क्या होना चाहिए बच्चे के सोने का सही पोस्चर? अभी से आदत डालें

Mommy Megha के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Mar 01, 2021

अपने सोते हुए नवजात् शिशु की जांच करते रहना एक अच्छी आदत है क्योंकि इससे आपको तसल्ली रहती है कि सबकुछ ठीक-ठाक है। असल में शिशु का ठीक शारीरिक स्थिति में न सोना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशु के लिए उसके सोने की स्थिति बहुत मायने रखती है।
क्यों जरूरी है शिशु का सही अवस्था में सोना
विशेषज्ञों के मुताबिक शिशु के सोने की सही अवस्था न केवल शिशु का बेहतर शारीरिक विकास होना तय करती है बल्कि उसके हाजमे को भी दुरूस्त रखती है। इसके अलावा शरीर के दूसरे विकार जैसे शिशु के सिर का बेडौल या असमान्य आकार होने की संभावनाओं को भी कम करती है।
क्या है शिशु के सोने की सही शारीरिक अवस्था
एक नवजात् शिशु इतना छोटा होता है कि वह अपनी किसी भी तकलीफ के बारे में आपको किसी भी तरीके से नहीं बता सकता। कई बार गलत ढंग से सोते हुए शिशु का दम घुट जाता है पर हम यह नहीं जान पाते और यह एस.आई.डी.एस. (सडन इन्फेंट डैथ सिण्ड्रोम) यानि शिशु की असमान्य और बेवजह होने वाली मौतों की बड़ी वजह है, इसलिए जरूरी है कि शिशु को सुलाने का सही पोश्चर क्या है, इस बारे में जाना जाए-
बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे को उसकी पीठ के बल सुलाया जाना चाहिए ना कि उसके पेट के बल।
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अगर आपको लगता है कि बच्चा पेट के बल या करवट लेकर पर अधिक गहरी नींद में सोएगा तो अपनी सोच को तुरंत बदलें। एक नवजात् का पेट के बल सोना एस.आई.डी.एस. के खतरे को दुगुना कर देता है।
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आपने देखा होगा कि कुछ शिशु पीठ के बल सीधे सोते हैं और अपने दोनों हाथ ढीले छोड़कर या पेट पर रख कर (चित्त) होकर सोते हैं। यह शिशु के सोने की सबसे बेहतर और आदर्श शारीरिक अवस्था है। आमतौर पर इस तरह से सोने वाले शिशु सेहतमंद होते हैं। उनके इस तरह सोने से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि न तो उन्हे कोई तकलीफ है और न ही कोई मानसिक चिंता। ऐसे शिशु का विकास रात में सोते समय बड़ी तेजी से होता है।
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शिशु का गलत तरीके से सोना उनमें खोपड़ी के बेडौल होने या टेढ़े-मेढ़े होने की भी वजह बनता है। शिशु को पीठ के बल सुलाना और उसकी सिर की दिशा को समय-समय पर बदलते रहना बहुत जरूरी होता है।
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याद रहे कि सोते हुए शिशु के सिर के नीचे तकिया न हो। अगर आप शिशु के सिर के नीचे तकिया लगाएंगी तो यह उसके सिर की दिशा एक जगह स्थिर कर देगा और इससे शिशु के सिर का आकार बिगड़ सकता है। हांलाकि राई या सरसों के बने तकिये का इस्तेमाल करना बेहतर है पर शिशु के सिर की दिशा बदलते रहें।
- यदि शिशु अपनी पीठ से करवट (रोलिंग) करके पेट के बल सोना शुरू कर दे (यह आमतौर पर 4 या 5 महीने के आसपास होता है) तो उसका पेट के बल सोना सुरक्षित है लेकिन कोशिश करें कि जब आप शिशु को सुलाएं तो उसे पीठ के बल ही सुलाएं और अगर वह सोते हुए रोलिंग करके पेट के बल सोता रहता है तो यह बिल्कुल ठीक है।
एक साल का होने पर ज्यादातर शिशु अपने सोने का उचित तरीका खुद ही चुनते हैं और उसी अवस्था में सोना पसंद करते हैं लेकिन यदि आपका शिशु एक साल होने के बाद भी पीठ के बल सोना पसंद करे तो यह उसके लिए सबसे अच्छा है। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो एक ही दिशा में सोते हैं और ऐसे में याद रखें कि आपका शिशु दिल की विपरीत दिशा में अर्थात दायी ओर करवट लेकर सोए।
अपने शिशु को ठीक अवस्था में सुलाने को लेकर जानकार बने जिससे शिशु की अच्छी सेहत और बढ़त तय हो सके।
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| Jul 01, 2018
अपने सोते हुए नवजात् शिशु की जांच करते रहना एक अच्छी आदत है क्योंकि इससे आपको तसल्ली रहती है कि सबकुछ ठीक-ठाक है। असल में शिशु का ठीक शारीरिक स्थिति में न सोना उसके लिए नुकसानदायक हो सकता है इसीलिए विशेषज्ञों का कहना है कि नवजात शिशु के लिए उसके सोने की स्थिति बहुत मायने रखती है। क्यों जरूरी है शिशु का सही अवस्था में सोना विशेषज्ञों के मुताबिक शिशु के सोने की सही अवस्था न केवल शिशु का बेहतर शारीरिक विकास होना तय करती है बल्कि उसके हाजमे को भी दुरूस्त रखती है। इसके अलावा शरीर के दूसरे विकार जैसे शिशु के सिर का बेडौल या असमान्य आकार होने की संभावनाओं को भी कम करती है। क्या है शिशु के सोने की सही शारीरिक अवस्था एक नवजात् शिशु इतना छोटा होता है कि वह अपनी किसी भी तकलीफ के बारे में आपको किसी भी तरीके से नहीं बता सकता। कई बार गलत ढंग से सोते हुए शिशु का दम घुट जाता है पर हम यह नहीं जान पाते और यह एस. आई. डी. एस. (सडन इन्फेंट डैथ सिण्ड्रोम) यानि शिशु की असमान्य और बेवजह होने वाली मौतों की बड़ी वजह है, इसलिए जरूरी है कि शिशु को सुलाने का सही पोश्चर क्या है, इस बारे में जाना जाए- बाल रोग विशेषज्ञों का कहना है कि बच्चे को उसकी पीठ के बल सुलाया जाना चाहिए ना कि उसके पेट के बल। अगर आपको लगता है कि बच्चा पेट के बल या करवट लेकर पर अधिक गहरी नींद में सोएगा तो अपनी सोच को तुरंत बदलें। एक नवजात् का पेट के बल सोना एस. आई. डी. एस. के खतरे को दुगुना कर देता है। आपने देखा होगा कि कुछ शिशु पीठ के बल सीधे सोते हैं और अपने दोनों हाथ ढीले छोड़कर या पेट पर रख कर (चित्त) होकर सोते हैं। यह शिशु के सोने की सबसे बेहतर और आदर्श शारीरिक अवस्था है। आमतौर पर इस तरह से सोने वाले शिशु सेहतमंद होते हैं। उनके इस तरह सोने से आप अंदाजा लगा सकते हैं कि न तो उन्हे कोई तकलीफ है और न ही कोई मानसिक चिंता। ऐसे शिशु का विकास रात में सोते समय बड़ी तेजी से होता है। शिशु का गलत तरीके से सोना उनमें खोपड़ी के बेडौल होने या टेढ़े-मेढ़े होने की भी वजह बनता है। शिशु को पीठ के बल सुलाना और उसकी सिर की दिशा को समय-समय पर बदलते रहना बहुत जरूरी होता है। याद रहे कि सोते हुए शिशु के सिर के नीचे तकिया न हो। अगर आप शिशु के सिर के नीचे तकिया लगाएंगी तो यह उसके सिर की दिशा एक जगह स्थिर कर देगा और इससे शिशु के सिर का आकार बिगड़ सकता है। हांलाकि राई या सरसों के बने तकिये का इस्तेमाल करना बेहतर है पर शिशु के सिर की दिशा बदलते रहें। यदि शिशु अपनी पीठ से करवट (रोलिंग) करके पेट के बल सोना शुरू कर दे (यह आमतौर पर 4 या 5 महीने के आसपास होता है) तो उसका पेट के बल सोना सुरक्षित है लेकिन कोशिश करें कि जब आप शिशु को सुलाएं तो उसे पीठ के बल ही सुलाएं और अगर वह सोते हुए रोलिंग करके पेट के बल सोता रहता है तो यह बिल्कुल ठीक है। एक साल का होने पर ज्यादातर शिशु अपने सोने का उचित तरीका खुद ही चुनते हैं और उसी अवस्था में सोना पसंद करते हैं लेकिन यदि आपका शिशु एक साल होने के बाद भी पीठ के बल सोना पसंद करे तो यह उसके लिए सबसे अच्छा है। कुछ बच्चे ऐसे भी होते हैं जो एक ही दिशा में सोते हैं और ऐसे में याद रखें कि आपका शिशु दिल की विपरीत दिशा में अर्थात दायी ओर करवट लेकर सोए। Also Read बॉलिवुड सितारों के बच्चों के नाम और उनका मतलब बच्चों के लालन-पोषण में इन 5 गलतियों से बचें बात करने से बच्चे जल्दी सीखते है बोलना! अपने शिशु को ठीक अवस्था में सुलाने को लेकर जानकार बने जिससे शिशु की अच्छी सेहत और बढ़त तय हो सके।






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