माघ पूर्णिमा का महत्व

Parentune Support के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Jan 31, 2018

माघ मास की पूर्णिमा के दिन किए गए दान-धर्म और स्नान का विशेष महत्व होता है। शास्त्रों के अनुसार जब कर्क राशि में चंद्रमा और मकर राशि में सूर्य का प्रवेश होता है, तब माघ पूर्णिमा का पवित्र योग बनता है। इस योग में पवित्र निदयों में स्नान करने, तीर्थ स्थलों के दर्शन व दान को शुभ माना गया है। इस साल 31 जनवरी को माघ पूर्णिमा है। यहां हम बता रहे हैं क्या है माघ पूर्णिमा और क्या है इसका महत्व।
माघ पूर्णिमा का महत्व
- माघ पूर्णिमा योग में स्नान करने से सूर्य और चंद्रमा युक्त दोषों से मुक्ति मिलती है।
- इस दिन तिल व गर्म कपड़ों के दान का खास महत्व माना गया है। इसके अलावा इस दिन पितरों का तिल से तर्पण करने से उनका आशीर्वाद मिलता है।
- ब्रह्मवैवर्त पुराण में कहा गया है कि माघ पूर्णिमा पर खुद भगवान विष्णु गंगाजल में निवास करते हैं। गंगा जी क्षीर सागर का ही रूप हैं। अतः इस पावन समय में गंगाजल के स्पर्शपात्र से ही पापों का नाश हो जाता है। ये भी मान्यता है कि इस दिन सूर्योदय से पूर्व जल में भगवान विष्णु का तेज रहता है, जो हर तरह के पापों का नाश करता है।
- पद्मपुराण के अनुसार भगवान विष्णु व्रत व दान से उतने प्रसन्न नहीं होते, जितना अधिक प्रसन्न वह माघ मास में स्नान करने से होते हैं। इससे भगवान की कृपा बनी रहती है और जातक को धन, यश, सुख, सौभाग्य व सुयोग्य संतान कि प्राप्ति होती है।
- ज्योतिषों के अनुसार माघ मास खुद भगवान विष्णु का स्वरूप हैं। मान्यता है कि यदि मनुष्य पूरे माघ माह में नियमपूर्वक स्नान न कर पाया हो या उसने दान पुण्य नहीं किया हो, तो वह माघ पूर्णिमा के दिन तीर्थ में स्नान करने व दान देने से संपूर्ण माघ मास के स्नान का पूर्ण फल प्राप्त होता है।
- इस दिन स्नान व दान करते समय ओम नमः भगवते वासुदेवाय नमः का जाप अवश्य करना चाहिए। इस दिन तीर्थ, पवित्र नदी, समुद्र आदि में प्रातः काल स्नान करके सूर्य़ देव को अर्घ्य देकर, जप-तप करने के बाद सुपात्र को अपनी श्रद्धा और सामर्थ्य के अनुसार दान देने से सभी दैहिक, दैविक व भौतिक कष्टों से मुक्ति मिलती है। यदि तीर्थ, नदी में स्नान करना संभव नहीं हो पा रहा है, तो घर पर ही ब्रह्म मुहूर्त व सूर्योदय से पहले जल में गंगाजल, आंवले का जूस और तुलसीदल डालकर स्नान करना चाहिए।
- इस दिन भगवान शंकर की पूजा करने से भी विशेष फल मिलता है। शिवलिंग पर शहद चढ़ाते हुए गंगाजल व दूध मिले पवित्र जल को भी चढ़ाएं। इसके बाद चंदन, फूल, शमी पत्र, बेलपत्र, अक्षत व मिठाई का भोग लगाकर भगवान शिव की आरती करें। इससे भगवान शिव की कृपा मिलती है और सभी कष्ट दूर हो जाते हैं।
- माघ स्नान वैज्ञानिक दृष्टिकोण से भी काफी महत्वूपर्ण है। माघ में हेमंत ऋतु खत्म होने को रहता है व इसके साथ ही शिशिर ऋतु की शुरुआत होती है। ऋतु के बदलाव का स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर न पड़े, इसलिए रोजाना सुबह स्नान करने से शरीर को मजबूती मिलती है।
क्या करें दान
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा करने के बाद भोजन, वस्त्र, गुड़, कपास, घी, लड्डू, फल, काले तिल व अन्न आदि का दान करना पुण्यदायक माना जाता है।
माघ पूर्णिमा पूजन की विधि
इस दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है, इसे सत्यनारायण पूजा भी कहते हैं। इस दिन उपासक को भगवान विष्णु की पूजा फल, फूल, पान, सुपारी, दूर्वा व चूरमा के प्रसाद से करनी चाहिए। पहले स्तयनारायण भगवान की कथा करें। पूजन समाप्ति के बाद भगवान विष्णु से परिवार के सुख, शांति और मंगल की कामना करें।
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