1. ज्यादा समय नहीं , प्लानिंग से ...

ज्यादा समय नहीं , प्लानिंग से होता है अच्छा बच्चा तैयार

3 to 7 years

Supriya jaiswal

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9 months ago

ज्यादा समय नहीं , प्लानिंग से होता है अच्छा बच्चा तैयार

सविता और उनके पति राजेश एक मल्टीनेशनल कम्पनी में काम करते है उनकी शिकायत है वे अपने बच्चों को पूरा समय नहीं दे पाते हैं। अक्सर कामकाजी कपल्स इस आत्मग्लानि का शिकार होते है। बहुत से कपल्स अपने बच्चों को ड़े केयर सेंटर में भी छोड़ते हैं। लेकिन गौर से देखा जाये तो यह समस्या उन परिवारों की भी है जहां पत्नी घर की देखभाल करती है और उसका सारा समय घर के कामों में ही निकल जाता है। ऐसे कपल्स को एक नए प्रकार की काबिलियत पैदा करनी होती है। यहां सबसे अहम बात यह है कि तमाम व्यस्ताओं के बावजूद ,आप अपने बच्चों के सुपर माता-पिता बन सकते हैं , इसके लिए आपको बढ़िया प्लानिंग तथा टाइम मैनेजमेन्ट करनी होगी।
 

प्लानिंग और टाइम मैनेजमेंट के लिए इन उपायों को आजमाएं/ Try These Tips For Planning And Time Management In Hindi

1-अपने फैसलों का सम्मान करें

बाहर  निकल कर काम करना आपका निजी फैसला भी हो सकता है और वक्त की जरूरत भी। कारण चाहे जो भी हो , उसका सम्मान करें। यदि आप घुटते रहेंगे तो आपकी सेहत प्रभावित होगी । धीरे धीरे बच्चे का पालन-पोषण प्रभावित होगा।
 

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2- न डाले खुद पर अपेक्षाओं का बोझ

आज के दौर में परफेक्ट पैरेन्ट बनना एक बहुत बड़ी चुनौती है। क्योकि आज हमारे ऊपर अपनी ख़ुशी  से अधिक समाज का दबाव रहता है , कि हम अपने बच्चे की परवरिश  कैसे कर रहे हैं। अच्छी परवरिश  का सिर्फ एक नियम है कि जब भी आप अपने बच्चे के साथ हों हर एक पल खुल कर जिएं। आखिर आप इतनी मेहनत तो उस बच्चे के भविष्य  के लिए ही कर रहे हैं।ये बहुत जरूरी है कि आप हर एक पल को उत्सव की तरह मनाएं , जिसमे आपका बच्चा भी शामिल  हो।
 

3-बच्चों को आत्मनिर्भर बनाएं

बच्चों को उनकी क्षमता के अनुसार छोटपन से ही आत्मनिर्भर बनाएं। उन्हे समझाएं की आप दोनो उसके ही उज्जवल भविष्य  के लिए बाहर जा कर काम  कर रहे हैं। यकीन माने बच्चा आपकी बात समझेगा और अपनी उम्र के हिसाब से यथासंभव सहयोग भी देगा। 
 

माता-पिता बच्चे के पहले गुरू होते हैं। आप क्या करते हैं कैसे सोचते हैं आपके बच्चे का व्यक्तित्व इस बात पर बहुत ज्यादा निर्भर करता है। आप बाहर से चाहे जैसे भी मूड में घर आरहे हों बच्चे से मुस्कुराते हुए ही मिलें । जितना भी समय मिले उसके साथ खुल कर जिएं। उसको अनुभव करायें की आप अन्दर और बाहर की जिम्मेदारी बखूबी निभाते हैं।
 

5-समय के साथ न हो कटौती

यूँ तो हम अपने बच्चे के लिए हमेशा  ही मौजूद रहने का प्रयास करते हैं। लेकिन ज़रूरी यह है कि बच्चे भी इस बात को महसूस करें। इसलिए ज़रूरी है जब भी आप उनके साथ हो तो सौ प्रतिशत  उनके साथ ही हों। जब बच्चों का साथ हो तो प्रयास करें कि मोबाइल स्विच आॅफ कर दें , यदि ये संभव न हो तो मोबाइल को वाइब्रेशन  पर ज़रूर कर दें। किसी छोटे मोटे काम के लिए बाहर जा रहे हों तो उनको भी साथ ले जाएं। उनकी रूचियों में शामिल  हों । प्रयास करें जब उनके साथ हों बच्चा बन जायें । उनको महसूस करायें आप उनसे बेहद प्यार करते हैं।
 

6-लोगों के कहने पर न चलें

हर घर और हर बच्चा अलग होता है। बच्चों की परवरिश  का कोई सर्वव्यापी नियम नहीं होता है । कभी किसी और से अपनी परवरिश  की तुलना न करें । कभी इस चीज की ग्लानि अपने अंदर न लाएं कि दूसरे अपने बच्चों की परवरिश  आपसे बेहतर तरीके से कर रहे हैं। यह बहुत आम बात है कि व्यस्तताओं  के चलते कुछ कार्य छूट भी जाते हैं , उनका तनाव न लें। आप पाएंगे कि आपके बच्चे आपकी तमाम व्यस्तताओं के बावजूद आपके करीब हो जाएंगे।
 

7- साथ खेलें

आपको जब भी समय मिले उनके खेलों में शामिल  हों। ऐसा करने से आप उनके निकट आएंगे , और वे अपने मन की बन्द गाठों को भी आपके सामने खोलेंगे। आजकल बाल अपराध की घटनाएं बढ रहीं है ऐसे में , आप खेल-खेल में उनको खुद को सुरक्षित रखना भी सिखा सकते है।

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