जानें क्यों होती है बच्चों में लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या?

लैक्टोज दूध व उससे जुड़े उत्पाद में पाया जाने वाला प्राकृतिक शुगर है। जब किसी को दूध हजम नहीं हो पाता है तो उसे लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या होती है। इस तरह की समस्या अधिकतर बच्चों में दिखती है। हालांकि कुछ व्यस्कों में भी ये समस्या देखने को मिल जाती है। ऐसे लोग जब दूध या उससे बने उत्पाद खाते-पीते हैं तो उन्हें पेट में दर्द, पेट फूलना या उल्टी-दस्त की समस्या शुरू हो जाती है। एक आंकड़े के अनुसार, देश में करीब 3-4 प्रतिशत बच्चे और 1 पर्सेंट व्यस्क लैक्टोज इंटॉलरेंस से पीड़ित हैं।
क्या कारण हैं लैक्टोज इंटॉलरेंस के? / What Are The Reasons Behind Lactose Intolerance in Hindi
- यह बॉडी में लैक्टेज एंजाइम की कमी से होता है। दूध का लैक्टोज जब छोटी आंत में पहुंचता है, तो वहां से स्त्रावित लैक्टेज एंजाइम से ग्लूकोज और गैलेक्टोज टूट जाता है, जिससे दूध आसानी से पचता है। वहीं शरीर में लैक्टेज एंजाइम की कमी होती है तो लैक्टोज टूट नहीं पाता और दूध पचता नहीं है।
- लैक्टोज इंटॉलरेंस की समस्या जन्म से लेकर अधिक उम्र वालों को भी हो सकती है। जन्मजात होने पर यह एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में जाती है, जबकि किशोरावस्था या व्यस्कों में होने पर यह बाद में ठीक भी हो जाती है।
- इसके अलावा बड़े लोगों में यह समस्या पेट की बीमारी के इलाज के बाद भी शुरू हो जाती है।
क्या लक्षण हैं लैक्टोज इंटॉलरेंस के? / What are the Symptoms of Lactose Intolerance in Hindi
आमतौर पर बच्चों में लाक्टोस इनटॉलेरेंस के कुछ प्रमुख कारण होते हैं। यहाँ पैर जानें बच्चों में होने वाले लाक्टोस इनटॉलेरेंस के कुछ मुख्य लक्षण। इन्हे पढ़ें ...
- पेट में दर्द
- पेट फूलना
- आंतों में गड़गड़ाहट
- गैस
- -जी मिचलाना
- उल्टी
- दस्त
बच्चे पर लैक्टोज इंटॉलरेंस के दुष्प्रभाव / Side-effects of Lactose Intake in Hindi
अगर बच्चा इस समस्या से परेशान है, तो उसे दूध पीने के बाद उल्टी व दस्त लगने लगता है। दस्त के कारण शरीर के अन्य मिनरल्स के साथ कार्बोहाइड्रेट और फैट भी निकल जाता है। इससे बच्चा कमजोर होने लगता है। खून की कमी से एनीमिक हो जाता है और इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता भी घटती है और बच्चा बीमार रहने लगता है।
लैक्टोज इंटॉलरेंस से बचाव के उपाय / Remedies to Prevent Lactose Intolerance in Hindi
- जिन लोगों को दूध से एलर्जी होती है, उनको पानी और दूध सामान मात्रा में मिलाना चाहिए। इसे इलायची, दालचीनी, अदरक व लौंग जैसे मसालों के साथ पाचन को बढ़ावा देने और गर्म सेवन के लिए उबालना चाहिए।
- मक्खन को घी की तरह लेने से भी इस समस्या से बच सकते हैं। दरअसल घी खाने में मीठा और खाना पकाने में हल्का होता है, इससे पाचन प्रक्रिया प्रोत्साहित होती है।
- दही नेसल चैनल्स को कंजेसस्ट्स करती है, इसलिए इसे गुनगुने छाछ के रूप में हल्की सी लस्सी के रूप में सेवन करना बेहतर होता है।
- पनीर का सेवन करने के लिए काली मिर्च जैसे पाचन एंटीडोल का उपयोग करना चाहिए, ताकि श्लेष्म बनाने वाले प्रभाव को खत्म कर दिया जा सके।
परेशानी से बचने के कुछ ऑप्शन और भी हैं
इस परेशानी से बचने के लिए लैक्टोज फ्री दूध भी उपलब्ध है। इस दूध में मौजूद लैक्टोज को पहले ही ग्लूकोज और गैलेक्टोज में परिवर्तित कर दिया जाता है, जिससे दूध को बचने में कोई दिक्कत न हो। यह प्रोटीन, विटामंस, कैल्शियम व अन्य मिनरल्स का पोषण भी देता है।
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