बच्चों में सुवर्णप्राशन का स्वास्थ्य संबंधी लाभ और महत्व !

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Dr Paritosh Trivedi

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2 weeks ago

बच्चों में सुवर्णप्राशन का स्वास्थ्य संबंधी लाभ और महत्व !

सुवर्णप्राशन, यह बच्चों में किये जानेवाले मुख्य 16 संस्कारों में से स्वास्थ्य की दृष्टि से एक बेहद महत्वपूर्ण संस्कार हैं।  सुवर्णप्राशन  को  स्वर्ण प्राशन  या  स्वर्ण बिंदु प्राशन  नाम से भी जाना जाता हैं। सुवर्ण यानि 'सोना / Gold' प्राशन यानि 'चटाना' होता हैं। सुवर्णप्राशन संस्कार में बच्चों को शुद्ध सुवर्ण, कुछ आयुर्वेदिक औषधि, गाय का घी और शहद के मिश्रण तैयार कर बच्चों को पिलाया जाता हैं।

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आधुनिक वैद्यकीय प्रणाली में जिस प्रकार बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति को बढ़ाने के लिए और बच्चों की सामान्य बिमारियों से बचाने के लिए Vaccines का इस्तेमाल किया जाता हैं उसी प्रकार आयुर्वेद के काल से बच्चों की रोगप्रतिकार शक्ति बढ़ाने के लिए सुवर्णप्राशन संस्कार या विधि की जाती हैं। यह एक प्रकार का आयुर्वेदिक Immunization की प्रक्रिया हैं।

 

सुवर्णप्राशन कैसे किया जाता हैं ?

 

जन्म से लेकर 16 वर्ष के आयु तक के बच्चों में सुवर्णप्राशन संस्कार किया जाता हैं। बच्चों में बुद्धि का 90% विकास 5 वर्ष की आयु तक हो जाता है और इसलिए जरुरी है की उन्हें बचपन से ही सुवर्णप्राशन कराया जाये।

  • बच्चों में सुवर्णप्राशन कराने का सबसे बेहतर समय सुबह खाली पेट सूर्योदय के पहले कराना चाहिए। 
  • 1 महीने रोजाना सुवर्णप्राशन कराने के बाद आप बच्चों को पुष्य नक्षत्र के दिन जो की हर 27 वे दिन आता हैं, सुवर्णप्राशन करा सकते हैं।
  • सुवर्णप्राशन में शहद का इस्तेमाल होता है इसलिए इसे फ्रिज में या बेहद गर्म तापमान में नहीं रखना चाहिए। 
  • सुवर्णप्राशन करने के आधा घंटे पहले और आधा घंटे बाद तक कुछ खाना या पीना नहीं चाहिए। 
  • अगर बच्चे ज्यादा बीमार है तो सुवर्णप्राशन नहीं कराना चाहिए। 
  • सुवर्णप्राशन लगातार 1 महीने से लेकर 3 महीने तक रोजाना दिया जा सकता हैं और उसके बाद हर पुष्य नक्षत्र के दिन दिया जा सकता हैं।  
  • सुवर्णप्राशन के अंदर सुवर्ण भस्म, वचा, ब्राम्ही, शंखपुष्पी, आमला, यष्टिमधु, गुडुची, बेहड़ा, शहद और गाय के घी जैसे आयुर्वेदिक औषधि का इस्तेमाल होता हैं। 

 

सुवर्णप्राशन की मात्रा / Dosage 

 

सुवर्णप्राशन की मात्रा / आयु

पुष्य नक्षत्र के दिन

रोजाना

जन्म से लेकर 2 महीने तक

2 बूंद / drops

1 बूंद / drops

2 से 6 महीने तक

3 बूंद / drops

2 बूंद / drops

6 से 12 महीने तक

4 बूंद / drops

2 बूंद / drops

1 वर्ष से 5 वर्ष

6 बूंद / drops

3 बूंद / drops

5 वर्ष से 16 वर्ष

7 बूंद / drops

4 बूंद / drops

 

सुवर्णप्राशन कराने के लिए आप किसी आयुर्वेदिक डॉक्टर के पास जा सकते है या उनसे शास्त्रोक्त पद्धति से तैयार किया हुआ सुवर्णप्राशन औषध खरीद भी सकते हैं। सुवर्णप्राशन में सुवर्ण का इस्तेमाल किया जाता है इसलिए वह शुद्ध और शास्त्रोक्त विधि से तैयार किया हुआ होना जरुरी होता हैं।

 

सुवर्णप्राशन के स्वास्थ्य लाभ क्या हैं ?

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महर्षि कश्यप ने अपने ग्रन्थ कश्यप संहिता में सुवर्णप्राशन के लाभ इस तरह वर्णन किया हैं -

 

" सुवर्णप्राशन हि एतत मेधाग्निबलवर्धनम्। 

आयुष्यं मंगलम पुण्यं वृष्यं ग्रहापहम्।।

मासात् परममेधावी क्याधिर्भिनर च धृष्यते। 

षड्भिर्मासै: श्रुतधर: सुवर्णप्राशनाद भवेत्।। "

 

इस श्लोक का मतलब यह होता हैं की, सुवर्णप्राशन यह मेधा (बुद्धि), अग्नि (पाचन) और बल (power) बढ़ाने वाला होता हैं। यह आयुष्य बढ़ाने वाला, कल्याणकारी, पुण्यकारक, वृष्य (attractive) और ग्रहपीड़ा (करनी, भूतबाधा, शनि) दूर करनेवाला होता हैं। बच्चों में एक महीने तक रोजाना सुवर्णप्राशन देने से बच्चो की बुद्धि तीव्र होती है और कई रोगो से उनकी रक्षा होती हैं। 6 महीने तक इसका उपयोग करने से बच्चे श्रुतधर (एक बार सुनाने पर याद होनेवाले) बन जाते हैं।

 

बच्चों में नियमित सुवर्णप्राशन करने से निचे दिए हुए स्वास्थ्य लाभ होते हैं :

  • रोग प्रतिकार शक्ति / Immunity : सुवर्णप्राशन करने से बच्चों की रोग प्रतिकार शक्ति मजबूत होती हैं। वह आसानी से बीमार नहीं पड़ते हैं और बीमार पड़ने पर भी बीमारी का असर और कालावधि कम रहता हैं। बच्चों में दात आते समय होनेवाली विविध परेशानियों से छुटकारा मिलता हैं।   
  • शक्ति / Stamina : सुवर्णप्राशन कराने से बच्चे शारीरिक रूप से भी strong बनते है और उनका stamina हम उम्र के बच्चों से ज्यादा बेहतर रहता हैं। 
  • बुद्धि / Intellect : नियमित सुवर्णप्राशन कराने से बच्चो की बुद्धि तेज होती हैं। वह आसानी से बातों को समझ लेते है और याद कर लेते हैं। ऐसे बच्चों की स्मरण शक्ति अच्छी होती हैं। 
  • पाचन / Digestion : सुवर्णप्राशन कराने से बच्चों में पाचन ठीक से होता हैं, उन्हें भूक अच्छी लगती हैं और बच्चे चाव से खाना खाते हैं। 
  • रंग / Color : सुवर्णप्राशन करने से बच्चों के रंग और रूप में भी निखार आता हैं। बच्चों की त्वचा सुन्दर और कांतिवान होती हैं। 
  • एलर्जी / Allergy : बच्चों में एलर्जी के कारण अक्सर कफ विकार जैसे की खांसी, दमा और खुजली जैसी समस्या ज्यादा होती हैं। सुवर्णप्राशन का नियमित सेवन करने से एलर्जी में कमी आती है और कफ विकार कम होते हैं। 

 

सुवर्णप्राशन यह बेहद महत्वपूर्ण, आसान और उपयोगी संस्कार / विधि हैं। सुवर्णप्राशन कराने से पहले आयुर्वेदिक डॉक्टर की सलाह अवश्य लेनी चाहिए।

 

यह जानकारी डॉ परितोष त्रिवेदीजी ने लिखी हैं l स्वास्थ्य से जुडी ऐसी ही अन्य उपयोगी जानकारी सरल हिंदी भाषा में पढने के लिए एक बार  www.nirogikaya.com पर अवश्य visit करे l 

 

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