क्या हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण, सावधानियां और बचाव के उपाय ?

Prasoon Pankaj के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Nov 30, 2019

चीन में कोरोना वायरस की मार तो वहीं दूसरी तरफ अपने देश में H1N1 वायरस यानि स्वाइन फ्लू ने दस्तक दे दी है। खबरों के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के 6 जज स्वाइन फ्लू वायरस से पीड़ित हो गए हैं। एहतियात के तौर पर सुप्रीम कोर्ट के जजों व कई वकीलों ने मास्क पहनकर सुनवाई में हिस्सा लिया। आज हम आपको इस ब्लॉग में बताने जा रहे हैं कि स्वाइन फ्लू के लक्षण क्या हैं और आपको किस तरह की सावधानियां बरतने की आवश्यकता है। यहाँ जानें क्या हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण, सावधानियां और बचाव के उपाय?
क्या होते हैं स्वाइन फ्लू के लक्षण ?/ What Are The Symptoms swine flu in Hindi
स्वाइन फ्लू की गंभीरता को देखते हुए इसको 3 कैटेगरी में बांटा गया है। एच1एन1 (H1N1) यानि मौसमी इन्फ्लुएंजा मुख्य रूप से श्वसन तंत्र से संबंधित बीमारी है। ये कण हवा के माध्यम से, संक्रमित व्यक्ति के द्वारा दूसरे व्यक्ति को स्पर्श करने से शरीर में मुंह या नाक के माध्यम से प्रवेश कर जाते हैं। यहां तक की दरवाजे, फोन, कीबोर्ड या रिमोट कंट्रोल को भी अगर संक्रमित व्यक्ति ने इस्तेमाल किया है तो उसके बाद स्पर्श करने वाले दूसरे व्यक्ति भी इससे प्रभावित हो सकते हैं।
- माइल्ड स्वाइन फ़्लू के लक्षण को कैटेगरी A में रखा गया है- इसके प्रमुख लक्षण होते हैं बुखार, खांसी, सर्दी के अलावा शरीर में दर्द होना और थकान महसूस होना।
- मॉडरेट स्वाइन फ्लू के लक्षणों को कैटेगरी B में रखा गया है- इसमें संक्रमित व्यक्ति को माइल्ड स्वाइन फ्लू के लक्षणों के अलावा तेज बुखार और गले में दर्द होता है। गर्भवती महिलाओं, छोटे बच्चे, बुजुर्ग व्यक्ति, फेफड़े की बीमारी, दिल की बीमारी, किडनी की बीमारी, डाइबिटीज या कैंसर से ग्रस्त व्यक्तियों को इसका ज्यादा खतरा होता है।
- गंभीर स्वाइन फ्लू के लक्षणों को कैटेगरी C में रखा जाता है- इस श्रेणी में संक्रमित व्यक्तियों को माइल्ड और मॉडरेट के अलावा सांस लेने में समस्या, सीने में तेज दर्द, बलगम में खून का आना और नाखून का नीला पड़ जाना जैसे लक्षण नजर आ सकते हैं। संक्रमित व्यक्तियों को अस्पताल में भर्ती कराना जरूरी हो जाता है और इस श्रेणी के मरीजों को अस्पताल में भी अन्य रोगियों से अलग रखा जाता है। स्वाइन फ्लू की दवा टेमी फ्लू दी जाती है और निरंतर गहन निगरानी में रखा जाता है।
स्वाइन फ्लू की स्थिति में किस तरह की सावधानियां बरतनी चाहिए / Swine Flu Precautions In Hindi
ये भी जरूर जान लें कि इस समय में आपको क्या करना चाहिए और क्या नहीं करना चाहिए।
- स्वाइन फ्लू से बचने के लिए सबसे ज्यादा जरूरी है कि अपना मुंह ढ़क कर रखें
- संक्रमित व्यक्तियों को भी अपना मुंह ढ़क कर रखना चाहिए
- अपने नाकों को भी ढ़क कर रखें ताकि प्रदूषित हवा सांस के माध्यम से अंदर ना जाएं
- अपने हाथों की सफाई पर खास ध्यान दें
- पब्लिक प्लेस में हमेशा अपने चेहर को कवर करें
- हाथ मिलाने और गले मिलने से भी परहेज करें
- पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ लें
- बिना डॉक्टर की सलाह के किसी दवा का इस्तेमाल नहीं करें
- उपर बताए गए लक्षणों के नजर आने पर डॉक्टर को जरूर दिखाएं
- शरीर को आराम दें और पर्याप्त मात्रा में पानी पीते रहें
- इस बीमारी को रोकने के लिए डॉक्टर सालाना फ्लू टीकाकरण की सलाह देते हैं।
- इस टीके को इंजेक्शन या नाक में स्प्रे के रूप में लिया जा सकता है।
- एहतियात के तौर पर गर्भावस्था के दौरान स्प्रे का इस्तेमाल नहीं करना चाहिए
- अगर आपको बुखार हो गया है तो आप बुखार उतरने के बाद भी कम से कम 24 घंटे तक अपने घर में आराम करें।
- अपने हाथों को साबुन से अच्छे तरह से बार-बार धोते रहें
- जहां तक संभव हो भीड़-भाड़ से दूर रहें
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए घरेलु नुस्खे / Home Remedies to Prevent Swine flu in Hindi
स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए कुछ घरेलु नुस्खे काफी कारगर साबित हो सकते हैं।
- तुलसी और इलायची का काढ़ा बहुत कारगर उपाय- तुलसी को सर्वोत्तम औषधि माना जाता है। तुलसी के काढ़े के गुणों से आप बखूबी परिचित होंगी। तुलसी के काढ़े में इलायची को भी मिला लें और इसको दिन में 3 बार सेवन करें। ये रोग प्रतिरोधक क्षमता को तो बढ़ाता ही है इसके अलावा संक्रमण होने से भी बचाता है। इस काढ़े का एक और गुण ये है कि प्लेटलेट्स काउंट को नॉर्मल बनाए रखता है।
- हल्दी वाला दूध- आपने अपने घर में बड़े-बुजुर्गों के मुंह से जरूर सुना होगा कि सर्दी खांसी होने पर हल्दी वाला दूध जरूर पिलाना चाहिए। हल्दी में मौजूद करक्यूमिन नाम का तत्व फेफड़े और गले की सूजन को कम करता है। इसके अलावा शरीर में मौजूद वायरस के प्रभाव को भी कम करता है।
- गिलोय का काढ़ा- स्वाइन फ्लू से संक्रमित लोगों को गिलोय का काढ़ा जरूर पीना चाहिए। गिलोय बुखार के असर को कम करने में बहुत कारगर साबित होता है। गिलोय का काढ़ा तैयार करने के लिए इसकी डाली को तुलसी की कुछ पत्तियों के साथ 15 से 20 मिनट तक उबाल लें। जब ये ठंढ़ा हो जाए तब इसमें काली मिर्च, मिश्री, सेंधा नमक या काला नमक मिलाकर प्रयोग करें।
- आंवले का जूस या विटामिन सी से भरपूर फलों का जूस का सेवन करें
- पीने के लिए गुनगुने पानी का प्रयोग करें
- साबुन और गर्म पानी से अपने हाथों को अक्सर धोते रहें खास तौर पर खाना खाने से पहले या कहीं बाहर से घर आने के बाद तो जरूर। अपने घर के दरवाजों के हैंडल, बाथरूम, किचन की साफ-सफाई पर ध्यान दें।
क्या करें और क्या ना करें?
दिल्ली सरकार ने भी पहले स्वाइन फ्लू के बढ़ते खतरे को देखकर एडवाइजरी जारी किया था जिसमें क्या करें और क्या नहीं करें के बारे में जानकारी दी गई है।
क्या करें | क्या नहीं करें | |
1. | खांसने और छींकने के दौरान अपने मुंह व नाकों पर रूमाल जरूर रखें | गंदे हाथों से आंख, नाक व मुंह को छूना |
2. | अपने हाथों को साबुन व पानी से नियमित रूप से धोएं | किसी से मिलने के बाद गले मिलना, हाथ मिलाना व चूमना |
3. | भीड़ भाड़ वाले क्षेत्रों में जाने से बचें | सार्वजनिक स्थानों पर थूकना |
4. | संक्रमित लोगों को घर में ही आराम करना चाहिए | बिना डॉक्टर की सलाह के दवा का प्रयोग करना |
5. | फ्लू से संक्रमित व्यक्ति से कम से कम 1 हाथ की दूरी बना कर रखें | इस्तेमाल किए हुए नैपकिन या टिश्यू पेपर को खुले में फेंकना |
6. | पर्याप्त नींद और आराम करें | फ्लू वायरस से दूषित सतहों (दरवाजे, हैंडल) को छूना |
7. | पर्याप्त मात्रा में तरल पदार्थ, पानी पीएं व पोषक आहार खाएं | पब्लिक प्लेस पर धूम्रपान करना |
8. | फ्लू से संंक्रमण का संदेह हो तो डॉक्टर से जरूर सलाह लें | अनावश्यक रूप से एच 1 एन 1 की जांच करवाना |
हमारी सलाह है कि इस बात को लेकर पैनिक ना होएं। अगर आप स्वाइन फ्लू से पहले या बाद में कुछ सावधानियां बरतेंगे तो निश्चित रूप से इस बीमारी से बचा जा सकता है। अगर फिर भी लक्षण दिखाइ दें तो बिल्कुल धैर्य ना खोएं क्योंकि इसका इलाज संभव है।
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इस ब्लॉग को पेरेंट्यून विशेषज्ञ पैनल के डॉक्टरों और विशेषज्ञों द्वारा जांचा और सत्यापित किया गया है। हमारे पैनल में निओनेटोलाजिस्ट, गायनोकोलॉजिस्ट, पीडियाट्रिशियन, न्यूट्रिशनिस्ट, चाइल्ड काउंसलर, एजुकेशन एंड लर्निंग एक्सपर्ट, फिजियोथेरेपिस्ट, लर्निंग डिसेबिलिटी एक्सपर्ट और डेवलपमेंटल पीड शामिल हैं।

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