1. अपने पापा से ये बस ये 8 बातें ...

अपने पापा से ये बस ये 8 बातें चाहता है बच्चा

7 to 11 years

Anubhav Srivastava

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3 months ago

अपने पापा से ये बस ये 8 बातें चाहता है बच्चा

                                               फैज़ान मुसन्ना 

आज की भागती दौड़ती जिंदगी में अक्सर पिता इस बात को लेकर परेशान  रहते हैं कि वे अपने परिवार खासतौर से बच्चे की परवरिश  में योगदान नहीं कर पा रहे हैं।अक्सर ऐसे में लोग आत्मग्लानि से भर जाते हैं। समय अभाव में बच्चे को अनुशासन का पाठ पढाने के लिए वो सब कुछ करने लगते हैं जो आपको आमतौर से नहीं करना चाहिए। यदि आप उन पिताओं में शामिल  हैं जो अपने बच्चे पर हाथ उठाकर उसे अनुशासन का पाठ पढानें में यकीन करते हैं ,तो आपकी सोच गलत है। हम इस ब्लॉग में आपको उन 8 बातों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपका बच्चा आपसे उम्मीद करता है। जानिए क्या है वे 8 बातें

प्रत्येक पापा को इन बातों का रखना चाहिए ध्यान / Papa should take care of these things in Hindi

 

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  1. प्यार से हर काम संभव: अगर आप बच्चे को उसकी गल्तियों पर शारीरिक और मानसिक तौर पर टाॅर्चर कर रहे हैं तो ये पूरी तरह से गलत है।  यही नहीं बच्चा लगातार पिटाई से जिद्दी और हिंसक बन जाता है। खुद मैने देखा है कि ऐसे बच्चे अक्सर दूसरे बच्चों से मार पीट करने लग जातें है। वहीं आपकी लगातार डांट से बच्चा मानसिक तौर पर कमज़ोर हो जाता है।  दूसरी तरफ अनुभव यह बताता कि बच्चों से कोई भी काम प्यार से करवाया जा सकता है
     
  2. अपनी सोच बदलें : यह सोच गलत है कि बच्चे की अगर पिटाई नहीं होगी तो वह बिगड़ जायेगा। बच्चे के साथ किसी भी प्रकार का बुरा व्यवहार ,चाहे डा़ंटना हो या फिर मारना उसके लिए शारीरिक व मानसिक तौर से बुरा होता है। इसका प्रभाव बच्चा वर्षों  सहता है। पिता बच्चे के लिए रोल माॅड़ल होता है । यदि आप चाहते है कि आप के बच्चे की ग्रोथ अच्छी और संतुलित हो तो आपको उसका रोल माॅड़ल बनना ही होगा। आप पर आपके कामों का चाहे कितना ही बोझ हो मगर आपको अपने बच्चे से मुस्कुराकर ही मिलना चाहिए। आपको जितना भी समय मिले आप बच्चे के साथ सरल और सहज भाव के साथ बिताएं।
     
  3. कड़वी यादें : बच्चा बचपन के बुरे अनुभवों के साथ पूरा जीवन नफरत भरी यादों के साथ गुज़ार देगा। एक बुरी यादों से भरे बचपन से बुरा कुछ भी नहीं होता है। आमतौर से अभिभावक खासतौर से पिता कहते सुने जाते हैं कि हम बच्चे को उसके भले के लिए पीट रहे हैं। अक्सर लोग यह भी कहते है कि यह भी प्यार दिखाने का एक तरीका है। जबकि मनोविज्ञान को समझने वाले कहते है कि ऐसा प्यार बच्चे को बर्बाद कर देता है। बच्चे पर हाथ उठाने से कहीं बेहतर है कि आप उसे किसी और तरीके से अपनी बात समझांए। यदि आप चाहते हैं कि आपका बच्चा बड़ा होकर हिंसक ना बने तो उसके सामने अच्छा आदर्श  प्रस्तुत करें । मार पीट को उसकी बचपन की यादे ना बनने दें। मार पीटकर आप उसको कहीं ना कहीं सिखा रहें हैं कि मार पीट बुरी नहीं है। वहीं वह यह भी समझता है कि बड़ों को अपने छोटों को मारने पीटने का पूरा अधिकार है। वही बच्चा जब बड़ा होता है तो अपने छोटों के प्रति हिंसक हो जाता है।
     
  4. हिंसा की सीख मिलती है :हर घर और हर बच्चा अलग होता है। बच्चों की परवरिश  का कोई सर्वव्यापी नियम नहीं होती है। कभी किसी और से अपनी परवरिश  की तुलना न करें । अपने बच्चे पर अपेक्षाओं का बोझ न ड़ालें तथा किसी प्रकार दबाव का प्रयोग न करें। अकसर लोग बच्चे से अपनी इच्छा के अनुसार रिजल्ट ना आता देख उसके साथ मार पीट करते हैं । ऐसे में बच्चा  सोचने लग जाता है कि दुनिया में हर काम मार पीट कर करवाया जा सकता हैे। ऐसे ही बच्चे बड़े होकर अपना काम धौंस और मार पीट कर के अपना काम करवाते हैं।  
     
  5. आत्मविश्वास  प्रभावित होता है : याद रहे मां-बाप ही बच्चे की रक्षा करते हैं ऐसे में यदि वे ही अपने बच्चों के प्रति हिंसक हो जायेगें तो धीरे -धीरे वे अपना आत्मविश्वास खो देते हैं। ऐसा बच्चा बड़ा होकर सामाज में अपना योगदान आत्मविश्वास  के साथ नहीं दे पायेगा। वहीं देश  और समाज को एक अच्छा इंसान नहीं मिल पायेगा।
     
  6. अवसाद का खतरा: ऐसा कहा जाता है कि बच्चों को डांटने या मारने से पहले कम से कम दो या तीन बार सोच लेना चाहिए। किसी भी तरह के मनोरोग के लक्षण प्रारम्भ में दिखायी नहीं देते । जिन बच्चों को अनुशासन सिखाने के बजाय मारा पीटा जाता है वे मानसिक तौर पर बीमार हो जाते हैं।
     
  7. अंतर्मुखी स्वभाव: बच्चों को मारने पीटने से उनके अंदर एक झिझक सी पैदा हो जाती है। वे अपनी बातें किसी के भी साथ साझा करने में झिझक महसूस करते हैं और अंतर्मुखी स्वभाव के बन जाते हैं।
     
  8. दोस्ती नामुमकिन :यदि आप बच्चों को मारते पीटते हैं तो यह मान कर चले कि आप कभी भी उनके अच्छे दोस्त नहीं बन पायेंगे। जीवन के अनुभव सिखाते हैं यदि मां-बाप अपने बच्चों से दोस्ताना रवैया नहीं रखपाते हैं तो अकसर वे फैसलों में पैरेन्टस को शामिल नहीं करते हैं। इसलिए जरूरी है कि आप बच्चों के प्रति मोहब्बत भरा बर्ताव अपनायें। उनको मारने पीटने की बजाय उनसे प्यार भरा रवैया अपनायें।

 

 आपको जब भी समय मिले उनके साथ अपनी और उनकी सुविधानुसार समय बितायें। यकीन माने आप अपने में नयी फूर्ती और संचार महसूस करेगें। बच्चे भी आप से खुलेगें । ऐसा करके आप उनको करीब से जान पाएंगे।
 

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