नवजात शिशु के नाभि ठूंठ की देखभाल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

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5 years ago

नवजात शिशु के नाभि ठूंठ की देखभाल से जुड़ी महत्वपूर्ण बातें

भ्रूण जब गर्भावस्था में होता है तो वह माता के शरीर के साथ जुड़ा रहता है। इसी नलिका के माध्यम से माता का रक्त, माँस, शिशु के शरीर में पहुँचता है। और उसी से बच्चे का पूरा ग्रोथ होता है। शिशु के जन्म के तुरंत बाद शिशु की गर्भनाल को काट दिया जाता है। नाल को काटने में शिशु को इतना दर्द नहीं होता। क्योकि शिशु की नाल में कोइ नस नहीं होती। चिमटी लगा हुआ नाल का एक हिस्सा शिशु के पेट पर तब तक रहता है। जब तक वो सूख कर अपने आप ना गिर जाए। बच्चे के जन्म के छ: दिन या उससे पहले ही नाभि से लगा अम्बिलिकल स्टंप का रंग सूखने लगता है और उसका रंग भूरा या काला हो जाता है। जन्म के दो हफ्तों के भीतर ही ये ठूंठ गिर जाता है। जिसके बाद शिशु की नाभि को सामान्य अवस्था में आने में तकरीबन हफ्ते भर का वक्त लग सकता है।

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नाभि को हमारे शरीर का एक बहुत ही महत्वपूर्ण अंग माना जाता है। जिसकी अपनी विशेष उपयोगिता है। इसलिए नवजात शिशु की नाभि को स्वच्छ, सुरक्षित और संक्रमण रहित रखने के लिए महिलाओ को सजग रहने की आवश्यकता है। शिशु के नाभि ठूंठ गिरने के बाद नाभि की तली में मवाद या खून जैसा दिखना सामान्य है। जो जख़्म के भरने के बाद अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन नाल के हिस्से के गिरने के बाद से लेकर नाभि बनने तक शिशु को संक्रमण से बचाने के लिए आपको बेहतर देखभाल करनी होती है।

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नवजात शिशु के नाभि ठूंठ (अम्बिलिकल स्टंप) की देखभाल से जुडी कुछ खास बातें / Certain things related to the care of newborn baby's umbilical stumps in hindi

  1. जब तक बच्चे का गर्भनाल (अम्बिलिकल स्टंप) पूरी तरह न सूख जाये। बच्चे की साफ़-सफाई में थोड़ी सी  भी लापरवाही बच्चे को बीमार (बहुत बीमार) कर सकती है।
  2. गर्भनाल स्टंप को ठंडा किए हुए उबले पानी में रूई के फाहे को भिगोकर इससे साफ करें। अगर क्लिप अभी भी जुड़ा हुआ है तो क्लिप को धीरे से उठाएं और साफ करें। इसके अलावा ये ध्यान रखें कि वहां से किसी तरह की दुर्गन्ध, पस या लाल निशान नहीं दिख रहे हों। ये इंफेक्शन के भी लक्षण हो सकते हैं। ध्‍यान रहे कि साफ करते समय ज्‍यादा जोर ना लगाएं। यहाँ इस बात को याद रखें, कि कुछ हल्का सूखा खून होना नॉर्मल है।
  3. अपने शिशु को नहलाते वक्त हर संभव कोशिश करें की बच्चे के नाभि के चारो तरफ का हिस्सा सूखा रहे। इसके सूख जाने के बाद भी कुछ महीनों तक बच्चे के नाभि पे साबुन लगा कर रगड़ें नहीं। कहीं ऐसा न हो की वह जगह छील जाये और शिशु को संक्रमण के खतरे का सामना करना पड़े।
  4. शिशु के लिए यह समय बहुत महत्वपूर्ण होता है। इस दौरान अक्सर शिशु विशेषज्ञ बच्चे के गर्भनाल (अम्बिलिकल स्टंप) पे नारियल का तेल लगाने को कहते हैं। आप अपने शिशु के गर्भनाल (अम्बिलिकल स्टंप) पे नारियल का तेल रुई के पोहे की मदद से लगा सकती हैं। 
  5. शिशु के नाभि ठूंठ में संक्रमण के लक्षण: यदि नवजात शिशु की नाभि ठूंठ  के आसपास का हिस्सा लाल दिखाई दे या नाभि के पास सूजन हो गयी हो या फिर नाभि ठूंठ से खून और मवाद के साथ बदबू आ रही हो तो ऐसी स्थिति में आपको तुरंत डॉक्टर को दिखाना चाहिए क्योंकि शिशु को ओम्फेलाइटिस नाम का संक्रमण हो सकता है ।
  6. बच्चे के नाभि ठूंठ के आसपास छूने पर यदि शिशु रोना शुरू कर देता है और अगर बच्चा बीमार लग रहा है या उसे बुखार हो या वो सामान्य से कम दूध पी रहा हो तो ये भी किसी संक्रमण का असर हो सकता है ।डॉक्टर की माने तो यदि रोते वक्त शिशु का ठूंठ बाहर की तरफ अधिक निकला हुआ दिखाई दे या सामान्य रुप से भी अगर नाभि क्षेत्र में उभार नजर आए तो इसमें विशेष परेशानी की बात नहीं होती । समय के साथ ये अपने आप ही ठीक हो जाता है फिर भी चिकित्सक की सलाह आपकी सारी चिंताओं को दूर करने में सहायक होगा। 

शिशु के नाभि ठूंठ  के हिस्से के गिरने के बाद से लेकर नाभि बनने तक शिशु को संक्रमण से बचाने के लिए आपको बेहतर देखभाल करनी होती है। उपर दी गयी जानकारी को अपनाकर अपने शिशु का रखें ख्याल।         

 

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