बच्चे को पेशाब न आने पर अपनाएं ये घरेलू उपाय, जल्द दूर होगी समस्या

माता-पिता बनना अपने आप में एक जिम्मेदारी भरा लेकिन प्यार से भरा सफर होता है। जब बच्चा हंसता है, खेलता है और सामान्य व्यवहार करता है, तो माता-पिता की दुनिया खिल उठती है। लेकिन जब अचानक कुछ ऐसा हो जाए जो समझ में न आए — जैसे कि बच्चा ठीक से पेशाब न करे — तो चिंता होना स्वाभाविक है।
क्या यह कोई बीमारी का संकेत है?
क्या घर में ही कोई हल है या डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी होगा?
बच्चा कुछ कह भी नहीं सकता, हम कैसे जानें कि उसे तकलीफ है?
ये सभी सवाल मां-बाप के मन में एकदम स्वाभाविक हैं। इसलिए आज हम बात करेंगे कि जब बच्चे को पेशाब नहीं आ रहा हो या बहुत कम आ रहा हो, तो आप घर पर कौन-से उपाय कर सकते हैं — और कब डॉक्टर की सलाह जरूरी हो जाती है।
बच्चे के पेशाब न आने के संभावित कारण
सबसे पहले यह समझना ज़रूरी है कि यह समस्या क्यों हो रही है। इसके कई कारण हो सकते हैं, जो उम्र, खानपान और मौसम पर निर्भर करते हैं:
1. शरीर में पानी की कमी (डिहाइड्रेशन) – अगर बच्चा पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ नहीं ले रहा है, तो शरीर पेशाब कम बनाता है।
2. तेज बुखार या संक्रमण – यूटीआई (यूरेनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन) जैसी समस्याएं भी पेशाब कम कर सकती हैं।
3. गर्मी का मौसम – गर्मियों में पसीना अधिक निकलने के कारण शरीर पानी शरीर में ही रोक लेता है।
4. डायपर का डर या असहजता – कुछ बच्चे डायपर में पेशाब करने से बचते हैं, खासकर अगर उन्हें रैशेज हो गए हों।
5. शरीरिक थकावट या कमजोरी – यदि बच्चा बीमार है या बहुत थका हुआ है, तो उसका पेशाब करने का रुटीन गड़बड़ा सकता है।
पहचानें लक्षण
अगर बच्चा बोल नहीं सकता, तो निम्न संकेतों पर ध्यान दें:
1. डायपर 6–8 घंटे तक सूखा रहना
2. बच्चा बार-बार रोता हो या बेचैन दिखे
3. पेशाब करते समय दर्द का संकेत देना
4. फीकी त्वचा, रूखे होंठ, गाढ़ा पेशाब
5. सुस्ती या दूध पीने में रुचि न होना
अगर आपको इनमें से एक या अधिक लक्षण दिखें, तो पहले हल्के घरेलू उपाय आजमाएं।
घरेलू उपाय जो तुरंत राहत दे सकते हैं
ये उपाय न केवल आसान हैं, बल्कि सदियों से मांओं और दादी-नानी द्वारा आजमाए जाते रहे हैं:
1. तरल पदार्थों की मात्रा बढ़ाएं
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अगर बच्चा दूध पीता है, तो फीडिंग की मात्रा और आवृत्ति थोड़ी बढ़ाएं।
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अगर बच्चा 6 महीने से ऊपर है और पानी पी सकता है, तो उसे हल्का गुनगुना पानी दें।
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नारियल पानी, सूप, छाछ जैसे तरल पदार्थ भी उपयोगी होते हैं (यदि उम्र और पाचन की स्थिति अनुमति दे)।
2. हाइड्रेटिंग फल खिलाएं (6 महीने से ऊपर के बच्चों के लिए)
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तरबूज, खीरा, संतरा, पपीता जैसे फलों में पानी की मात्रा अधिक होती है।
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इन्हें प्यूरी या छोटे टुकड़ों में देकर बच्चों को खिलाएं।
3. गुनगुने पानी से नहलाएं या सीट बाथ दें
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हल्के गर्म पानी से स्नान या सिट्ज़ बाथ (कमर तक हल्का गर्म पानी में बैठाना) मूत्र मार्ग की मांसपेशियों को रिलैक्स करता है और पेशाब आने में मदद करता है।
4. पेट की हल्की मालिश करें
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सरसों के तेल को हल्का गर्म करके बच्चे के पेट पर धीरे-धीरे मालिश करें।
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मालिश नाभि के आसपास हल्के हाथों से गोल घुमाते हुए करें।
5. नाभि पर नारियल तेल लगाएं
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नाभि के पास थोड़ी मात्रा में नारियल तेल लगाने से शिशु को राहत मिलती है और मूत्र प्रवाह सुचारु हो सकता है।
6. आरामदायक माहौल बनाएं
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कई बार बच्चे मानसिक असहजता या डर की वजह से भी पेशाब नहीं करते।
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शांत वातावरण, मां की आवाज़, हल्की लोरी या गुनगुनाहट से बच्चा रिलैक्स होता है, जिससे पेशाब आ सकता है।
7. थोड़ा ठंडा कपड़ा रखें (पैरों पर)
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हल्का ठंडा गीला कपड़ा शिशु के तलवों पर रखने से मूत्र नली उत्तेजित होती है और पेशाब आने की प्रक्रिया चालू हो सकती है।
कब डॉक्टर के पास जाना ज़रूरी है?
घरेलू उपायों के बावजूद यदि नीचे दिए लक्षण बने रहते हैं, तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें:
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6–8 घंटे से ज्यादा समय हो गया हो और पेशाब न आया हो
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बच्चा सुस्त या चिड़चिड़ा हो गया हो
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आंखें धंसी हुई लगें या होंठ सूखे हों
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लगातार बुखार के साथ पेशाब की कमी
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पेशाब में खून, बदबू या जलन
डॉक्टर यूटीआई, डिहाइड्रेशन या किसी अंदरूनी संक्रमण की जांच कर सकते हैं और उचित इलाज बता सकते हैं।
मां-बाप के लिए भावनात्मक सहयोग
जब बच्चा पेशाब नहीं करता, तो माता-पिता खुद को दोष देने लगते हैं या बहुत ज्यादा घबरा जाते हैं। यह समझना ज़रूरी है कि:
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यह कई बार अस्थायी स्थिति होती है
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आप एक अच्छे माता-पिता हैं जो अपने बच्चे की चिंता कर रहे हैं
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भावनात्मक संतुलन बनाए रखना ज़रूरी है क्योंकि आपकी बेचैनी बच्चे तक पहुंचती है
अपने अनुभव दूसरों से साझा करें, परिवार से बात करें और जरूरत हो तो डॉक्टर की राय लेने में देर न करें।
बच्चे का पेशाब न करना एक आम लेकिन गंभीर संकेत हो सकता है। शुरुआती स्तर पर तरल पदार्थ बढ़ाना, हल्की मालिश, सिट्ज़ बाथ और शांत माहौल जैसी घरेलू चीजें काफी असरदार हो सकती हैं। लेकिन अगर स्थिति जल्दी नहीं सुधरे या लक्षण गंभीर हों, तो डॉक्टर की सलाह लेना सबसे सही कदम है।
मां-बाप होना एक यात्रा है – जहां हर दिन कुछ नया होता है, कभी खुशी, कभी चिंता। लेकिन प्यार, समझदारी और थोड़े धैर्य से आप हर चुनौती को पार कर सकते हैं।
क्योंकि अंत में, जब बच्चा मुस्कुराता है, तो सारी परेशानियां छोटी लगने लगती हैं।
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