बच्चों में हिचकी की समस्या को कैसे दूर करें ?

नवजात शिशु और छोटे बच्चों में हिचकी की समस्या के कई कारण हो सकते हैं। हिचकी की समस्या नवजात से लेकर बुजर्ग तक सबको होती है।आपने खुद भी नोटिस किया होगा कि जब कभी आपको हिचकी होती होगी तो आप असहज हो गई होंगी। छोटे बच्चों में हिचकी की समस्या ज्यादा होती है। इसके पीछे की वजह से डायाफ्राम का बार-बार सिकुड़ना है। 1 साल से कम उम्र के बच्चों को हिचकी की समस्या ज्यादा आती है। हालांकि ये चिंता का विषय नहीं है। यह समस्या कुछ समय बाद ठीक भी हो जाती है। इस ब्लॉग में हम बताएंगे बच्चों की हिचकी दूर करने उपाय।
छोटे बच्चों को हिचकी क्यों होती है /Why Do Babies Hiccups in Hindi
एसिड रिफ्लक्स (acid reflux) की वजह से स्तनपान (ब्रेस्टफीडिंग) या बोतल से दूध पिलाने के बाद बच्चे को हिचकी आ सकती है। दरअसल नवजात बच्चे का पेट काफी छोटा होता है। बच्चा जब अधिक दूध पी लेता है तो उसका पेट फैल जाता है और इससे बच्चे के डायफ्राम पर दबाव पड़ता है। डायफ्राम एक झिल्ली की तरह होता है, जो बच्चे के पेट को उसके कलेजे और फेफड़ों से अलग करता है। डायफ्राम पर दबाव पड़ते ही बच्चे को हिचकी आने लगती है।
क्या हैं हिचकी दूर करने के उपाय / How to Get Rid of Hiccups in Hindi
हिचकी आने पर अगर आप फौरन कुछ उपाय करें तो हिचकी तुरंत ठीक भी हो सकती है। आइए जानते हैं बच्चों की हिचकी दूर करने के कुछ उपाय..
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बच्चे को दूध पिलाते यानी ब्रेस्ट फीडिंग कराते समय उसके शरीर का ऊपरी हिस्सा जरा सा उठाकर रखें। दूध पिलाने के कुछ देर बाद तक उसे वैसे ही रखें। ऐसा करने से बच्चे को हिचकी नहीं आती। अगर उसे हिचकी आती भी है तो ऐसा करने से उसके कुछ ही देर में ठीक भी हो जाती है।
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दूध पिलाने के दौरान अगर बच्चे को हिचकी आती है, तो 10 मिनट का गैप लेकर बच्चे को दूध पिलाएं। इसके अलावा हिचकी आने पर बच्चे की पीठ थपथपाएं, इससे उसे राहत मिलेगी।
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बच्चे को दूध पिला रहे हैं या फिर कुछ खिला रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखें कि वह जल्दी-जल्दी खाना न खाए या दूध ना पीए। दरअसल जल्दी-जल्दी खाने से हवा अंदर जाती है और इससे हिचकी आती है।
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बच्चे को जब दूध पिला दें तो उसे 20 से 25 मिनट तक गोद में सीधी रखें और पीठ पर हाथ फेर-फेर कर डकार दिलाएं। इससे उसके पेट में गैस नहीं बनेगी और हिचकी खत्म हो जाएगी।
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एक साल से कम उम्र के बच्चे को शहद न दें। इससे भी उसे हिचकी की समस्या हो सकती है।
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अगर बच्चे को ज्यादा तेज हिचकी आ रही है तो उसे थोड़ा सा ग्राइप वॉटर पिला सकती हैं। दरअसल ग्राइप वॉटर में सौंफ, नींबू और अदरक का मिश्रण होता है। जो हिचकी में राहत दिलाती है।
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हिचकी आने पर बच्चे को चूसने के लिए पेसीफायर भी दे सकते हैं। इससे बच्चे के डायाफ्राम को राहत मिलेगी और हिचकी बंद होगी।
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अगर बच्चा 6 महीने से ऊपर का हो गया है और ठोस आहार लेने लगा है तो उसे थोड़ी सी चीनी खिलाएं। चीनी से डायाफ्राम को राहत मिलती है और बच्चे की हिचकी बंद होगी। बच्चा अगर ठोस आहार नहीं ले रहा है, तो चीनी का सिरप बनाकर पेसीफायर को उसमें डुबाकर बच्चे के मुंह में दे सकते हैं।
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बच्चे का ध्यान भटकाएं – अगर बच्चे की हिचकी नहीं रुक रही है तो आप उसका ध्यान भटकाएं। आप खिलौना व गाना सुनाकर उसका ध्यान भटका सकते हैं।
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बच्चे को ज्यादा स्तनपान न कराएं। देखा गया है कि ज्यादा स्तनपान भी बच्चे में हिचकी का कारण बनता है। ऐसे में हिचकी को रोकना चाहते हैं तो अधिक स्तनपान से बचें।
तो आप ऊपर बताए गए उपायों को आजमाकर अपने बच्चे को हिचकी की समस्या से राहत दिला सकती हैं। इसके अलावा भी अगर आप अन्य उपायों के बारे में जानती हैं तो कृपया अन्य मां के साथ इसको शेयर करने के लिए नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में जरूर लिखें।
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