गर्भावस्था में एनीमिया के कारण, लक्षण और एनीमिया से निजात पाने के उपाय

प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं में कई तरह के मानसिक व शारीरिक बदलाव आते हैं। इनमें से कुछ बदलाव जहां गर्भवती के लिए अच्छे होते हैं, तो कुछ नुकसानदायक हो सकते हैं। इन्हीं में से एक है, शरीर में खून की कमी यानी एनीमिया। दरअसल जब शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं या हीमोग्लोबिन (आयरन युक्त प्रोटीन, जिसमें लाल रक्त कोशिकाओं का रंग बनता है) की कमी होने लगती है, तो शरीर में एनीमिया की शिकायत आने लगती है। प्रेग्नेंसी में गर्भवती के शरीर को अधिक आयरन की जरूरत होती है, ऐसे में यह समस्या आम होती है। इस ब्लॉग में हम आपको बताएंगे आखिर क्या है एनीमिया, क्या हैं इसके कारण व लक्षण और इससे कैसे बचा जा सकता है।
क्या हैं एनीमिया बीमारी के कारण ?/ What Is Anemia in Hindi
आंकड़ों के अनुसार भारत में करीब 80 प्रतिशत महिलाएं गर्भावस्था के दौरान एनीमिया से पीड़ित होती हैं। यही नहीं बच्चे को जन्म देने के बाद भी करीब 51 फीसदी महिलाएं इस समस्या से पीड़ित होती हैं। वैसे तो एनीमिया कई प्रकार के होते हैं, लेकिन प्रेग्नेंसी के दौरान सामान्यतः जो तीन प्रकार सबसे ज्यादा प्रचलित हैं, उनमें आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया, फोलेट की कमी से होने वाला एनीमिया व विटामिन बी-12 की कमी से होने वाला एनीमिया शामिल है।
- आयरन की कमी से होने वाला एनीमिया - गर्भावस्था में आयरन की कमी होते ही शरीर में हीमोग्लोबिन बनने में दिक्कत आने लगती है। लाल रक्त कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन, फेफड़ों से ऑक्सीजन लेकर पूरे शरीर को सप्लाई करता है। पर आयरन की कमी से होने वाले एनीमिया में खून ठीक से पूरे शरीर में ऑक्सीजन नहीं पहुंचा पाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान महिलाओं को रोजाना 20-30 ग्राम आयरन लेना चाहिए।
- फोलेट की कमी से – आपके लिए यह जानना बहुत जरूरी है कि फोलेट विटामिन-बी का एक रूप है। यह आमतौर पर हरी सब्जियों व बीन्स में पाया जाता है। प्रेग्नेंसी के दौरान फोलेट का सेवन बहुत जरूरी होता है। फोलेट की कमी से होने वाले एनीमिया में गर्भ में पल रहे बच्चे की रीढ़ की हड्डी में दरार व मस्तिष्क संबंधी समस्या होने का डर रहता है। गर्भवती को रोजना 600 माइक्रोग्राम फोलेट लेना चाहिए।
- विटामिन बी-12 की कमी से – विटामिन बी-12 मानव के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं के निर्माण में सहायक होता है। विटामिन बी-12 की कमी होने पर गर्भवती के शरीर में ठीक से लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बन पाती हैं, जिससे एनीमिया की समस्या होती है। [इसे जरूर पढ़ लें:- प्रेगनेंसी के दौरान क्या खाना चाहिए और क्या नहीं ?]
गर्भावस्था में एनीमिया के कारण /Anemia in Pregnancy in Hindi
वैसे तो एनीमिया के ज्यादातर मामले पोषण संबंधी समस्याओं के कारण सामने आते हैं, लेकिन गर्भावस्था में एनीमिया होने के कई अन्य कारण भी हो सकते हैं। आइए उन्हीं पर करते हैं बात।
- अगर किसी महिला में पहले से ही खून की कमी है, तो गर्भावस्था में उसे एनीमिया की दिक्कत हो सकती है।
- कई मामलों में खुद गर्भावस्था ही एनीमिया को जन्म देती है। दरअसल शिशु के विकास के लिए रक्त की ज्यादा जरूरत होती है। ऐसे में कई बार सबकुछ ठीक होने के बाद भी रक्त की कमी हो जाती है।
- आहार में नियमित रूप से प्रोटीन, आयरन, विटामिन-6, विटामिन सी, विटामिन-12, विटामिन ई, कॉपर, मिनिरल जैसे पोषक तत्वों के न लेने से भी एनीमिया हो सकता है।
- कम उम्र में गर्भ धारण करने पर भी एनीमिया होने का खतरा रहता है। 20 साल से कम उम्र में गर्भ धारण करना ठीक नहीं है।
- शौच, उल्टी व खांसी के साथ कई बार खून निकलता है। इससे भी एनीमिया हो सकता है।
- महावारी यानी पीरियड में भी कई महिलाओं का खून अधिक बह जाता है, इससे भी एनीमिया होने की आशंका रहती है।
- जब महिलाओं की डिलीवरी सर्जरी के बाद होती है, तो सर्जरी के दौरान खून की कमी होने से भी एनीमिया हो सकता है।
एनीमिया के लक्षण /What Are The Symptoms of Anemia in Hindi
शुरुआत में इसके ज्यादा लक्षण नजर नहीं आते, लेकिन खून की अधिक कमी होने पर यह बढ़ता है और कई लक्षण दिखाई देते हैं। इन्हीं में कुछ प्रमुख लक्षण इस प्रकार हैं –
- सांस लेने में तकलीफ – अगर आपको गर्भावस्था में एनीमिया की दिक्कत ज्यादा है, तो सांस लेने में तकलीफ होगी। बार-बार सांस फूलेगी। आंखें अंदर की ओर धंस जाएंगी।
- चेहरे, हाथ-पैर व नाखून का पीला होना – एनीमिया पीड़ित गर्भवती का चेहरा व हाथ-पैर पीले होने लगते हैं। यही नहीं उनके नाखून भी पीले दिखने लगते हैं। कई मामलों में तो चेहरा व हाथ-पैर फूल भी जाता है।
- सिर दर्द व चक्कर आना – इससे पीड़ित होने पर आपको अक्सर सिर दर्द रहेगा, बार-बार चक्कर आएंगे। खासकर लेटकर व बैठकर उठने में। इस दौरान कई बार बेहोशी भी आ जाती है।
- चिड़चिड़ापन – इससे पीड़ित कई महिलाओं में खराब एकाग्रता व चिड़चिड़ापन भी देखने को मिलता है। आपको बार-बार थकावट भी महसूस होगी।
- छाती में दर्द व हाथ पैर ठंडे पड़ना – एनीमिया से पीड़ित महिलाओं को कई बार छाती में दर्द की शिकायत भी रहती है। इसके साथ ही उनके हाथ-पैर भी कई बार ठंडे पड़ जाते हैं।
- मुंह के कोनों में दरार – इससे पीड़ित होने पर मुंह के कोनों में दरार, जीभ व पलकों के अंदर सफेदी जैसे लक्षण भी दिखाई देते हैं। कई बार हृदयगति भी तेज हो जाती है। [इसे भी पढ़ें - गर्भावस्था में विटामिन की अधिकता के क्या हैं नुकसान ?]
गर्भावस्था में एनीमिया होने पर क्या सावधानी बरतें और इसके उपचार ? / Pregnancy-time Anemia Prevention & Treatment in Hindi
यूं तो एनीमिया की सबसे बड़ी वजह आयरन की कमी है। ऐसे में आयरन युक्त आहार का अधिक से अधिक सेवन जरूरी है। पर आयरन के अलावा कई अन्य चीजें हैं जिनके सेवन से आप इस समस्या को दूर कर सकती हैं। आइए जानते हैं कि आपको इसे खत्म करने के लिए क्या उपचार करने चाहिएं। [ब्लॉग को पढ़ें - गर्भवती महिलाओं के लिए कौन से विटामिन लेना जरूरी है?]
- फलों व सब्जियों का सेवन करें – एनीमिया से निपटने के लिए फल व सब्जियों का सेवन काफी कारगर है। सेब व टमाटर में आयरन प्रचूर मात्रा में होता है, ऐसे में रोजाना इसे खाएं। आप इनका जूस भी पी सकती हैं। इसके अलावा आलूबुखारा, केला, नींबू, अंगूर, किशमिश, संतरा, अंजीर और गाजर का सेवन भी काफी लाभकारी होगा और एनीमिया की दिक्कत दूर होगी। आपको इस स्थिति में आयरन, विटामिन बी-12 व फोलिक एसिड से युक्त सब्जियों जैसे पालक, ब्रोकली, मेथी, लेट्यूस, अजमोदा आदि का सेवन भी करना चाहिए। ये सभी एनीमिया में असरदार होती हैं। इसके अलावा चकुंदर का रस भी आपके लिए उपयोगी होगा। इसमें आयरन से भरपूर वनस्पति रस होता है, जो एनीमिया को दूर करता है।
- मीट व मछली का सेवन – एनीमिया की स्थिति में मीट व मछली का सेवन भी आपके लिए काफी फायदेमंद होगा। इन दोनों में ही काफी मात्रा में आयरन होता है, जो खून की कमी को दूर करेगा। मछली में टूना और सालमन जैसी समुद्री मछली सबसे बेहतर ऑप्शन है। इनमें ओमेगा-3 फैटी एसिड और आयरन बड़ी मात्रा में पाया जाता है।
- शहद – शहद में आयरन, कॉपर और मैगनीज प्रचूर मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी हीमोग्लोबिन बनाने में मदद करते हैं। इसलिए इसका सेवन एनीमिया को दूर करता है। आप सेब के टुकड़ों के साथ सेब ले सकती हैं।
- अनार - आयरन व विटामिन-सी की मौजूदगी की वजह से अनार का सेवन शरीर में खून की कमी दूर करता है और एनीमिया से बचाता है।
- सूखे मेवे – एनीमिया को दूर करने में सूखे मेवे भी उपयोगी हैं। आपको बादाम, सूखे खजूर, मूंगफली, अखरोट, किशमिश, मुनक्का, अखरोट आदि लेना चाहिए।
- पालक – पालक में विटामिन ए, विटामिन बी, विटामिन सी, विटामिन ई, आयरन, फाइबर और बीटा कैरोटीन अधिक मात्रा में पाए जाते हैं। ये सभी तत्व खून की कमी को दूर करते हैं। ऐसे में पालक का सेवन करना एनीमिया पीड़ितों के लिए लाभकारी है।
अगर आपको एनीमिया है तो भोजन के बाद चाय का सेवन न करें। खाने के बाद चाय पीने से भोजन से मिलने वाले जरूरी पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं। इसके अलावा साफ पानी पीएं व स्वच्छ शौचालय का इस्तेमाल करें ताकि इन्फेक्शन न हो।
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