कनछेदन (Ear Piercing) से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

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3 months ago

कनछेदन (Ear Piercing) से जुडी कुछ महत्वपूर्ण जानकारी

कान छिदवाना किसी के लिए धर्म और संस्कार का हिस्सा है तो किसी के लिए फैशन का। कुछ परिवारों में बहुत छोटी उम्र में लड़कियों के कान छिदवा दिए जाते है। कान छिदवाना के दौरान और बाद में बहुत-सी बातों का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी है जिससे कान में दर्द कम हो और किसी तरह का इन्फ़ैकशन भी न हो।
 

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कान छिदवाने से पहले-

कान का वह हिस्सा जिसे छेदा जाना है वह बहुत कोमल और नर्म होता है। कान छिदवाने से पहले उस हिस्से को अच्छी तरह से साफ कर लें और जाँचें की वहाँ उस जगह के आस-पास किसी तरह की चोट न हो।
 

कान छिदवाने के दौरान-

1.) आराम से बैठें- कान में बाली डलवाने के दौरान थोड़ा-सा दर्द होता है ऐसे में डर लगना स्वाभाविक है। ऐसे में अक्सर बच्चे हिलने लगते हैं या आगे-पीछे भागने लगते हैं। ऐसा करने से कट जाने या दोनों कान के छेदों की जगह का अलग-अलग हो जाने का खतरा रहता है। इसलिए बहुत ज़रूरी है की कान छिदवाते समय आराम से बिना हिले बैठा जाए।
2.) बाली की जाँच करें- अक्सर कान छेदने के लिए बाली का इस्तेमाल किया जाता है। जिस बाली का इस्तेमाल करना है उसे जाँचें की वह नई हो। उसका इस्तेमाल पहले नहीं किया गया हो।
 

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कान छिदवाने के बाद क्या ध्यान रखें-

1.) कान को बार-बार न छुए- कान छिदवाने को कान को बार-बार छूने से बचे इससे कान में खिंचाव आने का और कान  में संक्रमण होने का डर रहता है।
2.) छेद की देखभाल कैसे करें - कान के छेद को दिन में दो बार धोएँ। उसकी नमी को बनाकर रखें और उसपर एंटीबैक्‍टीरियल दवाई भी लगाएँ। आप इसपर लगाने के लिए घरेलू उपायों को भी अपना सकती हैं। इसके लिए आप एक चम्‍मच तेल में थोड़ी सी हल्‍दी मिलाकर हल्‍का गर्म करके कानों पर लगा सकते हैं। हल्‍दी में एंटीबैक्‍टीरियल तत्‍व होने के कारण यह संक्रमण से बचाती है और किसी भी तरह के घाव को जल्‍दी भरती है।  कान के छेद पर हाथ लगाने से पहले उन्हें साबुन से ज़रूर धोएँ। काम की बाली को बीच-बीच में घुमाते रहें ताकि वह एक जगह पर न जमें। साथ ही ऐसा करने से  छेद वाली जगह पर गंदगी नहीं जमती।

3.) कान के छेद को पानी से बचाएँ-  कान के छेद को पानी से बचा के रखें। अगर आपको स्‍विमिंग करने का शौक हैं तो कुछ दिनों तक इस शौक से दूर रहें। कान छिदवाने के 6 हफ्तों के बाद ही स्‍विमिंग करें। क्‍योंकि स्विमिंग करने से पूल का पानी आपके छेद वाले स्‍थान पर लगने से संक्रमण का खतरा बढ़ा सकता है। 
 

4.) कपड़े पहनते और उतरते समय ध्यान रखें- कपड़े बदलते समय विशेष एहतियातें बरतें की कान का पिछला भाग कपड़े या तौलिये में न फंस जाए। इसके अलावा इस बात का भी ध्यान रखें कि आपकी चादर, तकिया और कंबल साफ-सुथरा है और उसको अक्सर बदला जाता रहे ताकी छिदे हुए कान तक रोगाणुओं के पहुंचने की संभावना को कम किया जा सके।
भारी ज्‍वैलरी पहनने से बचें- जब तक कान के छेद पूरी तरह से ठीक ना हो जाएं तब तक कानों में बहुत बड़े टॉप्‍स या बड़ी बाली जैसी भारी ज्‍वैलरी पहनने से बचें। इससे कान में दर्द बढ़ जाने या खिंचाव आने का खतरा बढ़ सकता है।
 

5.) संक्रमण के संकेतों पर नजर रखें- कान की बाली त्वचा से चिपक गई है, या सूजन, लालिमा, बुखार, छिदी हुई जगह से बदबूदार द्रव या मवाद का निकलना और त्वचा पर कोई ददोरा होने पर अगर आपको संक्रमण का संदेह हो रहा है तो तुरंत अपने डाक्टर से संपर्क करें


दी गई सभी बातों का ध्यान रखते हुए कान छिदवाने के बाद उसे किसी तरह के इन्फ़ैकशन या बीमारी से बचाया जा सकता है।

 

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