किस उम्र तक बच्चों को करने दें मनमानी? जानिए बच्चे को सिखाना कब होता है सार्थक

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3 months ago

किस उम्र तक बच्चों को करने दें मनमानी? जानिए बच्चे को सिखाना कब होता है सार्थक

आपने कई बार लोगों को अपने एक-दो साल के बच्चों पर चिल्लाते हुए देखा होगा. बच्चों के बोतल फेंक देने पर या चुप न होने पर कई मां-बाप उन्हें डांट कर चुप कराने की कोशिश करते हैं, लेकिन असल में इस उम्र में बच्चों को अनुशासन सिखाने का कोई फ़ायदा नहीं होता. हम आज आपको बता रहे हैं कि किस उम्र से बच्चे सीखने योग्य हो जाते हैं और आपको कब उन्हें अनुशासन सिखाना शुरू करना चाहिए.
 

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कब तक बच्चों को सिखाने की कोशिश नहीं करनी चाहिए:

आप कितनी ही कोशिश कर लें, बच्चे के दो-तीन साल का होने तक आप उसे अनुशासन नहीं सिखा सकते. वो आपकी बातों पर प्रतिक्रिया ज़रूर दे रहे होते हैं, लेकिन उनका दिमाग तब तक इतना विकसित नहीं होता है कि वो कुछ सीख सकें.
 

इससे पहले सिखाने की कोशिश होती है व्यर्थ:

क्योंकि बच्चे इस उम्र से पहले सिखाई गयी बातों को ग्रहण करने में असमर्थ होते हैं, आपके उन्हें सिखाने के सभी प्रयास ज़ाया हो जाते हैं. इससे माता-पिता को Frustration हो सकता है. ये कर के आप बस अपना समय और प्रयास व्यर्थ करेंगे.
 

बच्चों पर होता है बुरा असर:

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यदि आप छोटी उम्र के बच्चों पर चिल्लाते हैं, तो उन पर बड़े होने तक भी इसका बुरा असर रहता है. ये उसके मानसिक विकास में बाधा बन सकता है. रिसर्च बताती है कि ये उनके लिए उतना ही बुरा होता है जितना कि माता-पिता द्वारा मार-पीट करना.

भले ही आप उनके भले के लिए उन्हें डांट रहे हों, ये उन पर बुरा असर ही डालता है. इस तरह आप उन्हें कुछ नहीं सिखा सकते. उनमें एक उम्र से पहले सीखने की क्षमता विकसित नहीं होती है.
 

कैसे करें छोटे बच्चों से डील:

इस उम्र में बच्चे आपका ध्यान पाने के लिए कई बार उल्टी हरकतें करते हैं. उन्हें कुछ ग़लत करने पर सबका ध्यान मिलने लगता है. इससे बचने के लिए आप उन्हें कुछ समय के लिए इग्नोर कर सकते हैं. इससे उन्हें सन्देश मिलेगा कि ज़रूरी नहीं है कि रोने से उन्हें अटेंशन मिलेगा.
 

कब करें सिखाने की शुरुआत?

जब बच्चा स्कूल जाने के लिए तैयार हो जाये, तो उसे अनुशासन सिखाना शुरू करें. इस वक़्त तक बच्चे का दिमाग काफ़ी विकसित हो जाता है और वो चीज़ें सीखने में सक्षम हो जाता है. उन्हें ग़लत करने के परिणाम भी समझ आने लगते हैं.

इस वक़्त आपको उन्हें अपनी गलतियों से खुद सीखने का मौका भी देना चाहिए. यदि बच्चा गिर जाता है और उसे चोट लगती है, तो उसे समझ आ जाता है कि ऐसा करने से उसे दर्द हो सकता है.

बच्चा अपनी उम्र के हिसाब से चीज़ों को समझने लगता है, उससे पहले आपको उसे बच्चा ही रहने देना चाहिए. आप एकदम से उसे सबकुछ नहीं सिखा सकते.

 

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