महाराणा प्रताप की जीवनी से प्रभावित होकर आपका बच्चा भी बनेगा निडर

11 to 16 years

Sadhna Jaiswal

223.6K बार देखा गया

3 months ago

महाराणा प्रताप की जीवनी से प्रभावित होकर आपका बच्चा भी बनेगा निडर

आज के दौर में जब आपका बच्चा निराशा जनक बातें करने लगे तो माता पिता को चाहिए की उन्हें वीर महापुरुषों की कहानियाँ सुनाये और उनकी जीवनी पढ़ने के लिए प्रेरित करें। प्रत्येक बच्चे के अंदर देश भक्ति की भावना होनी चाहिए। बचपन से ही बच्चे के अंदर यह संस्कार डालें की उसका सबसे पहला कर्त्तव्य अपने देश के प्रति हैं। बच्चे को आदर्श व्यक्तियों के जीवन चरित्र के बारे में जानने के लिए जागरूक करे। तो आइये आज हम आपको बताते है, महाराणा प्रताप की जीवनी के बारें में जिससे प्रभावित होकर आपका बच्चा भी बनेगा निडर, साहसी और देशभक्त। महाराणा प्रताप एक ऐसे महापुरुष हैं, जिनकी कहानियां पीढ़ी दर पीढ़ी सुनाई जाती रही है।
 

Advertisement - Continue Reading Below
Advertisement - Continue Reading Below

महाराणा प्रताप का आरंभिक जीवन / Early Life Of Maharana Pratap In Hindi

महाराणा प्रताप का जन्म कुम्भलगढ दुर्ग में हुआ था। महाराणा प्रताप की माता का नाम जैवन्ताबाई था। बचपन से ही महाराणा प्रताप साहसी, वीर, स्वाभिमानी एवं स्वतंत्रताप्रिय थे। सन 1572 में मेवाड़ के सिंहासन पर बैठते ही उन्हें अभूतपूर्व संकटो का सामना करना पड़ा, मगर धैर्य और साहस के साथ उन्होंने हर विपत्ति का सामना किया। राजकुमार प्रताप को मेवाड़ के 54वे शाषक के साथ महाराणा का ख़िताब मिला।  महाराणा प्रताप के काल में दिल्ली पर अकबर का शासन था और अकबर की नीति हिन्दू राजाओ की शक्ति का उपयोग कर दुसरे हिन्दू राजा को अपने नियन्त्रण में लेना था। एक बार मुगल सेनाओ ने चित्तोड़ को चारो और से घेर लिया था। महाराणा प्रताप ने वीरता का जो आदर्श प्रस्तुत किया, वह अद्वितीय है। उन्होंने जिन परिस्थितियों में संघर्ष किया, वे वास्तव में जटिल थी, पर उन्होंने हार नहीं मानी। यदि राजपूतो को भारतीय इतिहास में सम्मानपूर्ण स्थान मिल सका तो इसका श्रेय मुख्यत: राणा प्रताप को ही जाता है। उन्होंने अपनी मातृभूमि को न तो परतंत्र होने दिया न ही कलंकित। विशाल मुग़ल सेनाओ को उन्होंने लोहे के चने चबाने पर विवश कर दिया था। उन्होंने अपने पूर्वजों की मान मर्यादा की रक्षा की, और प्रण किया की जब तक अपने राज्य को मुक्त नहीं करवा लेंगे, तब तक राज्य  सुख का उपभोग नहीं करेंगे। तब से वह भूमी पर सोने लगे, वह अरावली के जंगलो में कष्ट सहते हुए भटकते रहे, परन्तु उन्होंने मुग़ल सम्राट की अधीनता स्वीकार नहीं की। 

बालक प्रताप ने कम उम्र में ही अपने अदम्य साहस का परिचय दे दिया था। एक बालक होने के बावजूद, मेवाड़ के प्रति अपनी ज़िम्मेदारी को महसूस करते हुए उन्होंने युद्धकला और धनुर्विद्या में कठिन प्रशिक्षण लिया। राजकुमारों में सबसे प्रतिभाशाली और मजबूत होने के कारण, पूरा राजपुताना राजवंश उनसे बहुत उम्मीद रखता था। महाराणा प्रताप  राजगद्दी के लिए उदय सिंह के पसंदीदा पुत्र नहीं थे। इसीलिए महाराणा प्रताप को नहीं, बल्कि उनके छोटे भाई जगमाल को मेवाड़ का उत्तराधिकारी चुना गया। यह भले ही राजा की इच्छा थी कि जगमाल राजा बनें, लेकिन मेवाड़ के वरिष्ठ दरबारियों ने प्रताप को ही सर्वश्रेठ उत्तराधिकारी का दर्जा दिया और महाराणा प्रताप को ही अपना राजा घोषित कर दिया।

महाराणा प्रताप की बहादुरी के किस्से अब भी राजस्थान में सुनाए जाने की परम्परा है। कहा जाता है कि एक बार युद्ध के बीच एक मुग़ल सैनिक ने उन पर पीछे से वार करना चाहा, लेकिन महाराणा प्रताप  ने अपनी आंखों के किनारे से ही उसकी चाल को भांप लिया और अपनी तलवार के एक शक्तिशाली झटके से दोनों सैनिकों और घोड़े को मार गिराया। महाराणा प्रताप छापामार युद्ध रणनीति में भी माहिर थे।
 एक अवसर पर, अमर सिंह लड़ाई में जीत के बाद बंधकों के रूप में कुछ मुस्लिम महिलाओं को ले आए। यह महाराणा प्रताप को बिलकुल भी अच्छा नहीं लगा। उन्होंने महिलाओं को मुक्त कर दिया, और महिलाओ को सम्मान के साथ घर भेज दिया गया। महाराणा प्रताप की इस जीवनी से हमने जाना की वो कितने बहादुर और निडर थे। आप भी इसी तरह वीर महापुरुषों के बारें में अपने बच्चो को बताये की हमारे देश में ऐसे वीर हुए जिनके जीवन में डर का नाम निशान भी नहीं था। जिससे प्रेरित होकर आपका बच्चा  निडर और आत्मनिर्भर बने। ताकि बडा होकर वो अकेला ही दुनिया का सामना कर सकें।

Be the first to support

Be the first to share

support-icon
Support
share-icon
Share

Comment (0)

share-icon

Related Blogs & Vlogs

No related events found.

Loading more...