराबर होता है।
ब्रेस्ट पम्पिंग के फायदे / Benefits of Breast Pumping In Hindi
ब्रेस्ट पम्पिंग के जरिए दूध पीने वाले बच्चे से मां के शरीर को फ़ीडबैक नहीं मिलता है। हालांकि, फिर भी वे हेल्दी फैट और एंटीबॉडीज वाले फूड से सही डाइट ले सकते हैं। ब्रेस्ट पम्पिंग के फायदे निम्न हैं –
- समय पर कंट्रोल- ब्रेस्ट पम्पिंग के जरिए मां या कसी अन्य को फ़ीडिंग के समय पर कंट्रोल मिल सकता है। वे अपने से शेड्यूल के बारे में निर्णय ले सकते हैं कि कब पम्प करना है। उसी हिसाब से बच्चे के फ़ीडिंग का समय भी निर्धारित कर सकते हैं। इस तरह से उन्हें अपना समय मिलता है और वे काम पर वापस जा सकते हैं।
- फ़ीडिंग शेयर करना- यदि आप ब्रेस्ट पम्पिंग का सहारा ले रहे हैं तो बच्चे की देखभाल के लिए काम शेयर करना आसान हो जाता है। रात में बार- बार मां को जागने की जरूरत नहीं पड़ती, बच्चे को ब्रेस्ट पम्पिंग वाला दूध कोई और भी पिला सकता है। इस तरह से मां को अपनी नींद को पूरी करने और दूसरे काम करने में मदद मिलती है।
- सप्लाई में आसानी- ब्रेस्ट पम्पिंग से सप्लाई से संबंधित समस्या है तो उसमें मदद मिलती है। कुछ लोग हर ब्रेस्ट फ़ीडिंग सेशन के बाद पम्प करके सप्लाई को बढ़ाते हैं। जिन्हें कम दूध होता है, उनके लिए यह मददगार है।
- डोनर मिल्क- जिन बच्चों को अपनी मां का दूध नहीं मिल पाता है या जो बच्चे गोद लिए जाते हैं, उनके लिए यह किसी वरदान से कम नहीं है। ऐसे बच्चों को मिल्क बैंक से दूध मिल सकता है। हालांकि, यह अपने यहां बहुत चलता नहीं है।
ऊपर बताए गए ब्रेस्टफीडिंग और ब्रेस्ट पम्पिंग के फायदे जानकार हम समझ तो गए हैं कि ब्रेस्ट फ़ीडिंग कराना आसान नहीं है। एक मां को अपनी नींद और आराम छोड़ना पड़ता है। लेकिन उन बच्चों के लिए जो अपनी मां का दूध सीधे नहीं पी पाते हैं, उनके लिए ब्रेस्ट पम्पिंग किसी वरदान से कम नहीं है। ब्रेस्ट पम्पिंग उन बच्चों के लिए भी बढ़िया है, जो अपनी मां का दूध पकड़ ही नहीं पाते।
ब्रेस्ट पंप से संबंधित कुछ सवाल और उनके जवाब / FAQ about breast pumping In Hindi
क्या होता है ब्रेस्ट पंप (What Is Breast Pump)?
आसान शब्दों में आप इस बात को ऐसे समझें कि ब्रेस्ट पंप एक ऐसा उपकरण है जिसकी मदद से मां के स्तन के दूध को निकालकर संरक्षित कर लिया जाता है। शिशु की आवश्यकता के मुताबिक ब्रेस्ट पंप की मदद से निकाले गए दूध को शिशु को पिलाया जाता है।
कितने प्रकार के होते हैं ब्रेस्ट पंप (Types Of Breast Pump)?
मुख्य रूप से अभी 3 प्रकार के ब्रेस्ट पंप मौजूद हैं। पहला है मैनुअल ब्रेस्ट पंप, इसमें मां को दूध निकालने का काम अपने आप से करना होता है। कप के आकार की शील्ड को महिला अपने स्तन पर लगाकर इसके पंप में लगे हुए हैंडल को दबाती हैं और फिर इसके चलते बन रहे प्रेशर की वजह से स्तन से दूध बाहर निकलकर बोतल में जमा होने लगते हैं। दूसरा होता है बैटरी से चलने वाला ब्रेस्ट पंप, इसकी प्रक्रिया मैनुअल पंप से आसान होती है। ये आकार में भी छोटा होता है और इसको कहीं यात्रा करने के दौरान साथ में लेकर चलना भी आसान होता है। बाजार में रिचार्जेबल ब्रेस्ट पंप भी उपलब्ध होते हैं। तीसरा होता है इलेक्ट्रिक ब्रेस्ट पंप। ये बैटरी के साथ ही बिजली से भी चलते हैं। इसमें कुछ और सुविधाएं उपलब्ध होते हैं जैसे कि आप इस पंप की स्पीड को कम या ज्यादा भी कर सकते हैं।
ब्रेस्ट पंप का उपयोग किन परिस्थितियों में कर सकते हैं (When To use Breast Pump)?
हालांकि हमारा सुझाव आपके लिए यही है कि आपके शिशु के लिए सर्वश्रेष्ठ विकल्प स्तनपान ही है। लेकिन कई बार आपके लिए इस तरह की परिस्थतियां आ सकते हैं जब आप ब्रेस्ट पंप को प्रयोग में ला सकती हैं। आपके डॉक्टर भी आपको ब्रेस्ट पंप उपयोग में लाने की सलाह दे सकते हैं।
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कामकाजी महिलाओं के लिए मजबूरी कहिए कि उन्हें अपने बच्चे से कई घंटे तक दूर रहना पड़ जाता है तो वे ब्रेस्ट पंप की मदद से अपने दूध को स्टोर करके शिशु की जरूरतों को पूरा कर सकती हैं।
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अगर आप कहीं दूर की यात्रा कर रही हैं तो उस दौरान भी ब्रेस्ट पंप की मदद से स्टोर किए दूध को अपने शिशु को पिला सकती हैं।
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कई बार होता ये है कि सिजेरियन डिलीवरी के बाद महिलाओं को सामान्य होने में वक्त लग जाता है और उनके लिए शारीरिक कठिनाइयों की वजह से स्तनपान करना मुश्किल हो सकता है, तब ऐसी परिस्थितियों में डॉक्टर की सलाह के मुताबिक ब्रेस्ट पंप को प्रयोग में लाया जा सकता है।
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कुछ महिलाओं के स्तनों में दूध का उत्पादन ज्यादा भी हो सकते हैं तो उसको निकालने के लिए भी ब्रेस्ट पंप का प्रयोग किया जाता है।
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स्तनपान करने के दौरान स्तनों में दर्द का महसूस होना या अन्य किसी परेशानी के चलते भी ब्रेस्ट पंप का सहारा लिया जा सकता है।
क्या ब्रेस्ट पंप के नुकसान भी होते हैं? / Side Effects of Using Breast Pumps In Hindi
ब्रेस्ट पंप के फायदे तो आपने जान लिए लेकिन इसके कुछ नुकसानों के बारे में भी जानना आपके लिए जरूरी है।
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मां और शिशु के बीच बॉन्डिंग- जैसा कि आप जानते हैं कि नवजात शिशु सबसे ज्यादा अपने मां के ही करीब होता है। स्तनपान के दौरान मां और शिशु के बीच में एक बॉन्डिंग बनने लगता है लेकिन अगर ब्रेस्ट पंप के जरिए निकाले गए दूध को बच्चे को पिलाया जाए तो फिर ये आत्मीय संबंध दोनों के बीच बनने में और ज्यादा वक्त लग सकता है।
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अगर लगातार ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल किया जा रहा है तो फिर ये मुमकिन है कि इससे मां के स्तनों में कुछ परेशानियां आ सकती है जैसे कि स्तनों में सूजन की समस्या का होना, स्तनों में दर्द महसूस होने लगना और निप्पल के टिश्यू भी प्रभावित हो सकते हैं।
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दूध के उत्पादन का कम होना- कुछ स्थितियों में ये देखा गया है कि बार बार ब्रेस्ट पंप का इस्तेमाल होने से मां के स्तनों में दूध का उत्पादन प्रभावित हो सकते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर आपका शिशु स्तनपान करता है तो मां के स्तनों में दूध का उत्पादन सामान्य बना रहता है।
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दूध के संक्रमित होने का खतरा- ब्रेस्ट पंप की मदद से निकाले गए दूध के कुछ देर बाद खराब होने का अंदेशा बना रहता है। बहुत देर तक रखे गए दूध में बैक्टीरिया बनने लगते हैं और इसमें मौजूद पोषक तत्व नष्ट हो सकते हैं। ऐसी परिस्थितियों में दूध का सेवन कराने से शिशु को नुकसान पहुंच सकता है।
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शिशु के दांतों पर हो सकते है नकारात्मक असर- एक्सपर्ट्स के मुताबिक स्तनपान कराने से शिशु के दांत व उनके मुंह के अंदर के अंगों का अच्छे से विकास होता है। वहीं दूसरी तरफ बोतल से दूध पिलाने पर दांतों पर इसका गलत प्रभाव पड़ सकता है।
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ब्रेस्ट पंप को अगर सही से साफ-सफाई नहीं किया जाए तो फिर दूध में कई प्रकार के बैक्टीरिया पनपने का खतरा हो सकता है और बच्चा बीमार भी हो सकती है।
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इम्यून सिस्टम पर असर- स्तनपान कराने से आपके शिशु को मां के दूध में मौजूद सभी प्रकार के पोषक तत्व एक साथ मिल जाते हैं और इसके चलते शिशु का इम्यून सिस्टम यानि कि रोग प्रतिरोधक क्षमता विकसित होने लगते हैं। विशेषज्ञों की राय के मुताबिक ब्रेस्ट पंप से निकाले गए दूध में शिशु को सभी पोषक तत्व उपलब्ध नहीं हो पाते हैं।
ब्रेस्ट पंप से निकाले गए दूध को एयर टाइट कंटेनर में डालकर स्टोर करें। इस दूध को अधिकतम 6 से 8 घंटे के लिए रूम टेम्परेचर में स्टोर करके रखा जा सकता है। हमारा सुझाव है कि आप भले ब्रेस्ट पंप का उपयोग करें लेकिन जब कभी आपको समय मिले तो अपने शिशु को साथ में स्तनपान भी कराते रहें।
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