कैसे करें अपने पति को शामिल बच्चे के पालन-पोषण में

आज कल सभी मम्मी-पापा नौकरी करते हैं। ऐसे में जहाँ बाहर और नौकरी की ज़िम्मेदारी दोनों की होती है वहीं घर की ज़िम्मेदारी अभी भी केवल मम्मी या यूं कहें की औरतों तक आकर रुक जाती है। लेकिन बहुत ज़रूरी है की बच्चों के पालने में भी मम्मी और पापा दोनों का बराबर किरदार हो। वे दोनों ही अपने बच्चे की ज़िम्मेदारी लें।
ऐसे में सवाल ये उठता है की बच्चे के पालन-पोषण और उनकी देखभाल में आप अपने पति को कैसे शामिल कर सकते हैं। नीचे इससे जुड़े कुछ तरीके दिए गए हैं-
- अक्सर ऐसा देखा जाता है की बच्चों को सुबह उठाने की ज़िम्मेदारी मम्मी की ही होती है। वह ही सुबह जल्दी उठकर बच्चे को उठती है और साथ ही साथ बाकी ज़िम्मेदारियाँ भी पूरी करती है। ऐसे में दिन की शुरुआत अपने पति को बच्चे की देखरेख में शामिल करके की जा सकती है। सुबह बच्चे को उठाने की और उसके काम करने की ज़िम्मेदारी अपनी पति को दें और आप घर के काम संभाले।
- बच्चों को स्कूल से लाने और ले जाने की ज़िम्मेदारी भी एक-दूसरे के साथ बाँटें। सुबह आपके पति बच्चे को स्कूल छोडने का सकते हैं और लेने के लिए आप जा सकती हैं। इस तरह आप दोनों को बच्चे के साथ टाइम बिताने और स्कूल की बातें जानने का मौका मिलेगा।
- अगर आप खाना बना रही है तो बच्चे के साथ बैठकर उसे खाना खिलाने की ज़िम्मेदारी पति को दी जा सकती है। इस तरह से वह बच्चे के साथ तसल्ली और प्यार से काम करना सीखेंगे। बच्चे के साथ खाना खाते हुए समय बिताना दोनों में प्यार को भी बढ़ाएगा।
- अक्सर बच्चों के स्कूल में टीचर और मम्मी-पापा के मीटिंग्स होती रहती है और ऐसी मीटिंग्स में छुट्टी न मिल पाने के कारण अक्सर केवल मम्मी ही जाती हैं। आपके पति के लिए भी ये जानना बहुत ज़रूरी है की बच्चे के स्कूल में क्या हो रहा है। इसलिए अगर एक मीटिंग आप अकेले अटटेंड करती है तो दूसरी में अपने पति को अपने साथ ज़रूर लेकर जाएँ।
- हफ्ते में एक दिन अपने पति और पूरे परिवार के साथ घर में या घर से बाहर बच्चे के साथ समय ज़रूर बिताएँ। उन्हें अपनी बातें बताने का मौका दें और उनके साथ अपने दिनभर के कुछ किस्से बाँटें।
- रात को बच्चों का कहानी सुनकर या बातें करके सोना अक्सर ही पसंद होता है। क्यों न वह ज़िम्मेदारी कभी-कभी अपने पति को दी जाए। इससे बच्चे पापा के साथ भी सहज होना और मम्मी के बिना सोना भी सीखेंगे।
ये ऐसे छोटे-छोटे तरीके हो सकते हैं जिससे अपनी पति पर बोझ बढ़ाए बिना उन्हें बच्चों के पालन-पोषण और देखरेख में शामिल किया जा सकता है।
यह लेख प्रिया गर्ग ने लिखा है |प्रिया गर्ग ने माध्यमिक शिक्षा में स्नाकोतर (Bachelor of Elementary Education) और हिंदी भाषा तथा शिक्षा में उच्च-स्नाकोतर किया है| वह पेशे से पाठ्यक्रम विकासकर्ता है| वह बालशिक्षा और समाज से संबंधित विषयों पर लेख लिखती हैं|
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