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अपने बच्चे की गुस्साने की आदत से छुटकारा कैसे पाएँ ?

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अपने बच्चे की गुस्साने की आदत से छुटकारा कैसे पाएँ ?

Published: 23/07/25

Updated: 23/07/25

आप बार-बार अपने बच्चे को यह समझाती हैं कि क्रोध करना अच्छा नहीं है फिर भी उसके अंदर जब ये भावना उठती है हम इसे संभाल नहीं पाते हैं । आपने यह ध्यान दिया होगा कि हम उसे चाहे जितना समझाएँ कि क्रोध करना ठीक नहीं है पर जब उसे क्रोध आता है तो आप इसे नियंत्रित करने में खुद को असमर्थ पाती हैं। इसके लिए क्रोध के मूल कारणों को समझना और इसका समाधान निकालना जरूरी है।

समझें बच्चों के क्रोध के इन मूल कारणों को

आजकल छोटे-छोटे बच्चों में भी गुस्से की समस्या देखी जा रही है। वह छोटी-छोटी बात पर गुस्सा हो जाते हैं। जिसका असर उनके विकास पर पड़ता है,मौजूदा समय में कई पैरेंट्स इस बात से परेशान रहते हैं कि उनका बच्चा बहुत जिद्दी और गुस्सैल स्वभाव का है। 
 

  • पैरेंट्स को हमेशा बच्चे की क्षमता का पता रहना चाहिए। क्षमता के हिसाब से ही उन्हें काम देना चाहिए। इसके अलावा इस पर भी नजर रखनी चाहिए कि बच्चा किन बातों से भड़कता है। कहीं घर व बाहर में मिल रही उपेक्षा से परेशान होकर गुस्सैल तो नहीं हो रहा
     
  • जब कभी बच्चा गुस्सा कर रहा हो, तो सबसे पहले उसकी वजह जानने की कोशिश करें। इससे यह पता चल जाएगा कि उसके साथ कैसा व्यवहार करना है और उसे कैसे शांत कराना है।  
  • अपने बच्चे को समय-समय पर अच्छा व्यवहार करना सिखाते रहे बच्चों को नैतिक शिक्षा दे ,उनको ढंग से बात करना सिखाए।  
     
  • आपने देखा होगा कि किसी किसी दिन आपका बच्चा बहुत शांत व विश्राम की अवस्था में होता है और किसी दिन बेहद असहज। ऐसा इसलिए होता है क्योंकि उसका आहार उसके मन व भावनाओं को बहुत प्रभावित करता है। उसे मांसाहार व अधिक मसालेदार भोजन देने से बचना चाहिए।
     
  • बच्चे का बिगड़ता मिजाज पेरेंटस के चेहरे पर परेशानी की लकीरों को गहरा देता है। ऐसे समय में शांत रहना ही वह तरीका है, जो माहौल और बच्चे के मिजाज को सुधार सकता है। बहुत सी माएं अपने रोते बच्चे के चेहरे पर हंसी ले आती हैं तथा जिद करते बच्चे को आसानी से मना लेती हैं। आप सोच रही होंगी कि भला बच्चों के बिगड़े मिजाज को इतनी आसानी से कैसे संभाला जा सकता है, माना कि ऐसा कर पाना कठिन है परंतु नामुमकिन नहीं है। बस जरूरत है तो इस बात की कि आप छोटी-छोटी बातों का ख्याल रखें और उन्हें अपनी आदत में शामिल कर लें। 
     
  • जब कभी बच्चे को गुस्सा आए, तो उसे कहीं बाहर ले जाएं और उसका ध्यान उस बात से हटाने की कोशिश करें। एक्सरसाइज करने और खेलकूद में भाग लने वाले बच्चों में गुस्सा कम आता है, ऐसे में जरूरी है कि आप भी अपने बच्चे को खेलकूद व एक्सरसाइज के लिए प्रेरित करें।  
     
  • आजकल ज्यादा सीखने की चाह में बच्चों पर स्कूल, ट्यूशन और घर पर पढ़ाई का बोझ एक साथ पड़ रहा है। इसके अलावा बच्चे पूरी नींद नहीं लेते हैं, उनका खानपान भी ठीक नहीं रहता, इन सबसे उसमें शुगर कम हो जाता है और उन्हें गुस्सा आता है। उन्हें पढाई अच्छी नहीं लगती, उनमें चिड़चिड़ापन आ जाता है। इससे बचने के लिए आवश्यक है कि आप अपने बच्चे का खानपान ठीक रखें। उसे कम से कम 7 घंटे की नींद की आदत डालें।
     
  • कभी फिल्म देखते हुए सिनेमा घर में, तो कभी पार्क में घूमते हुए या फिर मार्केट में शॉपिंग करते हुए छोटे बच्चे या तो जिद करने लगते हैं या रोना शुरू कर देते हैं, ऐसे में लोगों का ध्यान अपनी तरफ हुआ देख कर आपका पारा भी चढ़ जाता है, जिससे कि बच्चे का मिजाज और बिगड़ जाता है। पब्लिक प्लेस पर जब भी बच्चा ऐसी स्थिति उत्पन्न करे, तो शांति के साथ उसके स्वभाव और पसंद के अनुसार उसे बहलाने का प्रयास करें, आपका बच्चा भी आसानी से मान जाएगा।
  • जब कभी आपका बच्चा अपने ट्रैक से भटकना शुरू हो ऐसे में उस पर गुस्सा करने की अपेक्षा उसके ध्यान को बांटने की कोशिश में जुट जाएं। यदि आपकी ट्रिक कारगर रही तो आपका ऐसा करना आपके बच्चे को शांत रखने में मदद करेगा। ध्यान भटकाने का यह नुस्खा तभी काम करेगा, जब आप शांति से उस स्थिति को संभालेंगी।
     
  • कई माता-पिता बच्चों का गुस्सा कंट्रोल नहीं कर पाते और खुद भी गुस्सा करने लगते हैं, इससे दोनों को नुकसान पहुंचता है। बच्चे को गुस्से से दूर रखने के लिए जरूरी है कि उन्हें पहले सहनशील बनाया जाए। छोटी-छोटी बातों का ध्यान रखकर आप भी अपने बच्चे में सहनशीलता और गुस्से से दूर रहने की भावना जगा सकते हैं।
     
  • अभिभावक की भूमिका में समय-समय पर आपके धैर्य की परीक्षा होती है। जब आपके बच्चे ने अपना आपा खो दिया हो, तो उस समय उसे संभालना मुश्किल हो जाता है। ऐसी परिस्थिति में पहले आप गहरी सांस ले कर रिलैक्स रहें। आपको अपने बच्चे के साथ शांत रहना सीखना होगा, वह भी तब जब उसे इस बात का भी ख्याल न हो कि उसे कैसा व्यवहार करना चाहिए। 
     
  • बच्चे के जिद और गुस्से का जवाब गुस्से से नहीं, बल्कि एक प्यारी सी मुस्कुराहट से दें तथा उसे गले से लगा कर जादू की झप्पी दें या फिर उससे अच्छी-अच्छी बातें करें। यह तरकीब तब काम आएगी जब आपका अपने बच्चे के साथ भावनात्मक जुड़ाव हो। यदि आपका बच्चा रो रहा है, तो खुद शांत रहें तथा उससे उसकी पसंद की बातें करना शुरू करें। आप उसे चॉकलेट या उसकी मनपसंद खाने की चीज दे सकती हैं, परंतु इस बात का ख्याल रखें कि आपके बच्चे को इसकी लत ही न लग जाए। ऐसा होने पर वह अपनी बात मनवाने के लिए रोना या जिद करना शुरू कर सकता है।
      
  • बच्चे को बात-बात पर लगतार टोकना उसे विरोधी स्वभाव का बना सकता है तथा उसके मन में यह धारणा बन जाएगी कि मां तो जब देखो डांटती रहती हैं। ऐसे में जब कभी आपको लगे कि बच्चा कुछ ज्यादा ही बदमाश हो गया है, तब एक ही बार में सारी गलतियों के लिए बात और मौके की नजाकत को समझ सकेगा।
      
  • आप सजा और पुरस्कार तकनीक का इस्तेमाल कर सकती हैं। यहां सजा का मतलब बच्चे की पिटाई करना नहीं है। आप बच्चे की गलती पर उसे उसकी पसंद की चीज देना बंद कर सकती हैं, इससे बच्चा आपकी बात पर गौर करना सीख जाएगा।

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स्पष्ट है कि बच्चों का अधिक गुस्सा करना सामान्य स्थिति नहीं मानी जा सकती। यदि आपको लगे कि पानी सिर से ऊपर जा रहा है तो गुस्सा नियंत्रित करने वाले उपायों को अपनाने में देरी न करें। इसके लिए आप मनोचिकित्सक की सलाह भी ले सकती हैं।

 

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