लीची(Lychee) खाने से बच्चों की मौत का सच, लक्षण और सावधानियां

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Prasoon Pankaj

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5 years ago

लीची(Lychee) खाने से बच्चों की मौत का सच, लक्षण और सावधानियां

लीची (Lychee) खाने से उत्तर बिहार में 50 से ज्यादा बच्चों की मौत हो चुकी है। मुजफ्फरपुर जिले में सबसे ज्यादा प्रकोप फैला हुआ है। इस बीमारी को एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome - AES) कहा जा रहा है। स्थानीय भाषा में इस बीमारी को चमकी बुखार यानि दिमागी बुखार के नाम से जाना जाता है। बच्चों की मौत को लेकर डॉक्टरों की राय भी बंटी हुई है। कुछ डॉक्टरों का ये कहना है कि इस साल बिहार में भीषण गर्मी और अब तक बारिश का नहीं होना मुख्य वजह हो सकती है, वहीं बच्चों के इस तरह से बीमार होने के पीछे लीची (Litche) कनेक्शन को भी देखा जा रहा है। यहाँ इस ब्लॉग में हम जानेंगे कि इस बीमारी के दौरान बच्चों में किस तरह के लक्षण नजर आते हैं और सुरक्षा के लिहाज से क्या उपाय और सावधानियां रखना अति आवश्यक है।

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क्या है दिमागी बुखार का लीची(Lychee) कनेक्शन?/ Lychee Side-Effects Behind Child Death in Bihar  

द लैन्सेट नाम की मेडिकल जर्नल में प्रकाशित हुए एक रिसर्च के मुताबिक लीची में हाइपोग्लीसीमिया ए और methylenecyclopropylglycine (MPCG) पाए जाते हैं। शरीर में फैटी एसिड मेटाबॉलिज्म बनने में समस्या पैदा करते हैं और इसकी वजह से ही ब्लड शुगर का लेवल कम हो जात है। इसके प्रभाव के चलते ही मस्तिष्क संबंधी समस्याएं शुरू हो जाती हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक अगर रात में खाना नहीं खाने की वजह से शरीर में ब्लड शुगर का लेवल कम हो और अगर सुबह उठने के बाद खाली पेट में लीची खा ली जाए तो एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम का खतरा बढ़ सकता है। स्वास्थ्य विभाग की तरफ से सलाह दी जा रही है कि गर्मी के मौसम में खाली पेट में लीची नहीं खाएं। मुजफ्फरपुर और उसके आसपास के इलाकों में रह रहे गरीब परिवारों के ज्यादातर बच्चे पहले से ही कुपोषण का शिकार हैं। रात का खाना नहीं खाने के बाद वे सुबह का नाश्ता करने की बजाय खाली पेट में लीची(litchi overdose) खा लेते हैं और उसके प्रभाव से उनके शरीर का ब्लड शुगर लेवल अचानक बहुत ज्यादा लो हो जाता है।

क्या होता है एक्यूट इंसेफेलाइटिस सिंड्रोम और इसके लक्षण क्या हैं ? / What is Acute Encephalitis Syndrome in Hindi

छोटे उम्र के बच्चों से लेकर 15 साल तक की उम्र के बच्चे इस बीमारी के शिकार हो रहे हैं। जिन बच्चों की मौत हुई है उनमें से अधिकांश की उम्र 1 साल से लेकर 7 साल के बीच की बताई जा रही है। बीमारी के मुख्य लक्षण अचानक से तेज बुखार का होना, उल्टी-दस्त, बेहोशी और शरीर के अलग-अलग अंगों में कंपन का होना है।

  1. एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम (Acute Encephalitis Syndrome) बच्चों के शरीर के मुख्य नर्वस सिस्टम यानि तंत्रिका तंत्र को सबसे ज्यादा प्रभावित करता है। 
  2. सबसे प्रमुख लक्षण तेज बुखार का होना है
  3. बुखार के अलावा शरीर में ऐंठन महसूस होना
  4. बच्चे का अचानक से बेहोश हो जाना
  5. दौरे पड़ने शुरू हो जाना
  6. बहुत ज्यादा घबड़ाहट महसूस होना
  7. नर्वस सिस्टम से संबंधित कार्यों में रूकावट का होना
  8. कुछ परिस्थितियों में पीड़ित के कोमा में जाने का भी खतरा बन जाता है
  9. समय पर इलाज शुरू नहीं होने पर मौत होने का भी खतरा होता है
  10. जून महीने से अक्टूबर महीने के बीच में आमतौर पर ये बीमारी होती है

क्या एक्यूट इंसेफलाइटिस सिंड्रोम या हीट स्ट्रोक मौत की असली वजह ?

जैसा कि हमने आपको पहले ही बताया है कि डॉक्टरों की राय इस पर बंटी हुई है। मुजफ्फरपुर के SKMCH अस्पताल में पीड्रियाटिक्स डिपार्टमेंट के प्रमुख डॉ गोपाल शंकर साहनी के मुताबिक बच्चों की मौत के पीछे लीची या अन्य कारण नहीं बल्कि हीट स्ट्रोक है। डॉ गोपाल शंकर साहनी बताते हैं कि चूंकि इस इलाके में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान और ह्युमिडिटी बहुत ज्यादा है इस वजह से बच्चों के शरीर में सोडियम का स्तर कम या ज्यादा हो सकता है। पोटैशियम का स्तर भी बढ़ जाता है। लीची के टॉक्सिन से इसका कोई संबंध होने की थ्योरी को खारिज करते हुए डॉ गोपाल शंकर साहनी ने बताया कि चूंकि इस इलाके में प्रत्येक साल लीची की पैदावर जबर्दस्त होती है और बच्चे हर साल इसी तरीके से लीची खाते हैं लेकिन इस साल गर्मी अत्यधिक है और आद्रता भी बहुत ज्यादा है। डॉ साहनी ने कहा कि दिल्ली और राजस्थान में तापमान भले बढ़ा हुआ है लेकिन ह्युमिडिटी कम है। डॉ साहनी का दावा है कि जैसे ही बारिश शुरू होगी या फिर किन्हीं कारणों से गर्मी का प्रकोप कम हो जाएगा तो इस बीमारी का प्रभाव कम होता जाएगा। अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले साल 2012 में इस बीमारी के चलते 120 बच्चों की मौत हो गई थी।

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हाइपोग्लाइसीमिया (लो-ब्लड शुगर) को मुख्य वजह बताया जा रहा है/ Why Hypoglycemia Is Behind the Death in Hindi 

स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक अब तक हुई अधिकांश मौतों में हाइपोग्लाइसीमिया यानि लो ब्लड शुगर का अंदेशा जताया जा रहा है। अब आप ये भी जान लें कि हाइपोग्लाइसीमिया यानि लो ब्लड शुगर की समस्या बच्चों को क्यों हो जाती है। शाम का खाना नहीं खाने से रात में लो ब्लड शुगर की समस्या हो सकती है खास कर के उन बच्चों को जिनके लिवर और मांसपेशियों में ग्लाइकोजन-ग्लूकोज की स्टोरेज कम होती है। फैटी एसिड्स जो हमारे शरीर में ऊर्जा पैदा करते हैं और ग्लूकोज बनाते हैं उसका ऑक्सीकरण हो जाता है।

Litchi या हीट स्ट्रोक से होने वाले दिमागी बुखार से बचाव के उपाय /Precautions to Save Lychee Generated Disease

मुजफ्फरपुर के अस्पताल के आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले साल 2012 में इस बीमारी के चलते 120 बच्चों की मौत हो गई थी। अगर खाली पेट अधिक Litchi खाने से या हीट स्ट्रोक से होने वाले दिमागी बुखार के लक्षण नजर आने पर नीचे दिए गए उपाय करें...

  • तेज बुखार होने की स्थिति में पूरे शरीर को ठंडे पानी से पोछें 
  • शरीर का तापमान कम करने का प्रयास करें
  • मरीज को हवादार जगहों पर रखें
  • ओआरएस (ORS) का घोल पिलाएं या चीनी-नमक मिलाकर पिलाते रहें
  • बेहोश होने पर शरीर के कपड़ों को ढ़ीला कर दें
  • मरीज की गर्दन का विशेष ध्यान रखें और उसको सीधी रखें
  • लक्षण नजर आए तो तत्काल नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र या अस्पताल में मरीज का चेकअप करवाएं। ध्यान रहे कि आप जितनी जल्दी अस्पताल लेकर मरीज को जाएंगे, मरीज उतनी जल्दी स्वस्थ हो सकता है।
  • मरीज को कंबल या गरम कपड़ें ना पहनाएं
  • बेहोश होने पर बच्चे के मुंह में कुछ भी ना दें

स्वास्थ्य विभाग की तरफ से त्वरित इलाज और उपचार शुरू करने के लिए आपके नजदीकी स्वास्थ्य केंद्रों एवं उपकेंद्रों पर भी इंतजाम किए गए हैं। अपने बच्चे को गर्मी से बचाएं और दोपहर के समय में खेलने या अन्य किसी कार्य को लेकर घर से बाहर नहीं निकलने दें।

उत्तर प्रदेश में जापानी इन्सेफलाइटिस (Japanese Encephalitis) बीमारी से विशेष रूप से सतर्कता बरतने की आवश्यकता है। 

जापानी इन्सेफलाइटिस (Japanese Encephalitis) से बचाव के क्या हैं उपाय

  • जापानी इ्न्सेफलाइटिस के टीके 2 साल तक के बच्चों को नियमित टीकाकरण सत्र में लगवाएं
  • अपने घरों के आसपास साफ-सफाई रखें
  • मच्छर से बचने के लिए पूरी बांह वाली कमीज और फुलपैंट पहनें
  • स्वच्छ पेयजल ही पीएं
  • अपने आसपास जल जमाव ना होने दें
  • कुपोषित बच्चों का विशेष रूप से ध्यान रखें
  • खुले में शौच ना करें
  • साबुन से हाथ धोने की आदत डाल लें
  • प्रतिदिन स्नान करें
  • शिक्षक विद्यार्थियों की साफ सफाई का विशेष ख्याल रखें

बुखार होने पर तत्काल बच्चे को लेकर इलाज के लिए नजदीकी अस्पताल में लेकर आएं। ध्यान रहे कि किसी प्रकार का बुखार दिमागी बुखार हो सकता है। उत्तर प्रदेश में 1 अक्टूबर 2020 से 31 अक्टूबर तक जापानी इन्सेफलाइटिस यानि दिमागी बुखार से बचने के लिए टीकाकरण चल रहा है तो अपने बच्चे को वैक्सीन जरूर लगवाएं। 

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