आखिर क्यो नहीं सुनता है मेरा ही बच्चा मेरी ही बात?

माता-पिता के लिए सबसे कठिन चीजों में से एक हैं, जब आपके बच्चे आपकी बात नहीं सुनते हैं। अक्सर हमे ये शिकयत होती है की --
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o जो उसे करने को बोला जाये उसे पूरी तरह से इनकार कर देता है।
o मेरे बच्चे को परिणामों की परवाह नहीं है।
o मेरा बच्चा मुझे गंभीरता से नहीं लेता है।
o मेरा बच्चा लगभग सभी चीजों पे जरुरत से ज्यादा चिल्लाता है
o मेरा बच्चा मेरी बात नहीं सुनता है।
अक्सर, हम कुछ उपायो का प्रयोग करते हैं, वे उस समय तो काम आते है जैसे कि एक ही बात बार बार बोलना, उनके ना सुनने पे गुस्सा होना और निर्देश देना, दंड या दंड देने कि धमकी देना ।ये सब चिजे बच्चों को हमारी बात सुनने के लिए मजबूर कर सकता है लेकिन इन सब से स्थिति और भी खराब हो सकती है।
Ø कुछ सरल उपाय
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1. कर के बताये, बोल के नहीं
निर्देश देने के बजाय, उठे और अपने बच्चे को कर दिखाएं। शुरूआत में आपको अधिक प्रयास करना पड़ सकता है, लेकिन बाद आपका बच्चा उस काम को जल्दी करेगा ।
2. एक ही शब्द कहें
उन्हें लम्बा-चौड़ा निर्देश देने के बजाय, हम सिर्फ एक शब्द का उपयोग कर सकते हैं और वे बाकी काम कर सकते हैं।यह उन बच्चों के लिए बढ़िया है जिन्हें ये नही पसंद कि उन्हे बताया जाये कि क्या करना है।
o मेरे बेटे ने एक बार मुझसे कहा, "फीता" मैंने नीचे देखा और मैं वास्तव में उसके जूते के फीते पर खड़ी थी जो वह बांधने की कोशिश कर रहा था। यह बात को कहने का अछ्छा तरीका है बजाय इसके, "मम्मी तुम मेरे जूते के फीते पर खड़े हो। मुझे तैयार होना है ?! "
3.उन्हे आपके कहे गये काम को सुनने और करने के लिये समय दें
अपने बच्चों से अनुरोध करने के बाद चुप हो जाये और अपने मन में 10 तक गिने, फिर थोढे देर बाद अपनी बात को दोहराये । और तब आप देखेंगे कि वो आपकी बोली हुई बात को करना शुरु कर देंगे। किसी तरह कि जबरजस्ती की आवश्यकता नहीं है। यह शानदार एक शानदार उपाय है।
4. मज़ाकिया बनें
उस समय को याद करे जब आपका बच्चा किसी भी बात को गंभीरता से नही लेता था पर फिर भी आप अपने बच्चे के साथ खुश रहा करते थे। खुश रहने पे बच्चे अपकी बातों को आसानी से मान लेते है क्युकी उन्हे ऐसा नही लगता की आप अपनी बात उनपे थोप रहे है।
5. बच्चो के दिल से जुड़े
उनके दिल में झाकने कि कोशिश करे, उन्हे शांत करे,तसल्ली दें,और फिर पुछे कि क्या हुआ है? उदाहरण के लिए, थका हुये हो, भूख लगी हैं आदि। कभी-कभी, बच्चे ध्यान नहीं देते क्योंकि उन्हें लगता है कि कोई भी उन पर ध्यान नहीं दे रहा है।
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