बच्चों को पढ़ाने के तरीके

Priya Garg के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Apr 16, 2021

अक्सर माता-पिता के लिए अपने 7-11 साल तक के बच्चों को पढ़ाना बहुत मुश्किल हो जाता है। इसका कारण बच्चों का एक्टिव होना है। यदि इसे बाल-मनोविज्ञान की भाषा में समझा जाए तो इस उम्र में बच्चों की सभी काम खुद करके देखने में, खेलने में, अलग-अलग चीजों को समझने में, उनका इस्तेमाल करने में मज़ा आता है। इस उम्र में बच्चों को किताबों से न पढ़कर अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल करते हुए पढ़ने में ज़्यादा मज़ा आता है।
- बच्चों को पढ़ाने के असरदार तरीके- अक्सर एक ही चीज़ को सिखाने के कई तरीके होते है और हम उसमें से सबसे आसान तरीका अपना लेते हैं। वह आसान तरीका होता है कॉपी-किताब देकर बच्चों को पढ़ने के लिए बैठा देना। इस उम्र में यह तरीका बच्चों के लिए बहुत ही नीरस या बोरिंग हो जाता है। इसलिए ज़रूरी है की बच्चों को पढ़ाने के लिए अलग-अलग चीजों का इस्तेमाल किया जाए। जैसे- जोड़ या घटा सीखाने के लिए राजमा या मोती का इस्तेमाल करना। इस तरह काम करना जहाँ एक तरफ मज़ेदार होता है वहीं दूसरी तरफ सीखने के लिए ज़्यादा असरदार भी होता है।
- बातों-बातों में सिखाएँ उनके जीवन से जुड़ी समस्याओं का समाधान- इस उम्र में बच्चों को बातें करने और सुनने में बहुत मज़ा आता है। साथ की इस उम्र में वो बातों को सुनकर प्रॉब्लम को समझने भी लग जाते हैं। उन्हें समस्याओं को सुनने, देखने और उनका हल ढूँढने में बहुत मज़ा आता है। समस्या-समाधान एक ज़रूरी कौशल भी है जो भविष्य में बच्चों के बहुत काम आता है। आप इसके विकास की शुरुआत छोटी-छोटी समस्याओं पर बातचीत करके कर सकती हैं। जैसे- मुझे रसोई में ऊँचाई पर रखे एक डिब्बे की जरूरत है। जब आपके पापा घर में होते हैं तो वे उस डिब्बे को उतार देते है पर अभी वो घर पर नहीं है। ऐसे में मुझे क्या करना चाहिए? संभव है की इस सवाल का जवाब आए कि उनके आने का इंतज़ार करो। ऐसे में आप बच्चों को समझा सकती है कि आपको उस डिब्बे कि जरूरुत अभी है। इसके बाद आप स्वयं बच्चों के जवाब और सोचने के तरीके में आए बदलाव को महसूस कर सकेंगे।
- घूमकर लें सीखने का मज़ा- इस उम्र में बच्चों को आस-पास की चीज़ों को देखने और उनसे सीखने में बहुत मज़ा आता है। साथ ही यह नई चीज़ें सीखाने एक बेहतरीन तरीका भी हैं। जैसे पेड़-पौधे या आस-पास की चीज़ों के बारे में सिखाने के लिए आप चाहें तो अपने बच्चों को घर की छत या आस-पास किसी बगीचे में लेकर जा सकती हैं। वहाँ बच्चों को अलग-अलग पत्तियों के आकार और बनावट देखने के लिए कहा जा सकता है।
- अन्य बच्चों के साथ मिलकर सिखाएँ नई बातें- अक्सर बच्चे अकेले नहीं किसी साथी के साथ खेल-खेल में नई-नई बातें सीखते है। इसलिए ज़रूरी है की बच्चों कि दिनचर्या में से कुछ समय साथियों के साथ खेलने के लिए भी निकालें। अक्सर साथियों के साथ वे उनके तौर-तरीके, व्यवहार, घर, नियम आदि के बारे में सीखते हैं और ये समझ उन्हें अलग-अलग लोगों और उनके रहन-सहन को समझने में मदद करती है।
ये सभी तरीके बच्चों को नई बातें सीखाने के लिए आसान और प्रभावशाली है। इन तरीकों का इस्तेमाल कीजिए और अपने बच्चों में आए बदलाव को महसूस कीजिए।
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इस ब्लॉग को पेरेंट्यून विशेषज्ञ पैनल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा जांचा और सत्यापित किया गया है। हमारे पैनल में निओनेटोलाजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट, चाइल्ड काउंसलर, एजुकेशन एंड लर्निंग एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लर्निंग डिसेबिलिटी एक्सपर्ट और डेवलपमेंटल पीड शामिल हैं।
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