शुरुआती गर्भावस्था के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातें

प्रेग्नेंसी यानि गर्भावस्था का समय हर स्त्री के लिए बहुत खास होता है। खासकर पहले बच्चे के जन्म का समय। अक्सर ऐसी स्थिति में महिलाओं को मानसिक और शारीरक तौर पर बहुत से तकलीफ और डर रहता है। वे अपनी सेहत को लेकर अक्सर कन्फ्युज होती है। क्या करना ठीक है? क्या करना ठीक नहीं है? यही सवाल उनके दिमाग में होते हैं जिनका जवाब या तो वें किताबों और इंटेरनेट से पढ़कर ढूंढती है या फिर किसी बूढ़े-बुजुर्ग की मदद से जाती है। ज़्यादातर डॉक्टर प्रेग्नेंसी के शुरुआती 3 महीनों में खास सावधानी रखने की हिदायत देते हैं। प्रेग्नेंसी में सभी महिलाओं के लक्षण अलग-अलग हो सकते हैं। लेकिन कुछ चीज़ें/बातें ऐसी हैं जिनका ख्याल रखना हर गर्भवती के लिए ज़रूरी हैं।
डॉक्टर से परामर्श ले:- गर्भावस्था में नियमित रूप से डॉक्टर से जाँच करवाना बहुत ज़रूरी है। इसके लिए एक डॉक्टर को कुछ-कुछ समय अंतराल पर दिखाते रहे जिससे की वो आपको आपके और आपके शिशु की सेहत में हो रहे बदलाव के बारे में और ज़रूरी उपचार के बारे में बता सकें। अक्सर रोजमर्रा की जिंदगी मे हम कई बार सिर दर्द या बदन दर्द होने पर कुछ दवाइयाँ लेते है। कई दवाइयां ऐसी भी होती है जो गर्भ पर सीधा असर करती है। यहाँ तक इससे आपका गर्भपात भी हो सकता है। या फिर दोबारा गर्भधारण करने मे मुश्किल भी आ सकती है। इसलिए कभी भी बिना डॉक्टर के परामर्श के दवाई न ले। और इसके अतिरिक्त आप किसी भी तरह की दवाई का सेवन कर रहे हे तो उसके बारे मै चिकित्सक से परामर्श कर ले।
धूम्रपान न करें:- गर्भावस्था में अपनी और अपने बच्चे की सेहत का ध्यान रखना बहुत ज़रूरी होता है। इसके लिए धूम्रपान छोड़ना बहुत ज़रूरी है क्योंकि धूम्रपान करते समय जो धुआँ निकलता है वो बहुत हानिकर होता है। धूम्रपान करने से मम्मी और बच्चे को कई मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है। इससे बच्चे की सेहत पर बुरा असर पड़ सकता है।
आयोडीन युक्त आहार:- गर्भवती महिलाओं के शरीर के लिए आयोडीन बहुत ज़रूरी होता है। यह बच्चे के मानसिक विकास में सहायक होता है। साथ ही आयोडीन तंत्रिका तंत्र के विकास में भी मदद करता है। आयोडीन की कमी से बच्चे को घेंघा रोग हो जाता है। इसलिए जरुरी है की गर्भवती महिला आयोडीन को आपने आहार में शामिल करें। दूध पीना शरीर के लिए बहुत अच्छा होता है। इससे शरीर में कैल्शियम और प्रोटीन मिलता है जो मम्मी और बच्चे दोनों के लिए बहुत फायदेमंद होता है। लेकिन ध्यान रखें कि जब आप गर्भवती हो तो गरम दूध का नहीं बल्कि हल्के गुनगुने दूध पीना चाहिए।
तनाव लेने से बचें:- जिंदगी मे हर किसी को किसी न किसी वजह से तनाव जरूर होता है। परन्तु यह तनाव आपके लिए सही नहीं होता है। अगर आप गर्भवती महिला है तो आप कोशिश करे की ज्यादा से ज्यादा खुश रहे। तनाव लेना आपके शरीर और बच्चे के लिए बिलकुल भी अच्छा नहीं है।
आप चाहे तो मैडिटेशन का सहारा भी ले सकती है। इससे आप तनाव को तो काम करेगी ही साथ में सकारात्मक ऊर्जा अपने अंदर महसूस करेंगी। गर्भवती महिला का स्वस्थ रहना बहुत जरुरी है। यह इसलिए जरूरी है ताकि आप दिमागी और शारीरिक दोनों तरह से स्वस्थ रहे।
लगातार उलटी होने पर सावधानी बरतें- अक्सर गर्भावस्था में स्त्रियॉं को सुबह उलटी होती है या बार-बार जी मचलता है। इसे मॉर्निंग सिकनेस के नाम से भी जाना जाता है। ऐसे में ध्यान रखने वाली बात ये है कि ऐसे अवस्था में शरीर में पानी की कमी नहीं होनी चाहिए। अगर उलटी की तीव्रता अधिक रही और काफी लंबे समय तक रहती है तो इसमें समय से पहले बच्चे का जन्म होना, बच्चे का वजन कम होना आदि दिक्कत आ सकती है।
पौष्टिक और अच्छा खाना:- गर्भावस्था में उचित और पौष्टिक भोजन खाना बहुत ज़रूरी होता है। भोजन भी ऐसा होना चाहिए जिसकी मदद से शरीर में शुगर की मात्रा बनी रही। साथ-ही-साथ खाने में फोलिक एसिड और प्रोटीन की स्तर भी उचित रखें। गर्भावस्था में अच्छा खाना और थोड़े-थोड़े समय अंतराल पर खाना बहुत ज़रूरी है। गर्भावस्था के दौरान जंक फूड खाने से परहेज करना ही बेहतर होगा. इसमें उच्च मात्रा में फैट होता है, जिसकी वजह से कोलेस्ट्रॉल बढ़ने का खतरा हो सकता है। शरीर में पानी का स्तर बनाकर रखें- गर्भावस्था में शरीर में पानी की कमी न होने दें। हर आधे या एक घंटे में थोड़ा पानी पिएँ। अगर आपको मचली/उल्टी (वोमीटिंग) जैसा महसूस हो तो पानी में थोड़ा चीनी और नमक मिलाकर पानी पिएँ।
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