क्या आपका बच्चा बहुत जिद करने लगा है? इसे जरूर पढ़े !

बच्चों का जिद्दी होना कोई अनोखी बात नहीं है बल्कि यह एक सामान्य इंसानी बर्ताव है। ऐसा देखा गया है कि जिन बच्चों के माता-पिता अपने बचपन में जिद्दी रहे हों तो उनके बच्चे में ही यह गुण मिलते हैं और ये बच्चे पैदायशी जिद्दी होते हैं लेकिन दूसरे बच्चों में जिद करने की उनकी अपनी वजह होती है।
आमतौर पर जब बच्चे अपनी मनमर्जी नहीं कर पाते या उन्हें अपनी मनचाही चीज नहीं मिलती तो वे मचलने लगते हैं और उनकी यह आदत धीरे-धीरे जिद का रूप ले लेती है जिसमें वे रोकर, चीख-चिल्ला कर या नाराज होकर अपनी भावनाएं जाहिर करते हैं।
क्या करें बच्चे की जिद से निपटने के लिए-
अगर कम उम्र में बच्चों की जिद्दी बर्ताव पर काबू न पाया जाए तो बच्चे बहुत चिड़चिड़े हो जाते हैं इसलिए जरूरी है कि बच्चे की जिद करने की वजह जानी जाए। यहाँ बच्चे की जिद करने के बारे में कुछ आसान और असरदार बाते बताई गई हैं, जो आपके काम आ सकती है-
- हर छोटी-मोटी बात पर टोकना और उन पर पाबंदिया लगाना बच्चों में हताशा और असंतोष पैदा करता है, लेकिन इससे बचने के लिए उन्हे मन-मुताबिक कुछ भी करने की छूट भी नहीं दी जा सकती इसलिए बच्चों के लिए अपने प्यार और अनुशासन दोनों की सीमाएं तय करें। जिद करने पर बच्चे को प्यार से समझाएं और बहुत जरूरी होने पर ही उसके साथ सख्ती से पेश आएं।
- बच्चे पर अपनी पसंद-नापसंद थोपने से बचें। यदि आप उसे अपनी बात मानने के लिए मजबूर करेंगी तो यह बच्चे में नकारात्मकता बढ़ाएगा और उसका बर्ताव ज्यादा उग्र और जिद्दी हो जाएगा।
- बच्चों की हर बात माने जाने पर वह इसके आदी हो जाते हैं और माता-पिता के किसी चीज के लिए मना किए जाने पर वह जिद करने लगते हैं इसलिए बच्चे को न कहना भी सीखें। बच्चे को अहसास कराएं कि हमेशा उसकी मनमर्जी नहीं चल सकती।
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- बच्चे के जिद करने और रोने-चिल्लाने पर अपना फैसला न बदलें। ऐसा करने पर वह इसे आपकी कमजोरी समझेगा और हर बार अपनी बात मनवाने के लिए यही तरीका अपनाएगा।
- बच्चे के किसी बात पर जिद करने पर उसे इसके फायदे या नुकसान के बारे में बताएं जिससे वह खुद जिद छोड़ने के लिए प्रेरित हो सके। बच्चों को छोटी उम्र से अनुशासन में रहना और सब्र करना सिखाए जाने पर उनकी जिद करने की आदत को कम किया जा सकता है।
- जरूरी नहीं कि हर जिद्दी बच्चा स्वार्थी और बिगड़ैल हो। जांचो में पाया गया है कि जिद्दी बच्चे ज्यादा मेहनती और उनमें संघर्ष करने की क्षमता दूसरे बच्चों से ज्यादा होती है। ऐसे बच्चे अगर कुछ करने की ठान लें तो उसे पूरा किए बिना चैन से नहीं बैठते। सही मार्गदर्शन किए जाने पर ऐसे बच्चे अपने जीवन में बड़ी कामयाबी हासिल करते हैं।
हालांकि, कुछ बच्चे समय के साथ अपनी जिद करने की आदत पर काबू करना सीख लेते हैं लेकिन कुछ बच्चे इतनी जिद करते हैं कि उनके माता-पिता परेशान हो जाते हैं। ऐसे बच्चों के साथ तालमेल बिठा आसान नहीं होता। बच्चों को सभ्य और सौम्य बनाने के लिए सबसे जरूरी है कि हम अपने बच्चों को एक स्वस्थ और सकारात्मक माहौल दें और बच्चे के जिद् करने पर परेशान होने के बजाए धैर्य और समझदारी से काम लें क्योंकि बच्चों को जिद करने की आदत से छुटकारा दिलाने में सबसे अहम् किरदार माता-पिता का ही होता है।
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