क्या आप जानते हैं कंगारू देखभाल क्या है? इसे जरूर पढ़िए!

शिशु का तय समय से पहले जन्म और उसका पैदायशी वजन कम होने जैसे मामले अक्सर देखने में आते है जिसे प्री-मैच्योर बेबी कहा जाता है। ये शिशु सामान्य शिशु की तुलना में न केवल ज्यादा कोमल और कमजोर होते हैं बल्कि उन्हें कई तरह की बीमारियां होने का खतरा भी बहुत ज्यादा होता है और ऐसे में इन्हे गहन देखभाल की जरूरत होती है।कंगारू देखभाल, तय समय से पहले जन्म लेने वाले या अपरिपक्व (प्री-टर्म) शिशुओं की देखभाल का एक कारगर तरीका है और ऐसे शिशु के विकास में काफी मददगार है।
क्या है कंगारू देखभाल?/ what is kangaroo care in hindi?
कंगारू देखभाल (Kangaroo Mother Care) करना ठीक वैसा ही है जैसे कंगारू अपने बच्चे को बाहरी खतरों से सुरक्षित रखने के लिए उसे अपने पेट की थैली में रखता है। इस विधि में भी मां अपने शिशु को कंगारू की तरह अपने सीने से चिपकाकर रखती हैं और इसी स्थिति में उसे स्तनपान भी कराती है और ऐसा करते समय नवजात शिशु तथा उसकी मां के शरीर पर कोई कपड़ा नहीं रहता है ताकि नवजात तथा उसकी मां का त्वचा एक दूसरे से स्पर्श करे। इस विधि का असल मकसद शिशु को अपने शरीर की गर्मी देना होता है। जो शिशु तय समय से पहले (प्री-मैच्योर) जन्म लेते हैं या ऐसे शिशु जो जन्म के समय ज्यादा कमजोर होते हैं, उनके शरीर में गर्मी की कमी रहती है और कंगारू देखभाल से गर्मी की कमी को पूरा किया जाता है। कंगारू देखभाल से शिशु को सही मात्रा में आॅक्सीजन मिलती है और उसका विकास भी तेजी से होता है।
कंगारू देखभाल का तरीका / Kangaroo care method in Hindi
कंगारू देखभाल विधि से शिशु की देखभाल उसकी मां के अलावा उसकी दादी, मौसी, फुआ या यहां तक की बच्चे का पिता भी कर सकता है पर ध्यान रखें कि उन्हे किसी प्रकार का संक्रमण न हो। इस विधि में शिशु को एक दिन में लगभग चार घंटे, प्रत्येक बार 20 से 25 मिनट के लिए पकडा जाता है। इसे करने के दौरान, शिशु की पीठ के ऊपर से एक कंबल या कपड़ा माता-पिता के चारों लपेट कर एक खोल/थैली की तरह बनाना चाहिए जिससे शिशु के अंदर सुरक्षित रहे।
कंगारू देखभाल करने का सही तरीका क्या है, आइये जाने / What is the right way to do kangaroo care in Hindi
1) बच्चे को मां की छाती के साथ (स्तनों के बीच) सटाकर यूं पकड़ा जाना चाहिए कि उसका सिर ऊपर रहे। छाती पर कोई कपड़ा न हो जिससे शिशु को आपकी त्वचा का स्पर्श मिले।
2) शिशु के सिर को इस तरह से रखना चाहिए जिससे उसे सांस लेने में दिक्कत न हो और मां और शिशु एक-दूसरे को देख सकें।
3) शिशु के पुट्ठे और हाथ सही स्तिथि में होने चाहिए, वे दबे हुए न हों।
4) शिशु को पेट से ऊपर वाले हिस्से पर रखना चाहिए।
5) सातमाह (प्री-मैच्योर) में जन्म लेने वाला एसा शिशु जिसका वजन 2½ किलो से कम हो, ऐसे शिशु की पूरे दिन और लगातार कंगारू देखभाल की जानी चाहिए।
कंगारू देखभाल मां और शिशु दोनों के लिए अलग-अलग तरह से फायदेमंद होती है।
माँ के लिए-
- कंगारू देखभाल से मां का प्लेसेंटा जल्दी बाहर आ जाता है।
- शिशु को सीने से लगाने से मां का दूध जल्दी उतरता है।
नवजात शिशु के लिए-
- तापमान के उतार-चढाव से शिशु हाइपेथिर्मिया का शिकार भी हो सकता है पर माँ के साथ कपड़े के खोल में रहने से शिशु पर तापमान के उतार-चढ़ाव का असर नहीं होता।
- नवजात शिशु स्वयं को सुरक्षित महसूस करता है।
- शिशु का वजन बढ़ता है और शारीरिक विकास बेहतर हो जाता है।
- शिशु चौंकता नहीं है क्योंकि वह अकेले नहीं रहता और कम रोता है।
- मां एवं शिशु के बीच मानसिक एवं भावनात्मक जुड़ाव बढ़ता है।
अगर कोई मां इसी तरह का संपर्क अपने नवजात से बनाती है तो वैज्ञानिक रूप से इससे वह कई रोगों से बच सकते हैं। यह प्री-मैच्योर शिशु के बेहतर देखभाल का एक आसान, कम लागत वाला तरीका है, जो भारत में नवताज शिशु मृत्यु दर को घटाने में मददगार हो सकता है।
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