नियमित मैडिटेशन से होते है ये फायदे आपके प्रसव में

Parentune Support के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Aug 23, 2020

गर्भावस्था और विशेष रूप से बच्चे के जन्म के दौरान मैडिटेशन मां की मदद कर सकता है।गर्भावस्था के दौरान महिलाओं का हेल्दी और स्वस्थ रहना बहुत जरूरी है। ऐसे में उन्हें ना सिर्फ अपने खानपान का ध्यान रखना चाहिए बल्कि नियमित रूप से मैडिटेशन भी करना चाहिए।इससे ना आप सिर्फ स्वस्थ रहती है बल्कि आपको डिलीवरी के दौरान भी आराम मिलता है। इसके अलावा हेल्दी बच्चे के लिए नियमित रूप से मैडिटेशन करना बहुत जरूरी है। गर्भावस्था के दौरान महिलाओं को कई उतार-चढ़ावों से गुजरना पड़ता है, लिहाजा मैडिटेशन हार्मोंस में संतुलन बनाने में भी लाभकारी होता है। आइए जानें मैडिटेशन के अन्य फायदों के बारे में जो आपके प्रसव में लाभकारी हो सकते है ।
मैडिटेशन गर्भावस्था की मन को शांत करता है -- गर्भावस्था एक अद्भुत स्थिति है लेकिन यह तीव्र चिंता को भी उत्तेजित कर सकती है।तनाव आपके होने वाले बच्चे पर नकारात्मक प्रभाव डाल सकती है। लंबे समय तक तनाव के हार्मोनस होने से बच्चे का वजन कम या समय से पहले प्रस्रव हो सकता है। मन का संतुलन खराब होना तथा मानसिक उथल-पुथल गर्भावस्था में सामान्य बात है। जैसे जैसे बच्चे की संवेदनाएं विकसित होती हैं वैसे वैसे बच्चा आपकी सारी संवेदना ही महसूस करने लगता है। इसलिए इस समय प्रसन्न रहना, आरामदायक स्थिति में रहना तथा शांत रहना बहुत जरुरी है।
मैडिटेशन ब्लड सर्कुलेशन बेहतर करता है -- मैडिटेशन से चिंता कम करने में मदद मिलती है, इसके साथ ही गर्भावस्था के दौरान नींद ना आने की समस्या भी दूर हो जाती है। गर्भवती महिला को किसी भी नई सिचुएशन से गुजरने में आसानी होती है।मैडिटेशन के माध्यम से ब्लड सर्कुलेशन बेहतर होता है और एनिमिया या फिर पानी की कमी से संबंधित होने वाली समस्याएं सुलझाई जा सकती है।प्रतिदिन मैडिटेशन करने से असामान्य रक्तचाप की समस्या सॉल्व हो जाती है, इसके साथ ही शुगर लेवल भी कंट्रोल रहता है।
भावनात्मक रूप से मजबूती आती है -- प्रसव का भय होना सामान्य है लेकिन डर आपको ऐसे निर्णय लेने पर मजबूर कर सकता है जो आपके प्रसव के अनुभव को नकारात्मक रूप से प्रभावित करता है। मैडिटेशन को नियमित रूप से जीवन में शामिल कर आप अपने शरीर और दिमाग की नसों को ब्रिदिंग एक्सरसाइज से नॉर्मल कर सकती हैं। इससे हार्मोंस संतुलित होते हैं और और आप भावनात्मक रूप से मजबूत होगी ।
प्रसव के दौरान रीढ की हड्डी पर पड़ने वाले दबाव को कम करता है --यह गर्भावस्था का सबसे चुनौतीपूर्ण चरण होता है। इस समय आपके शरीर का वजन बढ जाने के कारण आपको असहजता महसूस होगी। बच्चा अपना स्थान बदलता रहता है तथा बाहर आने की तैयारी करता है। जिसके कारण आपको श्रोणि क्षेत्र (पेल्विक एरिया) में तथा पेल्विक बोन में खिंचाव महसूस होगा। आपकी पीठ में दर्द हो सकता है । मैडिटेशन मन को विश्राम देता है जिससे भावनात्मक असंतुलन को झेलना आसान हो जाता है। यह शरीर को विश्राम देने का श्रेष्ठ उपाय है। यह रीढ की हड्डी पर पड़ने वाले दबाव को कम कर देता है जिसके कारण आप गर्भावस्था के अंतिम चरण में भी आरामदायक स्थिति में रह सकती हैं।
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