प्रेगनेंसी (गर्भावस्था) में मूड स्विंग के क्या हैं कारण ?

मूड स्विंग(Mood Swing) और प्रेगनेंसी दोनो का एक गहरा रिश्ता है। प्रेगनेंसी के दौरान आपका शरीर कई बदलावों से होकर गुजरता है। इनमें शारीरिक और मानसिक बदलावों के साथ ही हार्मोनल बदलाव भी होते हैं। गर्भावस्था के दौरान मिजाज में बदलाव मां बनने की भावनात्मक अनुभूति के कारण भी होता है। गर्भावस्था एक बेहद तनावपूर्ण और भारी समय हो सकता है। एक ओर जहां होने वाले बच्चे की ,खुशी होती है, वहीं उसकी और अपनी सेहत को लेकर फिक्र।
एस्ट्रोजन का बढ़ना है मूड स्विंग का कारण / Increased Estrogen Is Responsible for Mood Swing in Hindi
इस दौरान आपकी मनोदशा में परिवर्तन, शारीरिक तनाव, थकान, चयापचय (Metabolism) में परिवर्तन, या हार्मोन एस्ट्रोजन के कारण हो सकता है। गर्भवती महिलाओं में हार्मोन के स्तर में महत्वपूर्ण बदलाव न्यूरोट्रांसमीटर के कारण होता है, जो एक मस्तिष्क रसायन है, और मूड को प्रभावित और विनियमित करता हैं। मिजाज में बदलाव ज्यादातर 6 से 10 सप्ताह के बीच और पहली तिमाही के दौरान होता है।गर्भावस्था भावनात्मक रूप से एक अस्थिर समय होता है, मिजाज गर्भावस्था का एक सामान्य हिस्सा है। इसलिए यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है और यह स्थाई नहीं होता है। [इसको पढ़ें - क्या होता है पोस्टपार्टम डिप्रेशन? जानें प्रकार, लक्षण और सावधानियाँ?]
प्रेगनेंसी में बदलते मूड का कारण / Reasons of Mood Swings During Pregnancy in Hindi
प्रेग्नेंसी में मूड स्विंग्स के कई कारण हो सकते हैं। मुख्य रूप से इन चार वजहों से गर्भावस्था के दौरान महिलाओं के मूड में बदलाव आता रहता है...
- अपने बदलते हुए शरीर को स्वीकार ना कर पाना /Unable to Accept the Changes in Body - कुछ महिलाओं को अपने बदल रहे शरीर को स्वीकार करने में परेशानी होती है, इससे भी उनका मूड बदलता है। गर्भावस्था के दौरान थकान और अक्सर पेशाब आने जैसी शारीरिक समस्याओं के कारण भी आप बोझ महसूस कर सकते है। वैसे तो यह असामान्य नहीं है, पर आप इस समय अपने शरीर पर नियंत्रण खो देते है। इन सभी चिंताओं के कारण भी आपका मूड चेंज होता है। [इसको भी पढ़ें - प्रेग्नेंसी के दौरान कैंसर होने पर इन 5 बातों का जरूर ध्यान रखें ]
- बातचीत की कमी/ Lack Of Conversation In Hindi - आजकल के व्यस्त जीवन में बातचीत की कमी कोई नई बात नहीं है। लोग निजी कामों में और सोशल मीडिया पर इतना व्यस्त रहने लगे हैं कि एक दूसरे से बात करने में उन्हें कोई रूचि ही नहीं रह गयी है। गर्भावस्था में इस कारण से भी स्त्री के स्वभाव और मानसिक उतार चढ़ाव हो सकता है। गर्भावस्था में स्त्री अपने पार्टनर से अधिक कम्यूनिकेशन की उम्मीद रखती है लेकिन जब वो उसकी उम्मीदों के अनुसार नहीं हो पाता हैं तो मानसिक बदलाव होना स्वभाविक है। [ये ब्लॉग भी पढ़ें - शिशु में अच्छे गर्भ संस्कार के लिए क्या करें? जरूर रखें इन बातों का ख्याल]
- साथी का आपके आपके उम्मीदो पर खरा ना उतरना / Partner Fail to Succeed On Your Expectation In Hindi - पुरुष इस समय महिला को उतना ध्यान नहीं दे पाता हैं जितना पहले देता था। इस बात का भी महिला के जीवन पर प्रभाव पड़ता है जिससे उसमें मानसिक बदलाव आते हैं। इसके साथ ही महिला को उस समय किसी छोटी सी बात पर चिड़चिड़ापन महसूस होता है, वो दूसरों के साथ-साथ खुद की स्थिति और बदलाव पर भी चिढ़ जाती है। इस दौरान महिला और उसके पति में दूरी आने की सन्भावना रहती है जिसके कारण स्त्री का आत्मविश्वास कम होने लगता है। इसके कारण से यौन संबंधों पर भी प्रभाव पड़ता है। [इस ब्लॉग को जरूर पढ़ें - प्रेग्नेंसी के दौरान व्रत में किन बातों का ख्याल रखें?]
- परिवार मे तालमेल कि कमी/ Family Not Able To Understand your Situation गर्भवती स्त्री के जीवन में गर्भावस्था के शुरुआती तीन महीने बहुत मुश्किल होते हैं क्योंकि उसे शारीरिक बदलावों से भी गुजरना पड़ता है। इस दौरान बात-बात पर परेशान होना, चिंता करना आदि समस्याओं से भी स्त्री गुजरती है। ऐसे में वो अकेले रहना चाहती है जिसके कारण परिवार के साथ उसके संबंध में खटास आ सकती है। परिवार के लोग यह समझ सकते हैं कि वो किसी काम में दिलचस्पी नहीं ले रही है। स्त्री की इस स्थिति को कम ही लोग समझ पाते हैं। दोनों और से सही से बॉन्डिंग न हो पाने की वजह से महिला का मानसिक उतार चढ़ाव बढ़ जाता है।
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