मेरे पिता : मां धरती है तो पिता आकाश है

कहते हैं मां धरती है तो पिता आकाश। मुझे याद है मेरा आकाश विराट था, मेरे पिता कद काठी से लंबे चौड़े ऊंचे बहुत हैंडसम थे। मैं उनकी हर बात से सम्मोहित होती। बहुत ध्यान से उनके चलने फिरने हर भाव भंगिमा को देखती। वो कांसे की थाली में खाना खाते और मेरा नियम था हमेशा उनकी जूठी थाली में खाना। वो विद्वान और कमाल केे वक्ता थे। मैं तेरह साल की रही होंगी मेरे पिता हर रविवार को मुझसे बहुत सारी चिट्ठीयां लिखवाते थे। उनकी शानदार भाषा को चिट्ठी में लिखते लिखते अनायास मेरी भाषा समृद्ध हो गई।आज लगता है मैं अपनी नौ किताबों की लेखिका अपने पिता की प्रेरणा से ही लिख पाई। सफल लेखन के लिए जरुरी भाषाई स्किल्स मेरे पिता की ही देन है।
आज बहुत सारे दूरदर्शन के कार्यक्रम और मंच पर अच्छा बोल पाती हूं तो सिर्फ अपने पिता के कारण। एक और बात जो मैंने पिता से सीखी वह थी -वक्त की जबरदस्त पाबंदी। मैं क्लास में पढ़ाते वक्त अपनी स्टूडेंट्स को बहुत सारी कहानियां सुनाती हूं। यह कहानियों का खजाना भी मेरे पिता की ही देन है जो लगभग हर रात सोने से पहले हमें बिठाकर एक कहानी सुनाते थे- और एजुकेशनल, साहस या देशभक्ति की। वह ना सुनाते तो मेरी कहानियों की पोटली खाली होती।आज फादर डे के अवसर पर मैं अपने पिता को याद करके उन्हें थैंक्स कहना चाहती हूं। मेरे पिता ! यदि आप ना होते तो ना मेरा वजूद होता ना मेरी पहचान।
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