1. कुछ इस तरह निभाते है पिता होने ...

कुछ इस तरह निभाते है पिता होने की जिम्मेदारी सुपर स्टार शाहरुख़ खान

All age groups

Parentune Support

309.3K बार देखा गया

4 months ago

कुछ इस तरह निभाते है पिता होने की जिम्मेदारी सुपर स्टार शाहरुख़  खान

शाहरुख़  खान  मानते हैं  कि जो मां-बाप बच्चों को समझाने के लिए या गलत बात से रोकने के लिए उनको मारने लगते हैं , वो गलत करते हैं। शाहरुख़  खुद इसके पक्ष में नहीं हैं। वो कहते है कि उन्होने जिस स्कूल से शाहरुख़  पढ़ाई की है वहां अनुशासन  के मामले में काफी सख्ती थी। लेकिन शाहरुख़  इस बात से ज़रूर सहमत हैं कि थोड़ी सख्ती जरूरी है, पिटाई किसी भी तरह उचित नहीं है। वो बताते है कि उनके बच्चे काफी बडे़ हो गये है मगर उन्हे नहीं याद पड़ता कि उन्होने कभी उनको पीटा हो। वो बताते हैं कि एक बार उन्होने अपनी बेटी सुहाना से गुस्से में कहा तुम क्या कर रही हो , तो वह सहम गयी थी। तब  बेटे ने कहा था कि मुझे डांटते   तो मै झेल लेता , वह सहन नहीं कर पाती आप उसे समझा दिया करो। उस दिन के बाद मैने बेटी सुहाना के साथ ये समझौता कर लिया कि अब से जब मै तुम से गुस्से में कहूंगा कि मै तुमको इतने जोर से किक मारूंगा कि तुम उडती हुई दिल्ली पहुँच  जाओगी तो समझ लेना मै मज़ाक कर रहा हूं। शाहरुख़  अपने बच्चों की परवरिष में रखते है ,इन बातों का खास ध्यान----
 

1-नंबरो के पीछे न पड़े

आज जैसे फिल्म की कामयाबी का पैमाना सौ करोड़ की कमाई के आंकड़े से होता है , वैसे ही बच्चों से केजी क्लास से ही सबसे अधिक नंबर लाने की उम्मीद की जाती है । या दूसरे शब्दों  में कहें तो आंकड़े हमारे पीछे केजी क्लास से ही लग जाते हैं। बच्चा जब बड़ा होने लगे तो उसका परिचय धीरे धीरे कला , संगीत ,कहानी और कविता आदि से कराएं। जब बच्चा 10 से 15 वर्श का होने लगे तो उसका ध्यान विज्ञान के ओर कराएं। बच्चों को विदेषी भाषाएँ  पढ़ने के लिए भी प्रेरित करें। शाहरुख़  खुद आरस्तु के सीखाने के तरीके को उचित मानते हैं।
 

2-सुपर स्टार नहीं अच्छा पापा बनने का प्रयास

Doctor Q&As from Parents like you

मैं अपनी तमाम मसरूफियत के बावजूद मेरी कोशिश  रहती है कि मैं अपने बच्चों के लिए अच्छा पापा बन सकूं। मै बच्चों को यह आश्वस्त  रखने की कोशिश  करता हूं कि मैं उनके लिए कुछ भी कर सकता हूं। वक्त मिलने पर स्कूल भी छोड़ने जाता हूं। यथा संभव उनके होमवर्क में मदद करता हूं। जब वे छोटे थे तो उनको नहलाता था अपने पास सुलाता था। हालांकि मेरे पास समय कम होने कारण मेरी पत्नी ही उन पर अधिकतर नजर रखती हैं। मेरी कोशिश  रहती है कि मैं उनको सिनेमाई चकाचैंध से अधिक से अधिक दूर रख सकूं । आज मैं जिस मुकाम पर हूं खुदा का शुक्र  है मगर नहीं चाहता कि इसका प्रभाव उन पर पड़े। मेरा प्रयास रहता है कि वे मेरी चकाचैंध से बाहर आपना जीवन बिताएं, उनका भोलापन सुरक्षित रहे।
 

3-अपने मूल्यों की नजर से बच्चों को न आकें 

बच्चों की पहुंच आज हर तरह के संचार माध्यम तक हो चुकी है। आप यह नहीं कह सकते कि अगर तुम यह फोटो या प्रचार देखोगे तो मै तुमको पीटूंगा।   बेहतर यह होगा कि आप उनको बतायें कि वे उस फोटो अथवा प्रचार को क्यों न देखें। यदि आपके बच्चे किसी ऐसे साहित्य को पढ़े जो आप नहीं चाहते हैं , तो आप उनको समझाएं और उनका नज़रिया सही करने का प्रयास करें।  यह बहुत जरूरी है कि आप हर चीज को अपने समय के अनुसार आकने का प्रयास न करें। बच्चों के दोस्त , फिलाॅसफर और गाइड़ बन जाएं। मै अपने बच्चों को मानवीय मूल्यों का महत्व समझाने का प्रयास हर हाल में करता हूं।
 

4-बच्चों से दोस्ती करें

माता पिता को बच्चों के साथ अधिक से अधिक समय बिताना चाहिए। प्रयास करें कम से कग उनके साथ एक वक्त का खाना ज़रूर खाएं। उन्हे बताना चाहिए उनके साथ स्कूल अथवा घर में कुछ ऐसी हरकते हो सकती हैं जिनके बारे उनको पता नहीं । माता पिता को बडे़ प्यार से अपने बच्चों को आस पास के माहोल और लोगों के बारे में समझाना होगा। मैने षुरू से ही अपने बच्चों के साथ दोस्त  जैसा रिश्ता  बनाने की कोशिश  की है। अपने बच्चों के मित्रों से भी उचित व्यवहार करें । बच्चों के बाल सुलभ भावनाओं का सम्मान करना चाहिए ,उनको कतई नहीं महसूस होना चाहिए कि उनका उपहास उड़ाया जा रहा है।
 

 कई बार ऐसा होता है कि मेरी पत्नी सो जाती हैं और मै अपने बच्चों को जगा कर रखता हूं कि आज रात हम देर तक जगा कर उनसे बातें करता हूँ । आज से 15 से 20 वर्ष   पहले पिता के साथ बच्चों के रिश्तों  में दूरी होती थी । पिता से बच्चे ड़रते थे । मेरा मानना है कि कुछ बातें ऐसी होती हैं , जो पिता ही बेहतर समझा सकता है।

 

 

Be the first to support

Be the first to share

support-icon
समर्थन
comment_iconComment
share-icon
शेयर
Share it

Related Blogs & Vlogs

No related events found.