बच्चों को इस तरह सिखाएं फल सब्जी खरीदना

Parentune Support के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Nov 22, 2020

हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा पढ़ने लिखने में होशियार होने के साथ ही रुपयों की बचत, घरेलू कामकाज, बाजारी से खरीदारी आदि करने में भी तेज बने। पर ये इतना आसान नहीं होता। स्कूल व ट्यूशन की वजह से बच्चा पढ़ने में तो तेज बन जाता है, लेकिन बाजारी खरीदारी, घरेलू कामकाज में व्यवहारिक ज्ञान की जरूरत होती है और यह ज्ञान न तो स्कूल में मिलता है और न ही किसी ट्यूशन में इस वजह से अधिकतर बच्चे इस मामले में पीछे रह जाते हैं। अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ग्रोसरी व बाजार से अन्य सामानों की खरीदारी के मामले में भी आगे रहे, तो आज हम आपको बता रहे हैं, कुछ ऐसे तरीके जिनकी मदद से आप उन्हें इसमें अव्वल बना सकते हैं।
इन बातों पर करें अमल
- बच्चे में 3 साल के बाद समझ विकसित होने लगती है। वह चीजों को समझने लगता है। ऐसे में जरूरी है कि जब आप ग्रोसरी सामान खरीदने दुकान पर जा रहे हों, तो अपने साथ बच्चे को भी ले जाएं। वह आपको सामान चुनते व रेट को लेकर बात करते देखेगा तो काफी कुछ सीखेगा। ये सीख बड़े होकर उसके काम आएगी।
- इसके अलावा बच्चे को बताएं कि शॉपिंग करते वक्त सामानों पर लिखे रेट को जरूर चेक करे। दुकानदार के कहे रेट पर भरोसा न करे। हो सकता है कि दुकानदार रेट बढ़ाचढ़ाकर जोड़ रहा हो। ऐसे में प्राइस टैग देकना जरूरी है।
- बच्चे को सामान का वजन चेक करने के बारे में भी बताएं। उसे कहें कि जब भी कोई सामान खरीदे तो उसका वजन, दुकानदार के तराजू को जरूर चेक करे। अक्सर दुकानदार वजन तौलने में हेराफेरी करते हैं। ऐसे में उसे खास ध्यान देना होगा।
- बच्चे को ये भी बताएं कि जब भी खरीदारी करने के लिए निकलें, तो 2-3 दुकान पर सामान का रेट जरूर चेक करें। हो सकता है कि कोई सामान जो एक दुकानदार 50 रुपये किलो दे रहा हो, वह सामान दूसरा दुकानदार 45 रुपये किलो बेच रहा हो। अगर आप 2-3 जगह पूछने के आदत रखेंगे, तो इससे आपको सामान सस्ता मिलने के चांस रहेंगे।
- इसके अलावा बच्चे को ये भी बताएं कि पैकेट वाला सामान खरीदते वक्त उसकी मैन्यूफैक्चरिंग व एक्सपायरी डेट को जरूर चेक करे। इससे आपको दुकानदार चाहकर भी खराब क्वॉलिटी का सामान नहीं बेच सकेगा।
- थोक में सामान लेने की आदत भी अपने बच्चे को सिखाएं। उसे बताएं कि कोई भी सामान एक साथ थोक में खरीदने पर वह सस्ता पड़ता है। बार-बार कम क्वांटिटी में सामान खरीदना महंगा पड़ता है।
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इस ब्लॉग को पेरेंट्यून विशेषज्ञ पैनल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा जांचा और सत्यापित किया गया है। हमारे पैनल में निओनेटोलाजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट, चाइल्ड काउंसलर, एजुकेशन एंड लर्निंग एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लर्निंग डिसेबिलिटी एक्सपर्ट और डेवलपमेंटल पीड शामिल हैं।
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