इन 6 तरीकों से सर्दी के मौसम में रखें शिशु का ख्याल

ठंड ने दस्तक दे दी है। गर्मी की तुलना में सर्दी का मौसम लोगों को ज्यादा पसंद आता है, लेकिन इस मौसम में सावधानी बरतने की भी काफी जरूरत होती है, खासकर बच्चों का अतिरिक्त ध्यान रखना होता है। सर्दियों में बच्चे सबसे ज्यादा मौसमी बुखार की चपेट में आते हैं। इसके अलावा निमोनिया, टाइफाइड, पीलिया, दिमागी बुखार, डेंगू व मलेरिया की दिक्कत भी बच्चों को ठंड में ज्यादा होती है। ऐसे में ठंड में बच्चे की सही देखभाल बहुत जरूरी है। आज हम बता रहे हैं कि आखिर कैसे ठंड के मौसम में अपने नन्हे का ख्याल रखें। [इसे भी पढ़ें - कैसे बचाएं सर्दी के मौसम में होने वाली इन 10 बीमारियों से खुद को और बच्चे को?]
सर्दी के मौसम में नवजात शिशु का इस तरह रखें ख्याल / Keep This Kind Of Newborn Baby In The Winter Season In Hindi
- ठीक से पहनाएं कपड़े – अगर आपका बच्चा छोटा है, तो ठंड में उसे अच्छे से कपड़े पहनाएं। बच्चे के सिर, पैर और कानों को ढककर रखें। हमेशा बच्चे को 2-3 कपड़े पहनाकर रखें। कपड़े लेयरिंग में पहनाएंगे तो ज्यादा बेहतर। 1-2 कपड़े की जगह 3-4 पतले कपड़े उसके शरीर को ज्यादा गर्म ऱखेंगे। ठंड में कॉटन की जगह ऊनी जुराबें पहनाएं। घुटने के बल चलने वाले बच्चों को हाथों में भी दस्ताने पहनाएं।
- सफाई भी जरूरी – नवजात शिशु (1 महीने तक के) को 2-3 दिन छोड़कर नहलाना चाहिए। वैसे रोजाना गुनगुने पानी में तौलिए को भिगोकर बच्चे के शरीर को पोछें। 2 महीने से ऊपर के बच्चे को रोजना नहाने की कोशिश करें। हालांकि सर्दी में गुनगुने पानी से ही नहलाएं। रोजाना नहलाने का फायदा ये होगा कि आपका बच्चा कीटाणुओं की चपेट में नहीं आएगा।
- ठंड में मालिश भी है जरूरी – अगर आप चाहते हैं कि आपका बच्चा ठंड में स्वस्थ रहे, तो रोजाना 10-15 मिनट उसकी मालिश जरूर करें। इससे बच्चे की मांसपेशियां और हड्डियां मजबूत होती हैं। मालिश हमेशा नीचे से ऊपर की ओर करें। मालिश का असली मकसद खून के दौरे को दिल की तरफ ले जाना होता है। पैरों और हाथों पर नीचे से ऊपर की ओर मालिश करें। साथ ही दोनों हाथों को सीने के बीच रखकर दोनों दिशाओं में दिल बनाते हुए मालिश करें। मालिश के लिए बादाम, जैतून, बच्चों के तेल व अन्य तेल का भी इस्तेमाल कर सकते हैं। मालिश के लिए आपको कुछ बातों का खास ध्यान रखना होगा। मालिश और नहाने के बीच 15 मिनट का गैप जरूरी है। यही नहीं मालिश और खाने बीच भी करीब 1 घंटे का अंतराल रखें। अगर खाना खाने के तुरंत बाद मालिश करेंगे, तो बच्चे को उलटी की आशंका रहेगी। साथ ही खून का दौरा भी पेट से हाथ-पैरों की तरफ चला जाता है और खाना सही से नहीं पचता।
- खाने पीने का भी रखें विशेष ध्यान - 1 साल तक के बच्चों के लिए तो मां का दूध व जरूरत पड़ने पर फॉर्म्युला मिल्क बेहतर है। वहीं 2 साल के बच्चों को फुल क्रीम दूध दें। इसके अलावा डेढ़ साल व उससे ऊपर के बच्चों को सीजनल सब्जियां व फल दें। 7-8 महीने के बच्चे को रोजाना आधा बादाम और आधा काजू पीसकर दें। इस बात का ध्यान रखें कि ये सब चीज साबूत न दें, नहीं तो इनके गले में फंसने का डर रहेगा। अगर ड्राई फ्रूट्स से एलर्जी हो, तो इसे न दें। इसके अलावा अपने बच्चे को रोजाना एक खजूर, 3-4 किशमिश भी खिला सकते हैं और उसे थोड़ा सा केसर या शहद की 4-5 बूंदें भी चटाने से ठंड में वह फिट रहेगा। इसके अलावा संतरा, सेब, चीकू, अनार आदि फल भी बच्चे को खिला सकते हैं।
- धूप से होगा फायदा – धूप में विटामिन डी होता है। ये बच्चे के लिए ठंड में काफी फायदेमंद होगा। आपको बच्चे को सुबह 11 बजे से शाम 4 बजे के बीच कभी भी 20-25 मिनट के लिए धूप में खेलने देना चाहिए या बैठाना चाहिए । इस बात का ध्यान रखें कि बच्चे का पूरा शरीर कपड़े से ढ़का न हो, नहीं तो धूप का फायदा नहीं मिलेगा। धूप में बच्चे के हाथ-पैर के पास कपड़ा फोल्ड कर दें। ताकि उसके शरीर पर धूप लग सके।
- हीटर का यूज़ संभलकर – बच्चे के आसपास हीटर का इस्तेमाल न करें। अगर करना जरूरी है, तो ऑयल वाले हीटर का यूज करें। ये कमरे से ह्यूमिडीटी खत्म नहीं करते। पर इन्हें भी लगातार न चलाएं। 1-2 घंटा चलाकर हीटर को बंद कर दें। बाहर जाने से करीब 15 मिनट पहले हीटर को बंद कर दें, वरना कमरे के अंदर और बाहर के तापमान का फर्क बच्चे को नुकसान पहुंचा सकता है।
सर्दी के मौसम में आपको अपने नन्हे मुन्ने के लिए विशेष एहतियात बरतने की आवश्यकता होती है क्योंकि ये उसके लिए ठंड का पहला अनुभव होने वाला है। लेकिन आप अगर उपर बताई गई बातों का पालन करेंगे फिर परेशान होने की जरूरत नहीं।
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