भाई-बहन के झगड़े को कंट्रोल करने के लिए आजमाएं ये 5 उपाय

Gaurima के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Oct 26, 2020

हर घर में भाई-बहनो की लड़ाई होती रहती है ,कभी - कभी ये नोंक -झोंक अच्छी लगती है पर कभी कभी ये लडाईया काफी हद तक बढ़ जाती है जिसे रोकने के लिए आपको बीच-बचाव करना जरुरी हो जाता है। बच्चों के गलत व्यवहार के लिए माता-पिता अक्सर दूसरों को जिम्मेदार ठहराते हैं। लेकिन वो यह भूल जाते हैं की उनके खुद के व्यवहार का भी सीधा असर उनके बच्चों पर पड़ता है। अपने बच्चो के झगड़े को आपको बहुत ही सूझ बुझ से कंट्रोल करना चाहिए ताकि इससे उनपे कोई दुष्प्रभाव ना पड़े।
भाई बहनो की आपस की लड़ाई को कुछ इस तरह करे कन्ट्रोल / how To Handle Sibling Fights In Hindi
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बच्चों को दूसरों के सामने ना डांटें- हम सबका अपना आत्मसम्मान होता है जिसको अगर ठेस लगे तो हमें बुरा लगता है। आमतौर पर 3 से 4 साल के हाइपर एक्टिव बच्चों में आत्मसम्मान की भावना विकसित हो जाती है। ऐसे में अगर बच्चों को आप उनके दोस्तों या रिश्तेदारों के सामने डांटते हैं और मारते हैं तो उन्हें बुरा लगता है और उनके आत्मसम्मान को धक्का लगता है। अगर बच्चों को आप अक्सर सबके सामने डांटते हैं तो इससे बच्चों का आत्मविश्वास भी कमजोर होता है और वो बाद में अपनी हाइपर एक्टिविटी को खो सकते हैं। अगर बच्चे आपस में लड़ रहे है तो उन्हें शांति के साथ समझाएं न कि चिल्लाकर।
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एक दुसरे की इज्जत करना सिखाये - कभी कभी घर के पुरुष सदस्य महिलाओं से अच्छा व्यवहार नहीं करते। बच्चे भी यही देख के बड़े होते हैं और वो यह सीखते हैं की लड़कियों और महिलाओं की इज्ज़त नहीं करनी चाहिए। इसलिए यह ज़रूरी है की परिवार के सदस्य एक दूसरे की इज्ज़त करें।माता-पिता को अपने बच्चों को यह सीखाना चाहिए की लड़के और लड़कियों के अलग अलग काम नहीं होते। घर के सभी काम सबको मिलके करने चाहिए। घर के पुरुषों को महिलाओं का हाथ बटाना चाहिए और महिलाओं को भी पुरुषों के काम में साथ देना चाहिए।
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उनकी पिटाई कर के आप उन्हें गुस्से को और ना बढ़ाये - बहुत से माता-पिता बच्चों को लड़ता देख उन्हें मारने लगते हैं। मार खाने पर बच्चे सहम जाते हैं और डर जाते हैं| लेकिन अगर आप बच्चों हर बार लड़ाई करने पर मारते-पीटते हैं और तो बच्चों का डर धीरे-धीरे जाता रहता है और इसकी जगह नफरत और गुस्से की भावना आनी शुरू हो जाती है। ऐसे में कुछ समय तक बच्चे गुस्से को कंट्रोल करते हैं और उनका स्वभाव चिड़चिड़ा हो जाता है और थोड़े दिन बाद ही वो आपको गुस्से का जवाब देने लगते हैं।
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बच्चों की गतिविधि पर रखें नजर - बच्चे अगर अचानक से बेवजह लड़ाई या गुस्सा करने लग जाएं तो उनकी तमाम गतिविधियों पर नजर रखना शुरू कर दें। कई बार दोस्तों से लड़ाई-झगड़े के कारण, स्कूल में बार-बार डांट खाने के कारण या किसी के बार-बार परेशान करने के कारण भी बच्चों के स्वभाव में चिड़चिड़ापन आ जाता है। ऐसी स्थिति में आप बच्चों के स्कूल में उसकी स्कूल टीचर या स्कूल ले जाने वाली गाड़ी के ड्राइवर से भी पूछ सकते हैं। कई परिवारों में शुरुआत से ही बच्चों और खासकर लड़कियों को तमाम तरह के बंधनों में रखा जाता है, जिसके कारण कई बार बच्चे घर के अंदर या बाहर कुछ गलत होने पर मां-बाप से कुछ नहीं बताते हैं और सबकुछ सहते जाते हैं और चिडचिडेपन में एक दुसरे से लड़ते है।
- उन्हें अच्छा व्यवहार करना सिखाये - दूसरों के बारे में गलत बाते करना या बुराई करना अच्छी आदत नहीं है। बच्चों के सामने दूसरों की बुराई नहीं करनी चाहिए वरना वो भी यही सीखते हैं और एक दुसरे की बुराई करने लगते है ।आप उन्हें एक दुसरे की केयर करना और प्यार से रहना सिखाये जिसके लिए आपको छोटे-छोटे प्रयास करने होंगे जैसे की आप उन्हें अपने बचपन की कहानियां बता सकते है की ऐसे आप अपने भाई बहन के साथ प्यार से रहते थे ,उन्हें गिफ्ट दिया करते थे ,उनके लिए उनके पसंद की चीजे लाया करते थे आदि।
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