उम्र के हिसाब से करें खिलौनों का चयन, इसे पढ़ें

1 to 3 years

Deepak Pratihast

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4 months ago

उम्र के हिसाब से करें खिलौनों का चयन, इसे पढ़ें

खेल बच्चों के विकास का एक स्वाभाविक और अहम् हिस्सा है। खेल खेल में उनके व्यक्तित्व का विकास होता है, वे नए कौशल सीखते हैं और बाक़ी दुनिया से ख़ुद को जोड़ कर देखते हैं। इस काम में उनके सबसे बड़े सहायक होते हैं खिलौने। यदि आप बच्चे के लिए खिलौने खरीदने वाली हैं तो आपको इसके लिए बाजार में ढेरों ऑप्शन मिल जाएगें। अच्छा होगा कि पहले ये जांच लिया जाए कि बच्चे के लिए किस तरह के खिलौने खरीदे जाएं।

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बच्चों के लिए खिलौने खरीदते समय इन बातों का ध्यान रखें / Keep These Things In Mind When Buying Toys For Children In Hindi

हम अपने बच्चे के लिए वही खिलौने खरीद कर दें जो उनकी उम्र के हिसाब से उपयोगी हो और आपके बच्चे को भी इन खिलौनों से खेलने में मजा आएगा।

  • अक्सर खिलौने ख़रीदते समय तीन बातों को अहमियत दी जाती है- क्या यह खिलौना उपयोगी है? बच्चे की रुचि कितने समय तक इसमें बनी रहेगी? क्या वह इससे कुछ ऐसा सीख सकेगा, जिससे उसकी रचनात्मक क्षमता का विकास हो? इन तीनों कसौटियों पर खरे उतरनेवाले खिलौने ही ख़रीदें, अन्यथा घर में प्लास्टिक का कूड़ा जमा करके क्या फ़ायदा? साथ ही ऐसे खिलौने जो डरावनी शक्लों वाले हो, बच्चे को न दें। इससे वो डरा और सहमा रह सकता है। खिलौनों का मतलब है बच्चों को खुश करना ना कि उन्हें डराना।
     
  • खिलौने खरीदते समय हमेशा बच्चे की उम्र का ध्यान रखना चाहिए। जैसे 3-6 माह की उम्र में बच्चों के दांत निकलने आरंभ होते हैं, इसलिए उसे रबड़ और प्लास्टिक के खिलौने जिन्हें टीथर भी कहा जाता है खेलने को दें, जिन्हें वह चबा भी सके । 1-3 वर्ष की उम्र में उसका ध्यान रंग-बिरंगी तस्वीरों वाली कहानियों की किताबों में लगाएं । तस्वीरों के माध्यम से समझा कर उसे कहानियां सुनाएं । खेलने के लिए अनब्रेकेबल क्रिएटिव ब्लॉक दें, जिन्हें जोड़-तोड़ कर वह कुछ नया बनाने का प्रयास करे। रंगों, फलों, सब्जियों एवं पशु-पक्षियों की पहचान कराने वाली स्टार्टर बुक्स दें । 4 से 6 वर्ष के बच्चों को उनकी रुचि के अनुसार ब्लॉक्स, छोटी-छोटी कारें, बिल्डिंग सैट, फर्नीचर, किचन सैट, डॉल के तरह-तरह के परिधान एवं आभूषण आदि दें, जिनकी मदद से वे कभी घर-घर तो कभी आफिस-आफिस खेल सकें। इनसे उनकी कल्पनाशीलता बढ़ती है । बिल्डिंग ब्लॉक्स, इलैक्ट्रॉनिक ट्रांसपोर्ट खिलौने जैसे कार, स्कूटर, मोटरसाइकिल दें। उन्हें ड्राइंग एवं पेंटिंग का सामान, माऊथआर्गन, म्यूजिकल गिटार, की-बोर्ड, चित्रों वाली किताबें आदि भी दे सकते हैं।
     
  • वैसे तो हर उम्र के बच्चों के लिए खिलौना लेते समय वॉर्निंग लेबल को पढ़ना आवश्यक होता है। किंतु यदि आप तीन वर्ष से कम उम्र के बच्चे के लिए खिलौने ले रहे हैं तो वॉर्निंग लेबल अनिवार्य रूप से पढ़ें। उसमें उन खिलौनों से बच्चों को हो सकने वाले संभावित ख़तरों के बारे में बताया जाता है, साथ ही क्या सावधानियां रखें इसका भी उल्लेख होता है।
     
  • यह ज़रूर देख लें कि कहीं खिलौने नुकीले व धारदार तो नहीं हैं, क्योंकि छोटे बच्चे अक्सर खिलौनों को मुंह में डाल लेते हैं, कई बार खिलौनों पर गिर जाते हैं, ऐसे में खिलौनों के नुकीले होने पर उन्हें चोट पहुंच सकती है। यदि आप ऐसे खिलौने ख़रीदते हैं जिनमें कॉर्ड यानी रस्सी लगी हो तो यह ध्यान दें कि रस्सी बहुत लंबी न हो, क्योंकि खेलते समय रस्सी का फंदा बन सकता है और बच्चे उसमें ख़ुद को फंसा सकते हैं। यह ख़तरनाक साबित हो सकता है।
     
  • चूंकि बच्चे अक्सर हाथ में आने वाली हर चीज़ को मुंह में डाल लेते हैं, यदि खिलौने के छोटे छोटे और आसानी से अलग होने वाले पार्ट्स होंगे तो वे उन्हें निगल सकते हैं। 7-8 महीने के बच्चे को यह समझ नही होती की कौन सी चीज मुंह में डालनी हैं और कौन-सी नहीं, और कई बार वो चीज़ें गले में फंस सकती हैं। अत: खिलौने ख़रीदते समय इस बात का ख़ास ध्यान रखें।
     
  • बच्चे कई बार खिलौनों को ऊंचाई से गिराते हैं या ज़ोर-ज़ोर से पटकते हैं, आपस में छीना छपटी करते हैं, यदि खिलौने कमज़ोर होंगे तो वे टूट जाएंगे, अत: ऐसे खिलौने लें जो आसानी से न टूटें, क्योंकि टूटे हुए खिलौनों से बच्चे ख़ुद को चोट लगा बैठते हैं।
     
  • यदि आप बच्चे के लिए ऐसे खिलौने ले रहे हैं जिनमें से आवाज़ आती है तो यह ज़रूर ध्यान रखें कि उनसे आनेवाली आवाज़ों को नियंत्रित करने की भी सुविधा हो। खिलौने से आने वाली तेज़ आवाज़ से आगे चलकर बच्चों के सुनने की क्षमता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।
     
  • हो सकता है कि कोई खिलौना बड़ा ही आकर्षक हो, देखते ही आपको पसंद आ जाए पर उसे ख़रीदने से पहले इस बात की तसल्ली कर लें कि जो खिलौना आप ख़रीदने जा रहे हैं उसमें कोई हानिकारक रसायन तो नहीं हैं। वे खिलौने जो मेड इन चाइना हैं, इन पर किए गए रंग बहुत जल्दी उतर जाते हैं। बच्चे मुंह में डालते हैं जो सेहत के लिए खतरनाक हो सकते हैं। घटिया क्वालिटी के सॉफ्ट टॉयज खरीदना भी नुकसान देह हो सकता है। इनमें पॉलीफिल भरी होती है और बच्चा हर चीज को मुंह में जरूर डालता है। जिससे सांस लेने में या किसी और तरह की एलर्जी भी हो सकती है। 
     
  • चूंकि खिलौने बच्चे की शारीरिक व मानसिक गतिविधियों के लिए महत्वपूर्ण हैं तो उन्हें ख़रीदने से पहले इन बातों का ध्यान रखना बेहद ज़रूरी हो जाता है। इसलिए खिलौने ख़रीदते समय आपको बच्चे की उम्र व रुचि के मुताबिक़ इन बातों का ध्यान जरूर रखना चाहिए।

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