महाभारत के कुछ अनमोल वचन आपके बच्चे के लिए

महाभारत हिंदुओं के धर्म ग्रंथों में खास महत्व रखता है। यह दुनिया का सबसे बड़ा ग्रंथ भी है। इसमें मानव के जीवन से जुड़ी कई ऐसी बातें हैं, जो अलग-अलग व विषम परिस्थितयों से निपटने व उनसे लड़ने की सीख देती हैं। यहां हम आपको बताएंगे महाभारत के कुछ ऐसे ही वचन, जिससे आपका बच्चा मोटिवेट होगा और आगे बढ़ेगा।
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महाभारत से जुड़ी इन बातों को बच्चे को बताएं/ Tell the Child About These Things Related To The Mahabharat in hindi
जीवन, धर्म, राजनीति, समाज, देश, ज्ञान, विज्ञान व अन्य विषयों से संबंधित जानकारी वाले महाभारत ग्रंथ में कई ऐसे सबक हैं जिन्हें आप अपने बच्चे को सीखा सकते हैं।
- किसी का अपमान न करें – बच्चें को बताएं कि वे कभी किसी का अपमान ना करें। किसी को छोटा ना समझें। उन्हें महाभारत में द्रौपदी की ओर से दुर्योधन का अपमान करना और उसी की वजह से युद्ध होने की बात बताते हुए समझाएं कि अपमान की आग बड़े-बड़े साम्राज्य व आदमी को नष्ट कर देती है, इसलिए कभी किसी का अपमान न करें।
- लालच न करें – जिंदगी में लालच नहीं करना चाहिए। जो आपका नहीं है, उसे हड़पने की कोशिश न करें। अत्यधिक लालच इंसान को बर्बाद कर देती है। दुर्योधन ने अधिक लालच किया, जिसके परिणामस्वरूप वह बर्बाद हो गया। ऐसे में बच्चों को भी बताएं कि वह लालच न करें।
- सत्य रास्ते पर चलें – जिंदगी के हर रण में विजय उन्हीं की होती है, जो सत्य के रास्ते पर चलते हैं। विजय उनकी नहीं होती, जो ज्यादा बलवान औप ज्यादा पैसे वाले हों। जीत उनकी होती है, जहां ईश्वर हैं और ईश्वर हमेशा वहीं रहते हैं जहां सत्य है। पांडवों के सेना की संख्या बहुत कम थी, जबकि दुर्योधन की सेना बड़ी थी और उसके साथ योद्धा भी पांडवों से अधिक थे। इसके बाद भी जीत पांडवों की ही हुई। यह उदाहरण देते हुए बच्चे को सत्य के रास्ते पर चलना सिखाएं।
- बेहतर प्रबंधन जरूरी – पांडवों की सेना कौरवों की सेना के आगे काफी कमजोर थी। पांडवों के लिए जीत मुश्किल लग रहा था, लेकिन भगवान श्री कृष्ण ने बेहतरीन प्रबंधन व रणनीति से पांडवों को कुरुक्षेत्र के युद्ध में जीत हासिल करवा दिया। यह हमें बताता है कि जिंदगी में कुछ भी हासिल किया जा सकता है, लेकिन उसके लिए बेहतरीन प्रबंधन व रणनीति जरूरी है। आप भी अपने बच्चों को ये कला सिखाएं।
- अच्छी संगत रखें – बच्चे को बताएं कि जिंदगी में सफलता के लिए ये भी जरूरी है कि वे अच्छी संगत रखें। दुर्योधन खुद इतना बुरा नहीं था। उसे बुरा बनाया मामा शकुनी की गलत संगत ने। ऐसे में उन लोगों से दूर रहना चाहिए जो आपका गलत मार्गदर्शन करें या आपके अंदर नकारात्मकता भरें।
- बुरी आदतों से दूर रहें – पांडवों का विनाश तब हुआ, जब उन्होंने जुए जैसी आदत को अपनाया। जुए की वजह से पांडवों का इंद्रप्रस्थ व सारी संपत्ति चली गई। यही नहीं वे जुए में द्रौपदी को भी हार गए। इस उदाहरण से बच्चों को सीख दें कि वे हमेशा जुए व अन्य बुरी आदतों से दूर रहें।
- अधिकारों के लिए लड़ें – पांडव कभी भी कौरवों से युद्ध करना नहीं चाहते थे। वह समझौता करना चाहते थे, लेकिन कृष्ण ने उन्हें समझाया कि ये धर्म युद्ध है जो उन्हें अपने अधिकारों के लिए लड़ना होगा। अगर किसी समस्या का हल शांतिपूर्वक नहीं निकल रहा है, तो युद्ध करना ही आखिरी विकल्प है। बच्चों को बताएं कि वे भी अपने अधिकारों के लिए लड़ना सीखें। समझौता कर लेना हर समस्या का समाधान नहीं है।
- अच्छे दोस्तों की कद्र करें – महाभारत हमें अच्छे दोस्तों की कद्र करने की सीख भी देता है। बच्चे को बताएं कि जिंदगी में अच्छे दोस्त बहुत कम मिलते हैं, इसलिए उनकी कद्र करनी चाहिए। पांडवों के पास कृष्ण जैसे दोस्त थे, तो दुर्योधन के पास कर्ण जैसा मित्र था। पांडवों ने हमेशा कृष्ण की बात मानी उनका कद्र किया इसलिए वे हमेशा जीतते रहे। वहीं दुर्योधन कर्ण का इस्तेमाल करता था। उसने कभी कर्ण की कद्र नहीं की और न ही उसकी बात मानी। अगर दुर्योधन शक्ति अस्त्र का उपयोग घटोत्कच पर करने के लिए कर्ण को विवश न करता, तो अर्जुन जिंदा नहीं रहता।
- अच्छे वक्त में घमंड न करें – कभी भी अपने अच्छे वक्त, पैसे व ताकत पर घमंड न करें। समय सबसे बलवान होता है। एक पल में ही द्रौपदी इंद्रप्रस्थ की महरानी से दासी बन गई और पांडव भी सब कुछ हारकर वन में भटके। बच्चे को बताएं कि कभी भी वे अहंकार न करें।
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