सामान खरीदते वक्त बच्चों में इस तरह डालें हिसाब करने की आदत

3 to 7 years

Prasoon Pankaj

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4 years ago

सामान खरीदते वक्त बच्चों में इस तरह डालें हिसाब करने की आदत

महंगाई के इस दौर में पैसों का बहुत महत्व है। हर कोई अधिक से अधिक पैसा चाहता है, बेहतर लाइफस्टाइल चाहता है, लेकिन ये तभी संभव है जब बचत करना आता हो। एक पैरेंट्स होने के नाते ये आपका फर्ज है कि आप बच्चे में शुरू से बचत की आदत डालें व उसे पैसों का महत्व बताएं। पैसा कैसे बचाया जाता है, ये बात बच्चा तभी सीखेगा जब वह आपके साथ बाहर बाजार में निकलेगा और आपको मोलभाव करते हुए देखेगा। इस दौरान सबसे खास बात ये होगी कि वह हिसाब करना सीख जाएगा। यहां हम बताएंगे कि आप कैसे सामान खरीदते वक्त बच्चे में हिसाब करने की आदत विकसित कर सकते हैं।
 

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इन बातों का रखें ध्यान

  1. खरीदारी के लिए प्रेरित करें – बच्चा जब 3-4 साल का हो जाए तो उसे अपने साथ ले जाएं। उसे छोटी-छोटी खरीदारी के लिए भी प्रेरित करें। हो सकता है शुरू में खरीदारी के दौरान वह जोड़ घटा करने में भूल कर दे, लेकिन धीरे-धीरे वह हिसाब करना सीख जाएगा।
     
  2. खरीदारी के दौरान किसी भी सामान का हिसाब उसके सामने जोड़ें – अगर आप खुद खरीदारी कर रहे हैं और साथ में बच्चा है तो आप सामान का हिसाब-किताब बच्चे को दिखाते व सुनाते हुए जोड़ें, ताकि वह भी आपको धेकर हिसाब करना सीख सके।
     
  3. शुरुआत में उंगलियों का भी सहारा ले सकते हैं – कम उम्र में हो सकता है बच्चा जोड़-घटा करने में उतना फास्ट न हो या फिर उसे इसमें दिक्कत आ रही हो। ऐसी स्थिति में आपको चाहिए कि खरीदारी के दौरान आप हिसाब को ऊंगलियों पर जोड़कर बच्चे को दिखाएं। ऊंगलियों पर जोड़-घटना करना बच्चे के लिए आसान होगा। वह आसानी से छोटे हिसाब करना सीख जाएगा।
     
  4. पैमानों व मानकों के बारे में भी बताएं – बच्चों को अलग-अलग सामानों के पैमानों व मानकों के बारे में भी बताएं। मान लीजिए अगर आप दूध खरीदने निकले हैं, तो बच्चे को बताएं कि दूध व दूसरे अन्य लिक्विड पदार्थ लीटर के हिसाब से मिलता है और 1 लीटर में कितने ग्राम होते हैं। अगर आप चावल खरीद रहे हैं, तो उसे बताएं कि चावल, गेहूं, दाल व अन्य चीज जो लिक्विड रूप में नहीं है को किलो के हिसाब से खरीदते हैं।
     
  5. मोलभाव करना भी बताएं – जब आप बाजार में खरीदारी के लिए निकलें तो बच्चों को मोलभाव करना भी सिखाएं। उन्हें दिखाएं कि किस तरह बाजार में दुकानदार अतिरिक्त मूल्य बताता है और किस तरह रुपया कम करके हमें कीमत तय करनी चाहिए। किस तरह दुकानदार से मोलभाव करना चाहिए।

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