क्या बच्चों को ठंडा पानी पीने की आदत बचपन से डालनी चहिये?

Parentune Support के द्वारा बनाई गई संशोधित किया गया Mar 10, 2021

यह बात तो हम सभी जानते है कि जल ही जीवन है और जल के बिना जीवन मुमकिन नहीं। सही भी है आप कुछ दिन बिना खाए तो रह सकते हैं लेकिन बिना पानी के जीवित रह पाना मुमकिन नहीं। पानी न सिर्फ हमारी प्यास बुझाता है बल्कि पाचन-तंत्र से लेकर मस्तिष्क के विकास तक में अहम भूमिका निभाता है। पानी सबके जीवन के लिए बहुमूल्य है और बचपन से ही हम इसके फायदों के बारे में सुनते आये हैं। किसी भी बीमारी में पानी रामबाण की तरह काम करता है। पानी का प्रयोग कई तरीकों से प्राकृतिक उपचार के रूप में होता है। अधिकांश माता -पिता को यह शिकायत रहती है कि उनके बच्चे कम पानी पिते है। [इसे पढ़ें - इन 9 उपायों से सिखाएं छोटे बच्चों को पानी पीने की आदत]
बच्चो की ठंडा पानी पीने की आदत - सही या गलत ?
क्या आपके बच्चे कहीं बाहर से आते हैं तो तुरंत क्या ठंडा पानी पीने लगते हैं? ज्यादा गर्मी लग रही होती है तो बर्फ का ठंडा पानी निकाल कर पीने लगते हैं? अगर आपके ये दोनों सवालों का जवाब हां है, तो आपके बच्चे के शरीर और स्वास्थ्य दोनों को नुकसान पहुंच रहा हैं और भविष्य की बीमारियों को न्यौता दे रहा हैं। आपको जल्द ही सतर्क हो जाने की जरूरत है !
गर्म पानी - चिकित्सा-विशेषज्ञ मानते हैं कि कमरे के तापमान या गर्म पानी आपके बच्चे के लिए सबसे उपयुक्त है क्योंकि इससे पाचन में सुधार लाने में मदद मिलती है साथ ही साथ विषाक्तता भी। इसके अतिरिक्त, यह कब्ज और नाक और गले के भीड़ को राहत देता है।
ठंडा पानी - दूसरी ओर, ठंडा पानी गर्म पानी की तुलना में जल्दी से शरीर के तापमान को कम करता है और इसलिए आपके बच्चे को शाम के खेल से वापस या गर्म पसीने वाले दिन के दौरान घर मे आते ही ठंडा पानी नही लेना चाहिए।
बच्चो को ठंडे पानी कि आदत क्यों नहीं डालनी चाहिए?
आज कल के बच्चे ठंडा पिना ज्यादा पसंद करते है ऐसे मे माता -पिता को यह चिंता रहती है कि कही पानी उन्हे नुकसान ना करे।
- आपको अपने शरीर के तापमान के बारे में जानना जरूरी है, फिर आप खुद समझ जाएंगे कि शरीर के तापमान के अनुसार आपको कैसा पानी पीना चाहिए।
- इंसान के शरीर का तापमान 98.6 डिग्री सेल्सियस है, उसके हिसाब से शरीर के लिए 20-22 डिग्री तक के तापमान का पानी उचित है।
- अगर इससे ठंडा पानी आप पीते हैं तो शरीर उसको पचाने के लिए अधिक समय लेगा, बर्फ का पानी पचने में सामान्यत 6 घंटे लगते हैं जबकि गर्म करके ठंडा किया हुआ पानी को पचने में 3 घंटे। जबकि गुनगुना पानी तो 1 घंटे में ही पच जाता है।
- बचपन से अगर ठंडे पानी कि आदत हो जयेगी तो आगे चल के छोड़ना मुशकिल हो जायेगा इसलिये जहा तो सम्भव हो अपने बच्चे को सादा या हल्का गुनगुना पानी पिने कि आदत डाले।
- इससे पाचन क्रिया कमजोर होती है
- ठंडा पानी पीने से शरीर में खून की धमनियां सिकुड़ जाती हैं, जिससे पाचन प्रतिबंधित हो जाता है और पानी से शरीर में ठीक से हाइड्रेट नहीं हो पाता जिससे पाचन क्रिया को नुकसान पहुंचता है और खाने को पचाने में शरीर को देरी लगती है।
- सबसे अधिक नुकसान तो खाने के बाद तुरंत ठंडा पानी पीने से होता है। खाने के तुरंत बाद या बीच-बीच में ठंडा पानी पीने से आपका शरीर खाना पचाने और पोषण को अवशोषित करने की बजाए अपनी उर्जा को शरीर का तापमान बैलेंस करने में लगा देता है। इससे वॉटर लॉस होता है।
ठंडे पानी से इम्यून सिस्टम को नुकसान होता है
- बर्फ का ठंडा पानी पाने से सबसे अधिक नुकसान शरीर के इम्युन सिस्टम को पहुंचता है, जिससे शरीर बीमारियों से लड़ पाने में कमजोर पड़ जाता है। [इसे पढ़ें - क्या हैं बच्चों की इम्यूनिटी बढ़ाने के आहार ?]
- खाने के तुरंत बाद ठंडा पानी पीने से शरीर में बलगम जम जाता है, जिससे इम्युन सिस्टम कमजोर हो जाता है और शरीर आसानी से सर्दी-जुकाम की चपेट में आ जाता है।
ठंडा पानी पीने से बिमारियों का भी खतरा रहता है
आपने नोटिस किया होगा कि जब आफ मिठाई को फ्रिज में रखते हैं तो वह जम जाती है। इसी तरह जब हम बर्फ का ठंडा पानी पीते हैं तो वह शरीर के बड़ी आंत में मत को जमा देती है जिससे पाइल्स व बड़ी आंत से संबंधित रोग शरीर को घेर सकते हैं।
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