जानें 9 उपाय अपने बच्चों को अनुशासित बनाने के

Parentune Support के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Mar 14, 2021

हर पैरेंट्स चाहते हैं कि उनका बच्चा अच्छा, सभ्य व अनुशासित बने। पर शुरुआत में पैरेंट्स के लाड-प्यार से कई बच्चे अनुशासनहीन हो जाते हैं। ऐसी स्थिति में पैरेंट्स सख्ती से लेकर सजा तक के कई तरीके अपनाते हैं, लेकिन हर केस में बेहतर रिजल्ट नहीं आता। सख्ती से कई बार बच्चे और बिगड़ जाते हैं। इन सबसे अभिभावक काफी परेशान हो जाते हैं। आज हम यहां जानेंगे कुछ ऐसे उपाय जिनकी मदद से आप अपने बच्चे को अनुशासित बना सकते हैं।
9 टिप्स बच्चों को अनुशासन सिखाने के / How to Teach Child Discipline in Hindi
आप पेरेंट्स अपने बच्चों को अनुशाशन में रहना सिखाते समय इन बातों पर अमल अवश्य करें...
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पहले खुद पर करें अमल - अगर आप अपने बच्चे को अनुशासित बनाना चाहते हैं, तो जरूरी है कि पहले आप खुद भी अनुशासित रहें। अगर आप खुद अनुशासनहीनता करेंगे, तो बच्चा भी वही करेगा। मान लीजिए आप खुद सोकर लेट उठते हों और बच्चे से जल्दी उठने को कहेंगे तो वह कभी आपकी बात नहीं मानेगा।
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क्रोध व झुंझलाहट से न सिखाएं कुछ – बच्चे को क्रोध, झुंझलाहट व चिड़िचिड़ाहट में अनुशासन न सिखाएं। अगर आप इस तरह उन्हें अच्छी बात भी बताएंगे, तो उनका उत्साह खत्म हो जाएगा और वह उन बातों पर अमल नहीं करेगा।
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गलत काम पर टोकें - अगर बच्चा कोई गलत काम कर रहा है, तो ये सोचकर न टालें कि ऐसा पहली बार कर रहा है। उसे फौरन टोकें और उस गलत काम के नुकसान बताएं। इससे वह उस गलती को दोबारा नहीं करेगा। लेकिन अगर आप उसे गलती पर नहीं टोकेंगे तो वह आगे भी इसे दोहराता रहेगा। धीरे-धीरे ये उसकी आदत बन जाएगी।
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अच्छी बातें शुरू से सिखाएं – बच्चे को 2 साल की उम्र से ही अच्छी बातें सिखाएं। जैसे उसे बताएं कि दूसरों का सामान छूने या यूज करने से पहले उनकी इजाजत लेना जरूरी है। बिना इजाजत दूसरे की चीज इस्तेमाल न करें। इसके अलावा बच्चों को बड़ों का सम्मान करना भी सिखाएं। अगर शुरू से ही ये बात बच्चे को बताएंगे तो यह उसकी आदत बन जाएगी और वह अनुशासित रहेगा।
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अच्छे काम की प्रशंसा करें – आप अगर बच्चे के अच्छे काम की प्रशंसा करेंगे, तो वह उस काम को बार-बार करेगा। मान लीजिए अगर आपका बच्चा लाइट बंद करना, सामान को सही जगह रखना व अन्य अच्छे काम करता है, तो तुरंत उसकी प्रशंसा करें। इससे वह इन कामों को अपनी आदत बना लेगा।
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एकमत रहें - बच्चे को अगर अनुशासित करना है, तो इसके लिए पूरे परिवार का भी एकमत होना जरूरी है। अगर पिता बच्चे को किसी गलती के लिए डांट रहा है, तो मां या घर के दूसरे सदस्य को बच्चे का बचाव नहीं करना चाहिए। अगर कोई बचाव पर उतरेगा, तो बच्चा आगे भी वही गलती करेगा क्योंकि उसे पता होगा कि मुझे बचाने कोई न कोई जरूर आएगा।
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बच्चे की हर मांग पूरी न करें - अक्सर देखने में आता है कि पैरेंट्स बच्चे को सही से समय नहीं दे पाते। ऐसे पैरेंट्स बच्चे को खुश करने के लिए उसकी हर मांग पूरी कर देते हैं। पर यह गलत है। इससे बच्चे में हमेशा हां सुनने की आदत विकसित हो जाती है। वह जिद्दी हो जाता है। उसकी मांग भी बढ़ती जाती है, क्योंकि उसे पता होता है कि उसके मां-बाप हर मांग पूरी कर देंगे।
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दूसरों के सामने बच्चा करे जिद तो न करें समर्पण – बच्चे की हर मांग पूरी न करें। कई बार बच्चे पैरेंट्स को इमोशनली ब्लैकमेल करने के लिए दूसरे लोगों या घर में आए मेहमानों के आगे रोने व जिद करने लगते हैं। दरअसल उन्हें ये लगता है कि पैरेंट्स अपनी इज्जत बचाने के चक्कर में जिद पूरी कर देंगे। पैरेंट्स ऐसा करते भी हैं, अगर आप भी ऐसा कर रहे हैं, तो इसे फौरन बंद करें। बच्चे के आगे समर्पण न करें। उसे न कहना सीखें।
- अनुशासन की सीमा तय करें – बच्चे के आगे शुरू से ही अनुशासन की सीमा तय कर दें। उसे बता दें कि उसकी हर बात नहीं मानी जाएगी। अगर किसी बात के लिए मना करते हैं तो उसे उसका कारण जरूर बताएं। इससे वह नकारात्मक नहीं होगा। किसी चीज के लिए अगर बच्चा रोता है, तो रोता देखकर हां न कहें। इसे वह आपकी कमजोरी बना देगा। वह समझ जाएगा कि पैरेंट्स मुझे रोते नहीं देख सकते और आगे से वह हर बात मनाने के लिए यही करेगा।
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इस ब्लॉग को पेरेंट्यून विशेषज्ञ पैनल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा जांचा और सत्यापित किया गया है। हमारे पैनल में निओनेटोलाजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट, चाइल्ड काउंसलर, एजुकेशन एंड लर्निंग एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लर्निंग डिसेबिलिटी एक्सपर्ट और डेवलपमेंटल पीड शामिल हैं।
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