माँ, आप बहुत अच्छी हो।

11 to 16 years

Leena Jha

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4 days ago

माँ, आप बहुत अच्छी हो।

समय बहुत तेजी से गुजरता है!

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एक समय था जब मैं अपने बेटे को उसकी दांतों की सालाना जांच के लिये डाक्टर के पास लेकर जाती थी, और आज मेरा जवान बेटा मेरी दांत की तकलीफ, जिसकी मैं काफी समय से अनदेखी कर रही थी, की वजह से मुझे डाॅक्टर के पास लेकर आया है।

समय बीतने के साथ जब इस तरह से किरदारों की अदला-बदली होती है तो यह देखकर कितना अच्छा लगता है।

‘आप इतनी परेशान क्यों हंै?’ मेरा हाथ थाम कर उसने पूछा।

‘मैं परेशान नहीं हूँ ... बस मुझे डाक्टर से मिलने के लिये बाहर बैठकर इंतजार करना पसंद नहीं।

मैं आज तक नहीं समझ पाई ... क्या वाकई में इतना समय बीत चुका है? कभी-कभी तो लगता है कि जैसे कल की ही बात हो।

‘आपको याद है, जब मैं छोटा था तो आप मुझे यहाँ लाया करती थीं?’

‘आप अपने साथ वे क्विज़ कार्ड्स भी लाती थीं जिनके साथ हम क्विज़ गेम्स खेलते थे और कैसे वो इंतजार का समय मौज-मस्ती करते हुए कट जाता था ... और शायद इसीलिए मेरे अंदर क्विज़ गेम्स के बारे में दिलचस्पी पैदा हुई।’

मेरा बेटा क्विज़ गेम्स में बहुत तेज है और उसने स्कूल, काॅलेज और यहाँ तक कि राष्ट्रीय स्तर पर भी कई ईनाम जीते हैं।

मुझे अपने बेटे के साथ बिताए उसके बचपन के दिनों को याद करने से ज्यादा कुछ भी नहीं लुभाता। वहाँ बैठे-बैठे हम अपने उन पुराने और बेपरवाही के अच्छे दिनों को फिर से जी रहे थे। कुछ बातों को याद करके हंसना आता तो कुछ को याद करने से हमारी आंखे नम् हो जातीं पर हमें उस समय अपनी बातचीत रोकनी पड़ी जब हमने एक महिला को अपने बेटे के साथ अंदर आते हुए देखा।

शुरूआती औपचारिकता पूरी करने के बाद वो माँ-बेटे भी वहीं बैठ गये और बिना एक पल गंवाये महिला ने अपने बैग से मोबाइल फोन निकाला और अपने बेटे को देते हुए बोली ‘लो, अब शांति से बैठकर खेलो’। इसके बाद उस महिला ने दूसरा फोन निकाला और खुद भी व्यस्त हो गई।

अब वहाँ पूरी शांति थी और हम चुपचाप उन दोनों माँ-बेटे को देख रहे थे। बेटा मोबाइल में गेम खेलने में व्यस्त था और माँ शायद कोई वीडियो देख रही थी।

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कुछ देर बाद मेरे बेटे ने चुप्पी तोड़ी। 

‘आपको याद है माँ, एक बार मैंने गुस्से में आपसे कहा था कि आप दुनिया की सबसे बेरहम माँ हो।’

‘नहीं... मुझे याद नहीं कि वाकई में ऐसा कुछ हुआ था?

‘जब आपने मेरे लिये प्लेस्टेशन खरीदने से इंकार कर दिया था और इसके बजाय मुझे बैडमिंटन रैकेट खरीद कर दिये थे।’

‘अरे हाँ!! .....याद आया ... उस दिन तुम मुझसे बहुत नाराज़ थे।’

‘और फिर तुमने मुझे बताया था कि कैसे जब तुम्हारे सभी दोस्त प्लेस्टेशन के बारे में बात करते हैं तो तुम अकेले पड़ जाते हो ... ये तो मुझे याद है पर मुझे याद नहीं कि तुमने मुझे सबसे बेरहम माँ का नाम दिया था।’ मैंने मुस्कुरा कर कहा।

‘पापा अमेरिका गए हुए थे और मेरे जन्मदिन पर आप दोनों ने मुझे आईपैड देने का सोचा था, जो पापा अमेरिका से लाए थे।’

‘अपनी क्लास में मैं पहला लड़का था जिसके पास आईपैड था जिसमें मेरे पढ़ाई-लिखाई की चीजों को डाउनलोड करने की इजाजत तो आसानी मिल गई पर फिर इसमें गेम्स डाउनलोड करने के लिये मुझे आपको कितना मनाना पड़ा था।’

हमने फिर उन खेलों के बारे में बात करना शुरू कर दिया जो हम खेला करते थे, हम जो किताबें पढ़ते थे और वो छुट्टियों का समय जो मैंने अपने बेटे के साथ गुजारा। मोनोपाॅली, मास्टरमाइंड, कैरमबोर्ड, लूडो, सांप-सीढ़ी, बे्रनवीटा, जिंगा, बैडमिंट, साइकिल चलाना, अंताक्षरी, हैरीपाॅटर, पर्सी जैक्सन, रोआल्ड डाल के जैसे तरह-तरह के खेल। वो एक-दूसरे के साथ गुजारा हुआ समय और अपनापन, वो एक साथ खेल खेलना, जीतना और हार जाने वाले को चिढ़ाना.... एक साथ गुजारे इतने सालों के उन प्यारे दिनांे की याद अभी भी हमारे मन में ताजा है। 

पर अचानक मेरा बेटा संजीदा हो गया और उसने बड़े प्यार से मेरा थाम लिया।

‘थैंक्स माँ .... आप बहुत अच्छी हो।’

‘आपने कभी भी मुझे अकेलेपन का अहसास नहीं होने दिया।‘

‘अगर आप उस समय सख़्ती न करती तो मेरे बचपन में भी मोबाइल, आईपैड और वीडिओ गेम्स के सिवा और कुछ न होता ....और न ही मेरे बड़े होने से लेकर हमारे एक-साथ बिताये इतने सालों की खुशनुमा यादें होतीं।’ 

अब मैंने कमरे में उस ओर देखा जहाँ वे दोनों माँ-बेटा बैठे हुए थे .... और खुद से यह सवाल करने से न रोक सकी कि आज से दस साल बाद जब ये दोनों डाक्टर से मिलने के लिये यहाँ आयेंगे, ‘‘तो वे किस बारे में बात करेंगे?’’

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